28.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 04:46 pm
28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अगर देखना है हिमालय की बर्फ आच्छादित चोटियां, तो जरूर जाएं उत्तरकाशी में हिल स्टेशन बरकोट

Advertisement

बरकोट समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां से हिमालय की बर्फ आच्छादित चोटियां दिखतीं हैं जिन पर जब सूर्य की किरणें पड़तीं हैं तो लगता है स्वर्ण जड़ित ताज पहन कर पर्वत अपनी शोभा बिखेर रहे हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

लेखिका-कविता विकास

बरकोट समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां से हिमालय की बर्फ आच्छादित चोटियां दिखतीं हैं जिन पर जब सूर्य की किरणें पड़तीं हैं तो लगता है स्वर्ण जड़ित ताज पहन कर पर्वत अपनी शोभा बिखेर रहे हैं.

यमुनोत्री और गंगोत्री के लिए यहां से रास्ते अलग होते हैं

यात्रा का जुनून हो और साथ जाने वालों में बुजुर्ग और किशोर भी हों तो एक ऐसी मंजिल का चुनाव सही है, जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ज्यादा ऊंचाई न हो. ऐसा ही एक पर्वतीय स्थल है बरकोट. हमारे पांच सदस्यों के परिवार समूह ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बरकोट हिल स्टेशन का जब चुनाव किया, तब हमें भी इसके बारे में बहुत पता नहीं था. बस इतना ही जानते थे, कि यमुनोत्री और गंगोत्री के लिए यहां से रास्ते अलग होते हैं.

खूबसूरत पहाड़ी पेड़ बुरांश के जंगल

जून के अंतिम सप्ताह में ऋषिकेश से हमने बरकोट की यात्रा की. रास्ते भर खूबसूरत पहाड़ी पेड़ बुरांश के जंगल मिलते गए. चीड़, देवदार और फर आदि के खूबसूरत जंगल तो थे ही. यह मौसम बारिश का था, रास्ते में उमड़ते-घुमड़ते बादल भी मिलते रहे और कभी-कभी हल्की फुहारें भी. यूं भी पहाड़ों में कब बारिश आ जाए, कहा नहीं जा सकता.

लेकिन यह नजारा तो अद्भुत था, बिलकुल हाथ से छू लेने वाली नजदीकी पहाड़ी पर काले-काले धुएं का फैल जाना फिर बरस कर संतृप्त हो जाना और तुरंत झिलमिलाती रोशनियों वाले सूर्य का उग जाना. हमें पता नहीं था कि ठंड कैसी होगी, लेकिन एक चाय के ढाबे पर चाय-पकौड़ियों के लिए रुकना पड़ा और तभी मोटे ऊनी कपड़े भी निकालने पड़े. थोड़ी देर रुकने के बाद फिर यात्रा आरंभ हुई. ड्राइवर ने बताया कि शाम तीन-चार बजे तक बरकोट पहुंच जाना है.

बरकोट समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर बसा है

पहाड़ी रास्तों पर यूं भी अंधेरा घिरने के पहले गंतव्य तक पहुंचना ठीक रहता है. पहाड़ी रास्तों के फिसलन और भूस्खलन की तमाम वजहों के बावजूद ईश्वर की कृपा रही कि हम बरकोट पहुंच गए. बरकोट समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां से हिमालय की बर्फ आच्छादित चोटियां दिखतीं हैं जिन पर जब सूर्य की किरणें पड़तीं हैं तो लगता है स्वर्ण जड़ित ताज पहन कर पर्वत अपनी शोभा बिखेर रहे हैं.

यहां से बंदरपूंछ श्रेणी सबसे निकट है. कहा जाता है कि महाभारत की लड़ाई के पहले जब भीम को अपने महाबलशाली होने पर घमंड हो गया था, तो हनुमान जी ने उनके इस घमंड को तोड़ने का एक उपाय किया. वह जब फूल ले कर लौट रहे थे, हनुमान जी ने अपनी पूंछ से उनका रास्ता रोक दिया. भीम ने साधारण पूंछ समझ कर उसे एक हाथ से हटाने की कोशिश की, लेकिन लाख प्रयास करके भी उस पूंछ को वह नहीं हटा पाए. उन्हें यह अहसास हो गया कि वह कोई साधारण पूंछ नहीं है, तब उनके आग्रह पर हनुमान जी ने अपने को प्रकट किया और भीम को अपने महाबलशाली होने का घमंड चूर होता है.

यहां की सुंदरता अभी तक नैसर्गिक है

यह सुंदर छोटा-सा शहर उत्तरकाशी का एक रमणीक स्थल है, यमुना नदी के तट पर बसा हुआ. यहीं से यमुनोत्री और गंगोत्री के लिए सड़कें अलग होती हैं. हमें जिस होटल में ठहरना था, वहां से ठीक सामने बंदरपूंछ पर्वत था और नीचे वेगवती यमुना. गजब का आकर्षण था. तिकोने पत्ते वाले पेड़ों से घिरा यह रमणीक स्थल यमुनोत्री का मुख्य मार्ग होते हुए भी बहुत ज्यादा भीड़ से बचा हुआ है. इसी कारणवश यहां की सुंदरता अभी तक नैसर्गिक है. जनसंख्या भी कम है. दूसरे दिन हमने बारकोट के स्थानीय मंदिर जिनसे जुड़ी अनेक पौराणिक कहानियां हैं, उनका दर्शन किया. गांव के रास्ते से होकर यमुना जी के दर्शन किए. छू कर, नहा कर समीप बने शिव मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. यह स्थान मुख्य यमुनोत्री धाम का छोटा रूप है.

यमुना को उसके अल्हड़ रूप में देखना जहां आह्लादित कर रहा था, वहीं उसका वेग डर भी पैदा कर रहा था. गांव वालों ने एक सीमा रेखा बना रखी थी, जिसके बाद पानी में जाना मना था. दोनों तरफ खड़ी पहाड़ियों के बीच से यमुना की धारा तेज आवाज करती डरावनी भी लग रही थी. हमने वहां ट्रेकिंग के लिए नामी स्थलों को भी देखा और अनेक पहाड़ी फलों का आस्वादन किया जिनमें खुबानी बहुत प्रसिद्ध है. यहां बहुत सैलानी आते हैं. कुछ तो स्वास्थ्य लाभ के लिए भी और कुछ चार धाम की यात्रा के बाद थकान मिटाने के लिए भी. यहां देहरादून या ऋषिकेश से सड़क के रास्ते आराम से पहुंचा जा सकता है.

कैसे पहुंचें

बरकोट का नजदीकी स्टेशन ऋषिकेश और देहरादून है. वहां से और उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से बस और टैक्सी चलती हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें