Type 2 Diabetes: डायबिटीज अब केवल उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारी नहीं रह गई है, इसका खतरा हर उम्र के लोगों में देखा जा रहा है. आंकड़े बताते हैं कि 30 साल से कम उम्र के युवा और यहां तक कि छोटे बच्चे भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. ब्लड शुगर बढ़ने की यह बीमारी शरीर में कई तरह की परेशानियां बढ़ा सकती है, इतना ही नहीं, डायबिटीज के मरीजों को दिल-गुर्दे की बीमारियों का भी खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए सभी लोगों को टाइप-2 डायबिटीज के प्रति सावधान रहने और बचाव के उपाय करते रहने की जरूरत है.
बच्चों में बढ़ती इस बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ काफी चिंतित हैं. साल 2021 में दुनियाभर में बच्चों और किशोरों में टाइप-2 मधुमेह के करीब 41,600 नए मामले सामने आए. इनमें सबसे ज्यादा मामले चीन, भारत और अमेरिका में सामने आए. डॉक्टरों का कहना है कि मधुमेह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं. बच्चों में मधुमेह का खतरा बढ़ने के कई कारण हैं, जिसके चलते सभी अभिभावकों को सतर्क रहने की जरूरत है.
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बच्चों में डायबिटीज का खतरा
टाइप-2 डायबिटीज वयस्कों में आम है, लेकिन मोटापे और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण बच्चों में इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. अपने बच्चे में टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने या रोकने के लिए प्रयास करना आवश्यक है.
बच्चे को स्वस्थ आहार लेने, शारीरिक गतिविधि करने और व्यायाम करके वजन नियंत्रण बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करें. बच्चों में डायबिटीज का उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर सीधा प्रभाव पड़ता है. आइए जानते हैं कि यह खतरा क्यों बढ़ता है.
टाइप-1 डायबिटीज की समस्या
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बच्चों में डायबिटीज का एक प्रमुख कारण है. अगर माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य को मधुमेह है, तो बच्चों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है. आमतौर पर बच्चों में टाइप-1 मधुमेह के मामले अधिक देखे जाते हैं, जो मुख्य रूप से एक ऑटोइम्यून बीमारी है। हालांकि, अब टाइप-2 का खतरा भी बढ़ गया है.
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टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है. इसका सटीक कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि आनुवंशिकी के साथ-साथ पर्यावरणीय परिस्थितियां भी जोखिम को बढ़ा सकती हैं.
मोटापा एक बड़ा जोखिम है
मोटापा बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज का एक बड़ा कारण है. अधिक वजन शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल करने से रोकता है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होता है. मोटापे के लिए अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन जिम्मेदार है. चिंताजनक बात यह है कि भारत में मोटापे से पीड़ित बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे मधुमेह का खतरा भी बढ़ गया है.
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लाइफ स्टाइल और डाइट
बच्चों का ज्यादातर समय टीवी-मोबाइल जैसी स्क्रीन के सामने बिताना उन्हें शारीरिक रूप से निष्क्रिय बना देता है. इससे शरीर की कैलोरी बर्न करने की क्षमता प्रभावित होती है और वजन बढ़ने लगता है. यह कम उम्र में टाइप-2 डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का भी एक बड़ा कारण है.
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इसके अलावा फास्ट फूड, मीठे पेय पदार्थ और स्नैक्स का अधिक सेवन भी बच्चों में मोटापे और डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाता है. कार्बोहाइड्रेट और चीनी से भरपूर आहार इंसुलिन प्रतिरोध और मोटापे का कारण बनते हैं, जिसके कई दीर्घकालिक नुकसान हो सकते हैं.