27.1 C
Ranchi
Saturday, February 22, 2025 | 03:06 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

तकनीक में रुचि बढ़ी तो बाल साहित्य से दूर हुए बच्चे

Advertisement

कहा जाता है कि किताबें सबसे अच्छी दोस्त होती है. इनसे दोस्ती करने वाला कभी अकेला नहीं रहता. किताबें ज्ञान, शिक्षा और संस्कार देती हैं. यह नयी दिशा की ओर बढ़ने में काफी मददगार साबित होती है. पर आज के बच्चे साहित्य की किताबों को पढ़ने पर ज्यादा जोर नहीं देते. पहले घर के बड़े-बुजुर्ग […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

कहा जाता है कि किताबें सबसे अच्छी दोस्त होती है. इनसे दोस्ती करने वाला कभी अकेला नहीं रहता. किताबें ज्ञान, शिक्षा और संस्कार देती हैं. यह नयी दिशा की ओर बढ़ने में काफी मददगार साबित होती है. पर आज के बच्चे साहित्य की किताबों को पढ़ने पर ज्यादा जोर नहीं देते. पहले घर के बड़े-बुजुर्ग हमेशा स्कूल की किताबों के अलावा साहित्य से जुड़ी किताबों को पढ़ने पर जोर देते थे. पुराने समय में बच्चों के लिए बाल साहित्य की कई पुस्तकें मार्केट में उपलब्ध थीं. हालांकि आज भी है, लेकिन उसकी संख्या पहले की तुलना में अब काफी कम है. आज तकनीक ने बच्चों को बाल साहित्य से दूर कर दिया है. वहीं वीडियो गेम्स और कार्टून आने से बाल साहित्य की किताबें अब कम हो गयी हैं. आजकल सिर्फ स्कूली किताबों को पढ़कर ज्ञान अर्जित करना बच्चों का पहला उद्देश्य बन गया है.

सोशल मीडिया और 4जी ने बढ़ायी समस्या

यह बचपन में संस्कारित होने की अच्छी आदतों की आधुनिक तकनीक की विसंगतियों से टक्कर है. इसी कारण कभी नंदन, चंदामामा और बालहंस में साहित्य की शुरुआती सीख लेने वाला बचपन अब टिक टॉक, व्हाट्सएप और फेसबुक पर फेक न्यूज, वायरल वीडियो से सीख ले रहा है. बाल साहित्य के प्रति बच्चों की बेरुखी ऐसी ही बढ़ती रही तो पंचतंत्र, जातक कथाएं और अकबर बीरबल की कहानियां अब गुजरे जमाने की बात हो जायेगी. सोशल मीडिया और फोर जी तकनीक के आने से समस्या बढ़ी है.

क्लासिक किताबों में भी नहीं है रुचि, कार्टून कैरेक्टर की बिकती हैं किताबें

बोरिंग कैनाल रोड में किताबों की पुरानी दुकान बुक्स इन बीपी के अनिल कुमार ने बताया कि पुस्तकों और मैगजीन की बिक्री में 50 फीसदी तक की गिरावट आयी है. जो कार्टून टीवी पर आते हैं, उन कैरेक्टर पर आधारित पुस्तकों को बच्चे पसंद करते हैं.इसके अलावा पेंटिंग और कलरिंग की पुस्तकें बिकती हैं. यहां तक की बच्चों की क्लासिक कहानियों बिकनी बंद ही हो गयी है. साइंस कॉलेज के पास रंजीत बुक कॉर्नर के संजीत कुमार ने कहा कि मेरी दुकान पर जंगल बुक, अकबर बीरबल, बिक्रम बैताल, तेनालीराम और पंचतंत्र की कहानियां सबसे ज्यादा बिकती थी, लेकिन आज बच्चों की पहली पसंद छोटा भीम और डोरेमन हो गया है. इससे आप समझ सकते हैं कि आने वाली पीढ़ी कैसी होगी? 70 फीसदी तक बच्चों की पुस्तकों की बिक्री कम हो गयी है. पहले बच्चों की पुस्तकों की वेरायटी कम थी, बिक्री ज्यादा थी. आज वेरायटी ज्यादा है, लेकिन पुस्तकों की बिक्री में कमी आयी है. कहानियों की 10 से 20 वेरायटी थी, जो आज 300 तक हो गयें हैं. पुस्तक मेले में पंचतंत्र, जातक कथा और अकबर बीरबल की जगह डोरेमोन, छोटाभीम, पोकेमाॅन पर आधारित पुस्तकें बच्चों की पसंद बनी हैं.

40 फीसदी कम हुई बच्चों की पुस्तकों की बिक्री

गेम्स और कार्टून के आने से बच्चों में कविता कहानी की किताब पढ़ने में दिलचस्पी घटी है. अब स्कूली किताबों को पढ़कर ज्ञान अर्जित करना बच्चों का पहला उद्देश्य बन चुका है. यही कारण है कि मार्केट में भी क्लासिक किताबों की बिक्री कम हुई है. बच्चों में बाल साहित्य के प्रति रुझान कम हुआ है. वैरायटी बढ़ने के बावजूद 10 साल में बिक्री आधी हो गयी है. टीवी और इंटरनेट के दौर के बच्चों की दुनिया में डोरेमन, पोकीमान, छोटा भीम और बार्बी डॉल जैसे कैरेक्टर ने इस कदर जगह बना ली है कि वे पुस्तकों से लगातार दूर होते जा रहे हैं. प्रभात प्रकाशन के राजेंद्र कुमार कहते हैं पहले की तुलना में बच्चों की पुस्तकों की बिक्री 40 फीसदी तक कम हो गयी. अब बच्चे पंचतंत्र और जातक कथा जैसे क्लासिक स्टोरी कम खरीदते हैं. जो भी कार्टून के कैरेक्टर हैं, उस पर आधारित पुस्तकों को ज्यादा पसंद करते हैं.

अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को अच्छी पुस्तकों का संस्कार दें
पटना पुस्तक मेला से लंबे समय से जुड़े संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर कहते हैं कि पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को अच्छी पुस्तकों का संस्कार दें. टीवी और मोबाइल बच्चों में पुस्तकों के संस्कार को खत्म कर रहा है. राजधानी के पैरेंट्स की यह जिम्मेदारी हैं कि वे बच्चों को न केवल दुकानों पर बल्कि समय समय पर आयोजित होने वाले मेले में ले जाएं और अच्छी पुस्तकें खरीद कर उन्हें दें. भले पुस्तक की खरीदारी करे या करें, लेकिन मेले में पुस्तकों को देखने और पढ़ने का संस्कार विकसित होता है.

-गेम्स और कार्टून के आने से बच्चों में घटी कविता कहानी की किताब पढ़ने में दिलचस्पी

-सिर्फ स्कूली किताबों को पढ़कर ज्ञान अर्जित करना बना बच्चों का पहला उद्देश्य

-मार्केट में भी क्लासिक किताबों की बिक्री हुई कम

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें