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पहली बार कर रहें वट सावित्री की पूजा, तो याद रखें ये बड़ी बातें, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

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Vat Savitri 2023: वट सावित्री को सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है जिसे विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है

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Vat Savitri 2023: वट सावित्री को सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है जिसे विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है. द्रिक पंचांग के अनुसार वट सावित्री और शनि जयंती एक ही दिन यानी 19 मई 2023 को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ रही है.

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पहली बार वट सावित्री पूजा

ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को वट सावित्री पूजा और व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि यह महिलाओं के लिए सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन लाएगा. हालांकि व्रत के पीछे भी एक कहानी है.

वट सावित्री पूजा कथा

सती सावित्री के पुण्य धर्म से प्रभावित होकर यमराज ने उनके पति सत्यवान के प्राण लौटा दिए. यमराज ने सावित्री को 100 संतानों का आशीर्वाद भी दिया, जिसके लिए सत्यवान को लंबी उम्र जीनी पड़ी. इस पौराणिक घटना के बाद से विवाहित महिलाएं हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखती हैं.

क्या करें क्या न करें

इस वर्ष, यह 19 मई को वट सावित्री की पूजा है. यदि आप व्रत रखना चाहते हैं, तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या करें और क्या न करें. ज्योतिषी के अनुसार वट सावित्री व्रत के लिए निम्नलिखित नियमों का सुझाव देते हैं-

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग की साड़ी पहनें.

  • बरगद के पेड़ के नीचे पूजा घर और पूजा स्थल को साफ करें. अशुद्धियों को दूर करने के लिए थोड़ा गंगाजल छिड़कें.

  • अब सप्तधान्य को बांस की टोकरी में भरकर उसमें भगवान ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित करें. दूसरी टोकरी में सप्तधान्य भरकर सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें. इस टोकरी को पहली टोकरी के बाईं ओर रखें.

  • अब इन दोनों टोकरियों को बरगद के पेड़ के नीचे रख दें. पेड़ पर चावल के आटे की छाप या पीठा लगाना होता है.

  • पूजा के समय बरगद के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाया जाता है और इसके चारों ओर 7 बार पवित्र धागा लपेटा जाता है. इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा करें.

  • इसके बाद पेड़ के पत्तों की माला बनाकर धारण करें, फिर वट सावित्री व्रत की कथा सुनें

  • फिर चने से पकवान बनाया जाता है और सास को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ पैसे दिए जाते हैं.

  • एक टोकरी में फल, अनाज, वस्त्र आदि रखें और किसी ब्राह्मण को दान कर दें.

  • 11 भीगे हुए चने खाकर व्रत तोड़ा जाता है.

वट सावित्री व्रत 2023 मुहूर्त

  • वट सावित्री अमावस्या शुक्रवार, 19 मई 2023 को

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ – मई 18, 2023 को 09:42 अपराह्न

  • अमावस्या तिथि समाप्त – 19 मई 2023 को रात्रि 09:22 बजे

20 मई, शनिवार को पारण का मुहुर्त

  • तिथि के मुताबिक : प्रातः 05:21 बजे से पूरे दिन

  • गुली काल मुहूर्त : सुबह 06:44 बजे से 08:25 बजे तक

  • अमृत काल मुहूर्त : सुबह 08:25 बजे से 10:06 बजे तक

  • अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक

  • शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:27 बजे तक

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