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तोक्यो : वैज्ञानिकों ने प्रत्यारोपित किया जा सकने वाला विश्व का सबसे छोटा उपकरण विकसित किया है जो मस्तिष्क के काम करने के तरीकों को नियंत्रित करने में कारगर हो सकता है. इस उपकरण का आकार एक सिक्के की चौड़ाई के बराबर है. यह उपकरण मस्तिष्क की तंत्रिकाओं की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए […]

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तोक्यो : वैज्ञानिकों ने प्रत्यारोपित किया जा सकने वाला विश्व का सबसे छोटा उपकरण विकसित किया है जो मस्तिष्क के काम करने के तरीकों को नियंत्रित करने में कारगर हो सकता है.

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इस उपकरण का आकार एक सिक्के की चौड़ाई के बराबर है. यह उपकरण मस्तिष्क की तंत्रिकाओं की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए इंफ्रारेड रोशनी को नीली रोशनी में बदल देता है और यह अब तक का सबसे छोटा और सबसे हल्का बेतार जैव उपकरण है.

रसायनों से मस्तिष्क की तंत्रिकाओं की प्रक्रियाओं में बदलाव होता है यह बात कई सदियों से मालूम है. ऑप्टोजेनेटिक्स क्षेत्र ने साबित किया है कि दिमागी प्रक्रियाओं को रोशनी मात्र से भी बदला जा सकता है.

अब यह सर्वज्ञात है कि दिमाग के काम करने के तरीके में बदलाव करने के लिए रोशनी से मस्तिष्क के कुछ खास प्रोटीनों को सक्रिय किया जा सकता है. इसी जानकारी के मुताबिक वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल उपकरण विकसित कर उनका सफल प्रत्यारोपण किया लेकिन इनके आकार के चलते कुछ असुविधा होती रही है.

जापान के नारा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनएआईएसटी) के एसोसिएट प्रोफेसर तकाशी तोकुदा इन उपकरणों के आकार को छोटे से छोटा बनाने के तरीके तलाश रहे थे. तोकुदा की अनुसंधान टीम द्वारा बनाये गये इस नये उपकरण में एक अतिरिक्त मेटल ऑक्साइड अर्द्धचालक का इस्तेमाल किया गया है.

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