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#WorldDiabetesDay : युवा और बच्चे भी डायबिटीज के शिकार, इन तीन सफेद चीजों से रहें दूर तो…

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आधुनिक जीवनशैली, बेतरतीब खान-पान व तनाव की वजह से हर उम्र के लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं. खासकर, युवाओं में यह बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है. इससे दिन-प्रतिदिन डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो महामारी का रूप लेने लगी है. पटना जिले के शहरी क्षेत्र में 18 से 20 […]

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आधुनिक जीवनशैली, बेतरतीब खान-पान व तनाव की वजह से हर उम्र के लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं. खासकर, युवाओं में यह बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है. इससे दिन-प्रतिदिन डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो महामारी का रूप लेने लगी है. पटना जिले के शहरी क्षेत्र में 18 से 20 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 9-10 प्रतिशत डायबिटीज मरीजों की संख्या है. वहीं, 25-40 वर्ष के आयु वालों में करीब 35 प्रतिशत लोग डायबिटीज की गिरफ्त में हैं.

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स्कूली बच्चों में भी प्री-डायबिटीज

जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से स्कूली बच्चे भी डायबिटीज के शिकार मिल रहे हैं. करीब 30-35 प्रतिशत बच्चों में प्री-डायबिटीज देखा गया है. इसका मुख्य कारण है कि स्कूलों में फिजिकल एक्टिविटी का न होना और जंक फूड का खूब इस्तेमाल करना.

तीन व्हाइट चीजों से बचने की है जरूरत
डायबिटीज विशेषज्ञों का मानना है कि हर व्यक्ति को खान-पान पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करना चाहिए. वहीं, खान-पान के तीन व्हाइट चीजों से बचना चाहिए. इसमें चीनी, मैदा और नमक शामिल हैं. इन तीनों चीजों को कम से कम सेवन करने से डायबिटीज बीमारी से बचा जा सकता है. वहीं, डॉक्टरों का मानना है कि डायबिटीज मरीजों को अधिक से अधिक रेसेदार फलों को खाने का प्रयास करना चाहिए और रिफाइन से बचना चाहिए.

डायबिटीज के होते हैं दो प्रकार

डायबिटीज के दो प्रकार होते हैं- टाइप-1 और टाइप-2. डायबिटीज टाइप-1 मुख्य रूप से जेनेटिक कारणों से होती है और अधिकतर कम उम्र में होती है. जबकि सबसे ज्यादा होने वाली डायबिटीज टाइप-2 है. जिसका प्रमुख कारण अनियमित जीवनशैली और गलत खान-पान है. यह मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होती है. डायबिटीज टाइप-2 को जीवनशैली और खान-पान द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. इसे ही मोडिफाइबल फैक्टर कहते हैं. इसमें मुख्य तीन आदतें है जो इस प्रकार है:-

1. गलत खानपान : स्वस्थ व्यक्ति को अपने शरीर के प्रति किग्रा वजन के हिसाब से रोजाना 25-30 कैलोरी डाइट लेनी चाहिए. शहरी क्षेत्रों में रेडी टू इट और फूड होम डिलिवरी के चलन से लोग अधिक खा लेते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी खाने की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ी है. फास्ट फूड में फैट के साथ-साथ शूगर भी होता है जो अधिक नुकसान करता है. यह पेट की चर्बी को बढ़ता है. चर्बी बर्न नहीं होने के कारण मोटापा और फिर डायबिटीज होती है.

2. तनाव : स्ट्रेस शरीर में चार तरीके के स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ाता है. इसका पैंक्रियाज पर असर होता है, इससे शूगर बढ़ती है और डायबिटीज होती है.

3. फीजिकल वर्क : पहले के लोग ज्यादा शारीरिक परिश्रम करते थे जिससे उनकी कैलोरी बर्न होती थी. लेकिन अब जीवनशैली में ऐसी हो गयी है कि लोग शारीरिक मेहनत बहुत कम करते हैं. इसलिए शरीर में कैलोरी बर्न नहीं होती है और फैट के रूप में जमा होती रहती है. कमर के आस-पास वाला विसरल फैट ज्यादा नुकसान करता है. फैट सेल्स के दुष्प्रभाव से मेटाबॉलिज्म यानी भोजन के ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया बिगड़ जाती है.

क्या है इंसुलिन
इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जिसका निर्माण अग्नाशय में होता है. हमारा आमाशय कार्बोहाइड्रेट्स को रक्त शर्करा में परिवर्तित करता है. इंसुलिन के माध्यम से यह रक्त शर्करा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है. यदि पैनक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर दे तो ब्‍लड ग्‍लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होगी. ऊर्जा की कमी के कारण व्यक्ति जल्दी थक जायेगा, इसलिए ऊर्जावान रहने के लिए इंसुलिन का निर्माण होना जरूरी है. इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है. इंसुलिन के जरिये ही रक्त में, कोशिकाओं को शुगर मिलती है यानी इंसुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है. इंसुलिन द्वारा पहुंचायी गयी शुगर से ही कोशिकाओं या सेल्स को ऊर्जा मिलती है. इसलिए डायबिटीज के रोगियों को इंसुलिन की अतिरिक्‍त खुराक दी जाती है.

ऐसे बनता है इंसुलिन : इंसुलिन व्यक्ति के शरीर में जरूरत के अनुसार बनता है. व्यक्ति के शरीर, हॉर्मोन और दिनचर्या के आधार पर इसका निर्माण होता है. पैंक्रियाज में शरीर की जरूरत के अनुसार इंसुलिन घटता-बढ़ता है. डायबिटीज मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. जीवन-शैली व खान-पान में सुधार कर इस बीमारी से बचा जा सकता है. डायबिटीज होने के बाद मरीजों को नियमित शारीरिक व्यायाम व खाने पर ध्यान देने की जरूरत है. वहीं, आंख, किडनी और ब्लड शूगर का नियमित जांच कराते रहना चाहिए.
डॉ मनोज कुमार सिन्हा, अधीक्षक, गार्डिनर अस्पताल

पहले 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे थे. लेकिन, अब हर आयु वर्ग के लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे है. इसकी मुख्य वजह बेतरतीब खान-पान व जीवन शैली है. डायबिटीज बीमारी होने के बाद मरीज अपनी जीवन-शैली व खान-पान में सुधार कर शूगर लेवल को संतुलित रख सकते हैं.
डॉ अमित कुमार, डायबिटीज विशेषज्ञ

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