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Tips and Tricks: अगर बच्चा हो जाए उदास तो अपनाएं ये उपाय

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अगर आपका बच्चा किसी बात से अपसेट है या उसने आपसे बात करनी कम कर दी है, तो अभिभावक को थोड़ी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. ऐसे में बच्चों के मन को कैसे ठीक करें, इसे लेकर जान लें ये उपाय जो आपके लिए हो सकते हैं मददगार...

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Tips and Tricks: बच्चों का मन काफी कोमल होता है. छोटी-छोटी बातों को वे अपने दिल से लगा लेते हैं. अगर किसी बात को लेकर आप उन्हें कुछ बोल देती हैं या डांट देती हैं, तो वे अपसेट और चिढ़चिढ़े हो जाते हैं. बच्चों के दुखी होने, गुस्सा आने और टेंशन लेने की कई अन्य वजहें भी हो सकती हैं. मसलन, भाई-बहन या दोस्तों के बीच लड़ाई, किसी के परेशान करने पर या परिवार में किसी को लड़ाई करते देख, बच्चे अक्सर उदास हो जाते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को अपने बच्चों पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि उस समय उन्हें अकेला छोड़ने से वे आपसे दूर जा सकते हैं और उन्हें बुरा भी लग सकता है. अगर आपका बच्चा भी किसी बात को लेकर उदास हो जाता है, तो ये उपाय आपके लिए मददगार हो सकते हैं.

बच्चे को थोड़ा समय व स्पेस दें

डांट पड़ने या किसी अन्य कारणों के चलते अगर आपका बच्चा उदास हो जाता है, तो सबसे पहले उसे थोड़ा स्पेस दें. साथ ही उसके लिए कुछ सीमाएं सुनिश्चित करके रखें. ऐसा जरूरी नहीं है कि आपका बच्चा आपसे हर छोटी-सी-छोटी बात साझा करे. उसे थोड़ा समय और स्पेस दें, जिससे सही समय आने पर वह खुद आकर आपसे बात कर सके.

बात सुनने वाला बनें

जब बच्चा आपसे बात करने आये या आपसे कुछ कहने की कोशिश करे, तो आप उसकी बातों में अपनी राय या बातें बोलना ना शुरू कर दें. इसकी बजाय पहले बच्चे की पूरी बात सुनें. इसके बाद ही उस पर कोई प्रतिक्रिया दें.

बच्चे को प्राथमिकता दें

ज्यादातर पैरेंट्स ऑफिस व घर के कामों में व्यस्त रहते हैं. जब बच्चा उनसे बात करने आता है, तो वे उसे बाद में आने की कह देते हैं. जब बच्चा उदास हो और आपसे बात करने आये, तो सबसे पहले आप उसे प्राथमिकता दें.

बच्चे के प्रति सपोर्टिव बनें

अगर आपका बच्चा आवेश या गुस्से में आकर आपको खुद से दूर रहने की बात कहता है, तो आप उसकी बात तो मानें, पर उसके आसपास ही रहें. इससे बच्चा यह देखना चाहता है कि आप उसके प्रति कितने सपोर्टिव व धैर्यवान हैं. बच्चों को हमेशा अपने पैरेंट्स से और प्यार की उम्मीद रहती है.

खुद दुखी ना हो

बच्चों को अपने माता-पिता से काफी उम्मीद रहती है. जब बच्चा अपसेट होने पर आपसे बात करने आता है या अपने मन की बात कहने की कोशिश करता है, तो उसकी बात को सुनकर आप खुद अपसेट ना हों. इससे बच्चे को और अधिक निराशा हो सकती है.

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