13.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 06:46 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Women’s Equality Day 2023: जानें इस दिन को मनाने के पीछे का इतिहास और महत्व

Advertisement

हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है. महिला समानता दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका में उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है, जब 1920 में अमेरिकी संविधान में 19वें संशोधन को आधिकारिक तौर पर प्रमाणित किया गया था

Audio Book

ऑडियो सुनें

महिला समानता दिवस हर साल 26 अगस्त को मनाया जाता है. महिला समानता दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका में उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है, जब 1920 में अमेरिकी संविधान में 19वें संशोधन को आधिकारिक तौर पर प्रमाणित किया गया था, जिससे महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला और महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ. संशोधन XIX किसी भी अमेरिकी राज्य और संघीय सरकार को लिंग के आधार पर किसी भी अमेरिकी नागरिक को वोट देने के अधिकार से वंचित करने से रोकता है.

इतिहास

19वीं सदी की शुरुआत में अमेरिकी महिलाओं को संपत्ति विरासत में नहीं मिल सकती थी और वे किसी भी उपलब्ध नौकरी में पुरुष की तुलना में आधा वेतन कमाती थीं. इससे महिलाओं के लिए अपेक्षित राजनीतिक अधिकारों और प्रतिनिधित्व की मांग उठी. 20वीं सदी की शुरुआत में, फ़िनलैंड, न्यूज़ीलैंड और यूनाइटेड किंगडम सहित अन्य देशों ने महिलाओं के लिए मतदान को वैध कर दिया था क्योंकि यह आंदोलन दुनिया भर में फैल गया था. संविधान में 19वां संशोधन पहली बार 1878 में अमेरिका में पेश किया गया था, लेकिन उस समय यह लोकप्रियता हासिल करने में विफल रहा. प्रथम विश्व युद्ध के प्रयास में महिलाओं की भागीदारी के बाद ही उनका योगदान वास्तव में सामने आया और महिला मताधिकार आंदोलन को समर्थन मिलना शुरू हुआ.

Also Read: Personality Traits: सामने वाले व्यक्ति के बोलने के तरीके से जानें उसके व्यक्तित्व के बारे में

हड़ताल के बाद ये तारीख हुई तय

महिला अधिकार समूहों ने भी नियमों में विसंगति की ओर इशारा किया क्योंकि एक तरफ यूरोप में लोकतंत्र के लिए लड़ाई हो रही थी, वहीं दुनिया के दूसरी तरफ अमेरिका में महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा था. एक संवैधानिक संशोधन के लिए दो-तिहाई राज्यों के अनुमोदन की आवश्यकता होती है, इसलिए उनमें से 36 को इसके पारित होने से पहले 19वें संशोधन का अनुमोदन करना पड़ा. निर्णायक वोट टेनेसी विधायिका में हैरी टी. बर्न से आया, जिनकी मां की संशोधन का समर्थन करने की अपील एक निर्णायक कारक बन गई. संविधान में उन्नीसवें संशोधन के पारित होने की 50वीं वर्षगांठ पर, राष्ट्रीय महिला संगठन (अब) ने देशव्यापी ‘समानता के लिए हड़ताल’ का आयोजन किया था. कांग्रेस महिला बेला अबज़ग, जिन्हें बैटलिंग बेला के नाम से भी जाना जाता है, ने इस हड़ताल के बाद 26 अगस्त को महिला समानता दिवस के रूप में नामित किया था.

पहली बार कब मनाया गया ये दिन

यह दिन पहली बार 1973 में मनाया गया था, जब कांग्रेस ने HJ Res 52 को मंजूरी दी थी. इसमें कहा गया था, “राष्ट्रपति को अधिकृत किया गया है और उनसे 1920 में उस दिन की स्मृति में एक उद्घोषणा जारी करने का अनुरोध किया गया है, जिस दिन अमेरिका में महिलाओं को पहली बार वोट देने के अधिकार की गारंटी दी गई थी.

Also Read: Motivation: असफलताओं से निपटने के लिए तीन सीख, जो चंद्रयान-3 की सफलता हमें सिखाती हैं, जानें क्या है वो

महत्व

महिला समानता दिवस महिलाओं के मताधिकार के पारित होने की याद दिलाता है और हमें उन सभी बाधाओं की याद दिलाता है जिन्हें वीर महिलाओं ने महिला आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए हिंसा और भेदभाव का सामना करने के बावजूद पार किया है. यह उस कठिन लड़ाई की याद दिलाता है जो मताधिकारवादियों ने महिलाओं के लिए मतदान के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए दशकों से लड़ी है और चल रही चुनौतियों और किए जाने वाले कार्यों पर विचार करते हुए लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने में हुई प्रगति का जश्न मनाती है.

इस साल का थीम

इस साल की महिला समानता दिवस की थीम एम्ब्रेस इक्विटी है. इस थीम को 2021 से 2026 तक की रणनीतिक योजना में शामिल किया जाएगा. यह लैंगिक समानता हासिल करने के महत्व पर जोर देता है. यह न केवल आर्थिक विकास के लिए, बल्कि बुनियादी मानवाधिकारों के लिए भी आवश्यक है.

Also Read: VIDEO : बदलिए लापरवाह लाइफस्टाइल, ट्रैफिक नियमों को करिए पालन, थोड़ी सी अनदेखी पड़ सकती है भारी

हर भारतीय महिलाओं को ये 7 अधिकार जानना जरूरी

समय के साथ समाज ने भी महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदला है, उनकी प्रतिभा को सराहा है. चाहे अंतरिक्ष में यात्रा करना हो या एवरेस्ट को फतेह करना, उन्होंने अपने हुनर का परचम हर तरफ लहराया है. घर की जिम्मेदारी के साथ-साथ अपने काम की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही हैं. मगर इन सब के बावजूद अब भी कई महिलाएं अपने अस्तित्व के लिये लड़ रही है. खुद को साबित करने की कोशिश कर रहीं है. ऐसे में ये जरूरी है कि महिलाओं को अपने हक व अधिकारों के बारे में जानकारी हो. ऐसे में महिला समानता दिवस के अवसर पर हर भारतीय महिलाओं को इन सात अधिकारों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं क्या है वो सात अधिकार.

इस टाईम के बाद महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार

महिलाओं के हित व उनकी सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए गए हैं, किसी भी महिला को एक तय समय के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. दरअसल, भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार अगर किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त यानी शाम 6 बजे के बाद या सूर्योदय यानि सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार किया जाता है तो वह कानून के खिलाफ है. धारा 160 के अनुसार अगर किसी महिला से पूछताछ भी करनी है तो उसके लिए एक महिला कांस्टेबल या उस महिला के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी होना जरूरी है.

अगर कार्यस्थल पर हो रहा उत्पीड़न

अगर किसी महिला का उसके दफ्तर में या किसी भी कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न किया जाता है तो उत्पीड़न करने वाले आरोपी के खिलाफ महिला शिकायत दर्ज करा सकती है. यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत महिलाओं को कार्यस्थल पर होने वाली शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न से सुरक्षा मिलती है.

घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार

ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष, लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला, लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है. आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है.

मातृत्व संबंधी लाभ का अधिकार

मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि ये उनका अधिकार है. मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 6 महीने तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं. यह कानून हर सरकारी और गैर सरकारी कंपनी पर लागू होता है. इसमें कहा गया है कि एक महिला कर्मचारी जिसने एक कंपनी में प्रेग्नेंसी से पहले 12 महीनों के दौरान कम से कम 80 दिनों तक काम किया है, वह मैटरनिटी बेनेफिट पाने की हकदार है. जिसमें मैटरनिटी लीव, नर्सिंग ब्रेक, चिकित्सा भत्ता आदि शामिल हैं.

समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976

इस अधियनियम के तहत एक ही तरह के काम के लिए महिला और पुरुष दोनों को मेहनताना भी एक जैसा ही मिलना चाहिए. यानी यह पुरुषों और महिला श्रमिकों को समान पारिश्रमिक के भुगतान का प्रावधान करता है.

दहेज के खिलाफ अधिकार

शादी के समय या उसके बाद लड़के के परिवार वाले या लड़का खुद दहेज की मांग करता है तो लड़की के परिवार वालों को मजबूरी में दहेज देने की जरूरत नहीं है. एक महिला को यह अधिकार है कि वह इसकी शिकायत कर सकती है. IPC के Section 304B और 498A, के तहत दहेज का आदान-प्रदान और इससे जुड़े उत्पीड़न को गैर-कानूनी व अपराधिक करार दिया गया है.

Also Read: Life Style : बच्चों में बढ़ती जा रही निराशा, बात बिगड़ने से पहले बातचीत से संभाले कोमल बचपन

पहचान की रक्षा का अधिकार

अगर कोई महिला जो यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है. उस महिला की पहचान की रक्षा करने के लिए अधिकार भारतीय दंड संहिता की धारा- 228 (ए) बनाई गई है. इसके तहत महिला सिर्फ अकेले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने ही अपना बयान दर्ज करा सकती है। इसके अलावा अगर कोई महिला पुलिस अधिकारी है तो यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला उनके सामने भी अपना बयान दे सकती है.

 जानकारी है जरूरी

महिलाएं काफी प्रगति कर रही हैं और वो आगे बढ़ना चाहती हैं, लेकिन कई महिलाएं ऐसी हैं जो अधिकारों की जानकारी के अभाव में वो पीछे रह जाती हैं. यूं तो उनके लिए कई अधिकार है, लेकिन कुछ राइटस् ऐसे भी हैं जो उन्हें याद रखना बेहद जरूरी है. इन सात अधिकारों के अलावा और भी अधिनियम व अधिकार है जो हर महिला को जानने की जरूरत है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें