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क्या है अंबुबाची महोत्सव? मां कामाख्या मंदिर के इतिहास से है खास कनेक्शन

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इस मंदिर के बारे में अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें, गुवाहाटी में मौजूद यह मंदिर काफी प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की गिनती में आता है. इस मंदिर को खास तौर पर तांत्रिक देवी देवताओं को समर्पित किया गया है. इस मंदिर की उत्पत्ति की जो कहानी है वह भी काफी रोचक और आकर्षक है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज असम में मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास कर दिया है. सामने आयी जानकारी के अनुसार मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर को तैयार करने में करीब 498 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है और यह देश का तीसरा सबसे बड़ा कॉरिडोर होने वाला है. अगर आप मां कामाख्या मंदिर के बारे में नहीं जानते हैं तो बता दें इस मंदिर में ही प्रसिद्ध अंबुबाची मेला का आयोजन किया जाता है. यहां हर साल जून में तीन दिन के लिए यह मेला लगता है. इस दौरान मंदिर के दरवाजे तीन दिन के लिए बंद कर दिए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जल कुंड से पानी की जगह रक्त प्रवाहित होता है, क्योंकि माता रजस्वला होती हैं.

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पवित्र तीर्थस्थल की गिनती में आता है यह मंदिर

अगर इस मंदिर के बारे में अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें, गुवाहाटी में मौजूद यह मंदिर काफी प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की गिनती में आता है. इस मंदिर को खास तौर पर तांत्रिक देवी देवताओं को समर्पित किया गया है. इस मंदिर की उत्पत्ति की जो कहानी है वह भी काफी रोचक और आकर्षक है. बता दें इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है. कथा के अनुसार सती माता के शरीर को भगवान विष्णु द्वारा 51 टुकड़ों में विभाजित किया गया था. उनके शरीर के टुकड़े पूरी पृथ्वी पर जहां-जहां पड़े उन मंदिरों की गिनती शक्तिपीठ के तौर पर की जाने लगी. गुवाहाटी में स्थित मां कामाख्या मंदिर भी एक ऐसा ही शक्तिपीठ मंदिर है. यह मंदिर तंत्र विद्या के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां तंत्र विद्या का काम किया जाता है.

Also Read: मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर की पहली झलक, 498 करोड़ की लागत से होगा तैयार, जानें खासियत और मंदिर का इतिहास

कब मनाया जाता है अंबुबाची मेला

आपकी जानकारी के लिए बता दें मां कामाख्या मंदिर में देवी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है. यहां उनके योनी की पूजा की जाती है. बता दें हर साल जून के महीने में देवी के मासिक चक्र का समय होता है और यह पर्व भी इसी दौरान काफी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दौरान माता के मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए तीन दिनों तक बंद कर दिए जाते हैं. मासिक चक्र के तीन दिन समाप्त होने के चौथे दिन भक्तों को माता के दर्शन करने की अनुमति दी जाती है. अंबुबाची मेले में शामिल होने के लिए दुनिया के हर कोने से लोग आते हैं.

अंबुबाची पर्व का क्या है धार्मिक महत्व

हिन्दू मान्यताओं की अगर माने तो इस पवित्र पर्व पर जो श्रद्धालु शामिल होते हैं उनपर मां कामाख्या की कृपा बरसती है. मान्यताओं की अगर माने तो इस पवित्र पर्व के दौरान जो भी श्रद्धालु अपणु पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ माता के दर्शन तथा साधना-आराधना करते हैं माता उनकी सभी मनोकामनाएं काफी जल्दी पूरी कर देती हैं. मान्यताओं की अगर माने तो मां कामख्या के दरबार में कोर्ट-कचहरी से लेकर इलेक्शन में जीत का आशीर्वाद मिलता है.

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