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Vikram Sarabhai Death Anniversary 2023:भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की पुण्यतिथि आज,जानें उनका योगदान

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Vikram Sarabhai Death Anniversary 2023: महान वैज्ञानिक और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर विक्रम अंबालाल साराभाई (Vikram Ambalal Sarabhai) की आज 30 दिसंबर, 2023 को 52वीं पुण्यतिथि है.

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Vikram Sarabhai Death Anniversary 2023: महान वैज्ञानिक और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर विक्रम अंबालाल साराभाई (Vikram Ambalal Sarabhai) की आज 30 दिसंबर, 2023 को 52वीं पुण्यतिथि है. भारत की वैज्ञानिक उन्नति का सबसे बड़ा श्रेय इसरो संस्था को दिया जाता है जिसकी स्थापना विक्रम साराभाई ने की थी.

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भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना

1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की। जिसे बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नाम दिया गया। डॉ विक्रम साराभाई ने दक्षिणी भारत में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन की भी स्थापना की।

ISRO की स्थापना में प्रमुख योगदान

भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए साल 1962 इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की गई, जिसका नाम साराभाई के आग्रह के बाद बदलकर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) कर दिया गया. उन्होंने दक्षिण भारत में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन भी स्थापित किया. साल 1966 में भौतिक विज्ञानी होमी भाभा (Physicist Homi Bhabha) के निधन के बाद साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. जिसके बाद परमाणु अनुसंधान के क्षेत्रों में होमी भाभा के प्रयासों को उन्होंने खूब आगे बढ़ाया. वो साराभाई ही थे जिन्हें परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और इसके विकास के लिए उन्हें काफी हद तक क्रेडिट दिया जाता है. उन्होंने रक्षा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास की नींव भी रखी.

विक्रम साराभाई पुरस्कार

साल 1966 में विक्रम साराभाई को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

साल 1972 में मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

विक्रम साराभाई के जीवन के बारे में जानें

विक्रम साराभाई का पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई था, जिनका जन्म 12 अगस्त 1919 में गुजरात के अहमदाबाद में हुआ. उनका परिवार शिक्षा के प्रति बहुत जागरूक था. एक समृद्ध जैन परिवार में जन्में साराभाई के घर उस वक्त के विभिन्न क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त लोग आया करते थे.

महान वैज्ञानिक साराभाई का निधन

विक्रम साराभाई को 30 दिसंबर, 1971 की रात मुंबई (बॉम्बे) प्रस्थान करने से पहले एमएलवी डिजाइन की समीक्षा करनी थी. तब उन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति से फोन पर बात की थी मगर बाचतीच के बीच में दिल का दौड़ा पड़ने की वजह से महज 52 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. अहमदाबाद में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया.

इसके अलावा भी विक्रम साराभाई ने अन्‍य संस्‍थान और लैब की स्‍थापना की हैं

1. भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद

2. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (आईआईएम), अहमदाबाद

3. कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद

4. दर्पण अकाडेमी फ़ॉर परफ़ार्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद

5. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम

6. स्पेस अप्लीकेशन्स सेंटर, अहमदाबाद

7. फ़ास्टर ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफ़बीटीआर), कल्पकम

8. वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रॉजेक्ट, कोलकाता

9. इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद

10. यूरेनियम कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल), जादूगुडा, बिहार

विक्रम साराभाई को भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सन् 1966 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। 30 दिसंबर 1971 को केरल/तिरुवनंतपुरम के कोवलम में ऐसे महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधन हुआ था. भारतीय अतंरिक्ष विज्ञान के जनक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के संस्थापक महान वैज्ञानिक एवं पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. विक्रम साराभाई जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन.

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