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Vaishakh Amavasya 2023: इन उपायों से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति

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Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या वैशाख के हिंदू महीने में आने वाली अमावस्या का दिन है जो आमतौर पर अप्रैल या मई में होती है. यह दिन हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह वैशाख के नए चंद्र महीने की शुरुआत का प्रतीक है.

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Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या वैशाख के हिंदू महीने में आने वाली अमावस्या का दिन है जो आमतौर पर अप्रैल या मई में होती है. यह दिन हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह वैशाख के नए चंद्र महीने की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और धार्मिक स्थलों में जप-तप-दान करने का विशेष महत्व होता है. वैशाख अमावस्या के दौरान, कुछ अनुष्ठानों को करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलता है. साथ बी पितरों को खुश करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करने लिए शुभ दिन माना गया है. जानिए वैशाख अमावस्या 2023 कब है, इसका महत्व?

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Vaishakh Amavasya: पूजा मुहूर्त

इस वर्ष वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल 2023 को मनाई जाएगी. अमावस्या 19 अप्रैल 2023 को 11:24 से प्रारंभ होकर 20 अप्रैल 2023 को 09:43 बजे समाप्त होगी.

वैशाख अमावस्या पर कैसे करें पूजा?

वैशाख अमावस्या में कई तरह के काम किए जाते हैं. जिनमें से एक महत्वपूर्ण कार्य है अपने पूर्वजों के प्रति हमारा सम्मान और तर्पण का कार्य. अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. यदि आप किसी नदी या जलाशय के पास रहते हैं तो उसमें स्नान करना चाहिए. यदि यह संभव न हो तो घर में ही स्नान करना पर्याप्त होगा. नहाते समय – नहाने के पानी में गंगाजल, हल्दी और तिल डालकर स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद श्री हरि की पूजा करनी चाहिए और इष्ट देव की प्रार्थना करनी चाहिए. परिवार के बुजुर्ग सदस्यों का आशीर्वाद लेना चाहिए. साथ ही सूर्य को तांबे के बर्तन में जल चढ़ाना चाहिए. सूर्य देव की पूजा करने के बाद अपने पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए.

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वैशाख अमावस्या के दिन क्या करें

  • तिल को पानी में डाल दें या दान में दे सकते हैं.

  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और व्रत करना चाहिए.

  • गरीबों और अभागे लोगों को खाने की चीजें दान करनी चाहिए.

  • इस दिन पीपल के पेड़ की जड़ में दूध और जल डालना चाहिए.

  • शाम के समय पीपल के पेड़ के सामने सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाना चाहिए.

  • ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करना चाहिए.

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वैशाख अमावस्या पर क्यों है पितृ कार्य का महत्व और क्या है इसका महत्व?

वैशाख अमावस्या के संबंध में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण नहीं करता है तो उसके पूर्वजों को कष्ट होता है. जातक पितृ दोष से भी पीड़ित होता है. गरुड़ पुराण के अनुसार जब तक पितरों का श्राद्ध नहीं किया जाता तब तक उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है. इसलिए पितृ तर्पण को महत्व दिया गया है क्योंकि अमावस्या पितरों को समर्पित होती है. एक प्राचीन ग्रंथ के अनुसार भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध और तर्पण किया था, जिससे उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और उनकी आत्मा स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर गई.

इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष बनता है या परिवार में शांति का अभाव रहता है, संतान सुख नहीं मिल पाता है, जीवन में सफलता और सुख नहीं मिल पाता है तो ऐसी स्थिति में पितृ दोष का पालन करना चाहिए. दोष व्यक्ति के लिए मददगार साबित होगा और उन्हें जीवन में सकारात्मकता मिलेगी.

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वैशाख अमावस्या कथा

वैशाख अमावस्या को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक कथा यह भी है कि प्राचीन काल में एक नगर में धर्मवर्ण नाम का एक ब्राह्मण रहता था. वह ब्राह्मण शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का था. वे निर्धन होते हुए भी सदैव मन और कर्म से शुभ कार्यों में लगे रहते थे. वह हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते थे. वह हमेशा संतों और ऋषियों का सम्मान करते थे. सत्संग में भी भाग लेते थे.

एक सत्संग के दौरान उन्हें पता चला कि कलयुग में भगवान विष्णु का नाम लेने से सारे संकट दूर हो जाते हैं और श्री हरि के नाम का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने श्री हरि के नाम का जाप करना शुरू किया और सांसारिक जीवन से मुक्त होने के लिए वानप्रस्थ को अपना लिया और सन्यास स्वीकार कर लिया. भ्रमण के दौरान उन्होंने पितृलोक का भ्रमण किया. वहां वह देखता है कि उसके पूर्वजों को कष्ट हो रहा है.

धर्मवरन जब इस कष्ट का कारण पूछते हैं तो पूर्वज बताते हैं कि सांसारिक जीवन का त्याग करने और गृहस्थ जीवन का पालन न करने के कारण उनका परिवार आगे नहीं बढ़ सका और इसके कारण वे पीड़ित हैं. अगर धर्म वरण को संतान नहीं होगी तो पिंडदान कौन करेगा. हम भोगते रहेंगे और मुक्ति नहीं मिलेगी. इसलिए हमारी मुक्ति के लिए आप गृहस्थ जीवन का पालन करें और हमारी मुक्ति का मार्ग खोलें और आने वाली वैशाख अमावस्या के दिन हमें पिंडदान दें. यह सुनकर वह अपने पूर्वजों को वचन देते हैं. वह सन्यास को त्याग देता है और सांसारिक कार्यों को पूरा करते हुए गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है. उन्हें संतान की प्राप्ति हुई और आने वाली अमावस्या पर वे पूरे विधि-विधान से पिंडदान करते हैं.

वैशाख अमावस्या के दिन अपने खान-पान का ध्यान रखें

यदि कोई व्यक्ति इस दिन व्रत का पालन कर रहा है तो उसे शुद्ध और सात्विक आचरण का पालन करना चाहिए. यह वह समय है जब शरीर और आत्मा दोनों को शुद्ध होना चाहिए. धर्म शास्त्रों में मन, वचन और कर्म की पवित्रता को हमेशा महत्व दिया गया है. इन सबमें मन की पवित्रता को सर्वाधिक महत्व दिया गया है. मानसिक रूप से शुद्ध की गई शुद्ध तपस्या हमारे अंतःकरण को शुद्ध करती है और हमारी आत्मा को भी पवित्रता से भर देती है. यदि व्रत करना संभव न हो तो सात्विक भोजन करने से जीवन की अशुद्धि कम होती है. यह स्थिति तन और मन दोनों की पवित्रता को प्रभावित करती है.

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