23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Netaji Jayanti Spl: गोमो जंक्शन – जहां से ”गुम” हो गये थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस

Advertisement

झारखंड के धनबाद जिला के तोपचांची प्रखंड में अवस्थित गोमो रेलवे स्टेशन, जिसे आज हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन के नाम से जानते हैं, का देश के आजादी के लिए लड़ी गयी लड़ाई में खास जगह है. 18 जनवरी, 1941 को कालका मेल से पेशावर जाने के लिए नेताजी छद्म वेश में इसी रेलवे […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

झारखंड के धनबाद जिला के तोपचांची प्रखंड में अवस्थित गोमो रेलवे स्टेशन, जिसे आज हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन के नाम से जानते हैं, का देश के आजादी के लिए लड़ी गयी लड़ाई में खास जगह है.

- Advertisement -

18 जनवरी, 1941 को कालका मेल से पेशावर जाने के लिए नेताजी छद्म वेश में इसी रेलवे स्टेशन से रवाना हुए थे. कहा जाता है कि अंग्रेजों के लिए नेताजी सुभाष इसी स्टेशन से गुम हुए थे, इसीलिए इसे गोमो कहा जाने लगा.

नेताजी की महानिष्क्रमण यात्रा

ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर नजरबंद कर लिया था तो नेताजी ने भेष बदल कर भागने की योजना बनाई. उनकी इस रणनीति में उनके मित्र सत्यव्रत बनर्जी साथ थे. सत्यव्रत बनर्जी ने इसे महानिष्क्रमण यात्रा का नाम दिया था.

पहले जानें पृष्ठभूमिको

मामले की पृष्ठभूमि में जायें, तो दो जुलाई 1940 को हॉलवेल मूवमेंट में संलिप्तता की वजह से नेताजी को भारतीय रक्षा कानून की धारा 129 के तहत कलकत्ता (अब कोलकाता) में गिरफ्तार किया गया था. प्रेसीडेंसी जेल में उन्होंने आमरण अनशन किया,जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गयी. गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें पांच दिसंबर 1940 को इस शर्त पर रिहा किया कि तबीयत ठीक होते ही उन्हें पुन: गिरफ्तार किया जा सकता है. यहां से रिहा होने के बाद एल्गिन रोड स्थित अपने आवास चले गये.

ब्रिटिश हुकूमत के उड़ गये होश

नेताजी के केस की सुनवाई 27 जनवरी 1941 को होनी थी,लेकिन तब ब्रिटिश हुकूमत के होश उड़ गये, जब उन्हें 26 जनवरी कोयह पता चला कि नेताजी तो कोलकाता में हैं ही नहीं. उन्हें खोज निकालने के लिए सिपाहियों को अलर्ट मैसेज भिजवाया गया, लेकिन नेताजी ने तब तक अपने करीबी नजदीकी के सहयोग से महानिष्क्रमण तैयारी शुरू कर दी थी.

बेबी ऑस्टिन से पहुंचे गोमो

योजना के तहत नेताजी 16-17 जनवरी की रात लगभग एक बजे हूलिया बदलकर, कार में सवार होकर अपनी यात्रा पर कलकत्ता से निकल गये. इस योजना के अनुसार, नेताजी अपनी बेबी ऑस्टिन कार संख्या बी एल ए 7169 से गोमो पहुंचे थे. जहां वह एक पठान के छद्म वेश में यहां पहुंचे थे. 18 जनवरी 1941 को पुराना कंबल ओढ़ कर नेताजी धनबाद के गोमो स्टेशन से हावड़ा-पेशावर मेल (वर्तमान में हावड़ा कालका मेल) पर सवार हुए और इसके बाद अंग्रेज कभी उनका पता नहीं लगा पाये. इस बात की जानकारी शैलेश डे की किताब ‘आमी सुभाष बोलची’ (मैैं सुभाष बोल रहा हूं) में मिलती है.

झरिया का भागा भी बना गवाह

बताया जाता है कि इससे पहले वे धनबाद झरिया के भागा पहुंचे थे. अंग्रेज सिपाही जब उनको खोजते हुए पहुंचे, तो नेताजी अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंककर यहां से भाग चुके थे. यही वजह है कि यहां का नाम भागा पड़ा और धनबाद के गोमो से नेताजी हावड़ा-पेशावर मेल पकड़कर चले गये. वहीं, गोमो के बाद वे गुम हो गये थे, इसलिए अंग्रेजों ने वहां का नाम गोमो रख दिया.

धनबाद शहर से रहा गहरा नाता

आपको बताते चलें कि धनबाद शहर से नेताजी का गहरा नाता रहा था. वहां उनके भतीजे शिशिर बोस केमिकल इंजीनियर थे. नेताजी धनबाद आते-जाते थे और देश की पहली रजिस्टर्ड ट्रेड यूनियन की शुरुआत उन्होंने वहीं की थी, जिसके वह अध्यक्ष थे. उन्होंने वहां मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ी.

स्मृतियां हैं शेष

वर्ष 2009 में आज ही के दिन झारखंड के धनबाद जिले में स्थित इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन कानाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति से जोड़कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन किया गया था. हालांकि, आम बोलचाल में आज भी इसे गोमो ही कहते हैं. गोमो रेलवे स्टेशन के प्लेटफाॅर्म संख्या – 1 और 2 के बीच नेताजी की प्रतिमा स्थापित है.

इसलिए भी खास है गोमो

कोयलांचलमें बसे होने के बावजूद यहां का वातावरण प्राय: धूल मुक्त एवं प्रदूषण रहित है. छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा, यह क्षेत्र एक छोटा हिल स्टेशन-सा जान पड़ता है. गोमो, पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद मंडल में ग्रैंड कार्ड रेल लाइन पर स्थित एक व्यस्त और बड़ा रेलवे जंक्शन है. यहां से हावड़ा, दिल्ली, आद्रा के अलावापुरी, रांची, जमशेदपुर, बरकाकाना आदि जगहों को जोड़ने वाली रेलवे लाइनें गुजरती हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें