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Bihar Tourism: नालंदा महाविहार भारत के समृद्ध इतिहास का प्रमाण है. यह दर्शाता है की प्राचीन भारत कितना उन्नत और संपन्न था. तो अगर आप भी इतिहास में रुचि रखते हैं तो चलिए आपको नालंदा के खंडहर के बारे में बताते हैं.

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Bihar Tourism: बिहार राज्य अपने संस्कृति,साहित्य और इतिहास के लिए मशहूर है. यहां के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक विरासत, खूबसूरत वास्तुकला,धार्मिक केंद्र और शिलालेखों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां कि ऐतिहासिक विरासत को देखने आते हैं. बिहार जैन,बुद्ध और अशोक जैसे महापुरुषों की धरती है. यहां मौजूद नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर भारत के गौरवान्वित इतिहास का प्रमाण है.अगर आप भी इतिहास में रूचि रखते हैं और ऐसी जगहों पर जाने की सोच रहे हैं,तो नालंदा विश्वविद्यालय होगा आपके लिए खास.

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Bihar Tourism: कैसे पहुंचे नालंदा

नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर, बिहार राज्य में स्थित है. यह स्थान पटना से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर है. नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास काफी समृद्ध रहा है इसकी स्थापना गुप्त साम्राज्य के सम्राट कुमारगुप्त ने 5वीं शताब्दी में की थी. यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध था, देश-विदेश से छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे. करीब 700 से 800 वर्षों तक यह विश्वविद्यालय भारत का गौरव बना रहा, उस वक्त लगभग 2000 शिक्षक और 10000 विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय में रहते थे. 12वीं शताब्दी के बाद इस विश्वविद्यालय का केवल खंडहर बचा है,जो पर्यटकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है.

Bihar Tourism: इतिहास का महत्वपूर्ण अंग

नालंदा विश्वविद्यालय इतिहास का एक अहम अंग है,जो 30 एकड़ में फैला हुआ एक विशाल शिक्षा का केंद्र था. यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था. नालंदा विश्वविद्यालय अपनी वास्तु कला, ज्ञान संग्रहण और शिक्षा के कारण समस्त विश्व में प्रसिद्ध था. यहां छात्रों को हर विषयों से संबंधित शिक्षा दी जाती थी. यह विश्वविद्यालय प्राचीन काल में विद्यार्थियों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र था. इस विश्वविद्यालय के बचे हुए अवशेष आज भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. यह विश्वविद्यालय बौद्ध मठ के तर्ज पर बना था. करीब 700 वर्षों के समय में नालंदा विश्वविद्यालय मैं संपूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त कर ली थी. यह यूनेस्को की वैश्विक धरोहर स्थल में शामिल है, जो भारत के संपन्न व समृद्ध इतिहास को दर्शाता है. 12वीं शताब्दी के दौरान अफगान-तुर्क आक्रमणकारियों ने बख्तियार खिलजी के आदेश पर विश्वविद्यालय में आग लगा दी थी, जिसके कारण यह नष्ट हो गया. नालंदा महाविहार में विश्वविद्यालय के साथ अनेकों मठ और मंडप थे, जो आग में झुलस गए. नालंदा महाविद्यालय परिसर इतना बड़ा था कि आग लगाने के 3 महीने बाद तक यह जलता रहा. वर्तमान में बचे नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष यूनिवर्सिटी और मठों का केवल कुछ हिस्सा है, जो भारत की विविध संस्कृति के इतिहास को दर्शाते हैं. यह बिहार का एक मुख्य पर्यटन स्थल है, जो आज भी अपने इतिहास और वास्तुकला के लिए विश्व में प्रसिद्ध है.

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Bihar Tourism: क्या है विशेषता

नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था जो विश्व विख्यात था. यहां विभिन्न धर्मों और अनेक देशों के लोग पढ़ने आते थे. सातवीं शताब्दी के दौरान एक प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने एक वर्ष यहां विद्यार्थी के रूप में बिताया था. इस विश्वविद्यालय को नालंदा महाविहार के नाम से भी जाना जाता है. नालंदा महाविहार में शिक्षकों और विद्यार्थियों के पढ़ने के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय थी,जो करीब 3 लाख से अधिक किताबों का संग्रह था. यह विशाल पुस्तकालय तीन भवनों में स्थित था, जिनका नाम ”रत्नरंजक” ”रत्नोदधि” और ”रत्नसागर” था. यहां हाथ लिखित पुस्तकों का भी संग्रह था. यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का नायाब उदाहरण है.

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