21.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 01:18 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Quit India Movement: कैसे शुरू हुई स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति, इन महिला नायकों ने निभाई अहम भूमिका

Advertisement

Quit India Movement: भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका भी अहम थी. ये वो महिलाएं थीं जो अगस्त क्रांति का हिस्सा बनीऔर देश की आदाजी में अपना सहयोग दिया. 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति की याद में मनाया जाता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Quit India Movement: भारत में स्वतंत्रता की मांग को लेकर हुए आंदोलन में अगस्त क्रांति की भूमिका अहम थी. 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति की याद में मनाया जाता है. इसी दिन भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस क्रांति को अगस्त क्रांति के नाम से जाना जाता है.

- Advertisement -

दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन के बावजूद अंग्रेज भारत को आजाद कराने के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गई. इसे आजादी की आखिरी लड़ाई कहा जा सकता है, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार सकते में आ गई थी. महात्मा गांधी के साथ-साथ सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण समेत स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया था.

also read: Jharkhand Tourism: झारखंड की यह जगह है बैंबू क्राफट के लिए…

also read: Unsung Heroes: आंदोलन, जेल और रिहाई के बाद की 10वीं की पढ़ाई, जानिए कौन हैं जंगी लाल? झारखंड में भी हुए मशहूर

भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका भी अहम थी. अगस्त क्रांति का हिस्सा बनने वाली पांच महिला आंदोलनकारियों के बारे में भी जानना चाहिए.

अगस्त क्रांति की 5 महिला कार्यकर्ता

अरुणा आसफ अली

अरुणा आसफ अली नमक सत्याग्रह के दिनों से ही स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थीं, लेकिन उन्हें पहचान 9 अगस्त 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में मिली, जब उन्होंने सभी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराने के समारोह का नेतृत्व किया. सितंबर 1942 में दिल्ली प्रशासन ने अरुणा आसफ को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. इसके चलते उनका घर और संपत्ति समेत सब कुछ नीलाम कर दिया गया.

मातंगिनी हाजरा

मातंगिनी हाजरा बंगाल के मिदनापुर की रहने वाली थीं. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम किया. 73 वर्षीय मातंगिनी हाजरा के नेतृत्व में 6 हजार प्रदर्शनकारियों ने तामलुक स्टेशन तक मार्च किया. प्रदर्शन के दौरान जब वे तामलुक में लालबाड़ी पर कब्जा करने गईं, तो पुलिस की गोलीबारी में शहीद हो गईं. उन्होंने सिस्टर आर्मी की स्थापना की थी.

also read: Unsung Heroes: कौन है राजकुमार शुक्ल? इनके जिद्द ने गांधी जी को किया मजबूर, फिर ऐसे बनें ‘महात्मा’

सरोजिनी नायडू

नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सरोजिनी नायडू ने सत्याग्रहियों का नेतृत्व किया. वे भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुईं और इस दौरान गिरफ्तार किए गए प्रमुख नेताओं में से एक थीं. उन्हें पुणे के आगा खान पैलेस में रखा गया था. 10 महीने जेल में रहने के बाद वे रिहा हुईं और राजनीति में सक्रिय हो गईं. आजादी के बाद वे उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं. मार्च 1949 में अपने कार्यकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.

मीराबेल

मेडलिन स्लेड नाम की महिला ब्रिटेन के एक कुलीन परिवार से ताल्लुक रखती थीं. गांधीजी से प्रभावित होकर वे भारत आईं और यहीं की होकर रह गईं। जब उनका नाम बदला गया तो उन्हें मीराबेन के नाम से जाना गया. उन्होंने गांधीजी के साथ हर आंदोलन में हिस्सा लिया. खादी को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में यात्रा की. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मीराबेन को गांधीजी के साथ गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 21 महीने तक जेल में रखा गया था। आजादी के बाद वे उत्तर प्रदेश सरकार के ग्रो मोर फूड अभियान की सलाहकार बन गईं.

सुचेता कृपलानी

उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. 1943 में जब कांग्रेस में महिला विभाग की स्थापना हुई तो सुचेता कृपलानी को सचिव बनाया गया. स्वतंत्र भारत में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य बनीं और बाद में लोकसभा की सदस्य बनीं. 1963 में वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और उन्हें भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ. इसके अलावा सुशीला नायर, उषा मेहता, कमला देवी चट्टोपाध्याय, पूर्णिमा बनर्जी, कनकलता बरुआ और तारा रानी श्रीवास्तव समेत कई महिला स्वतंत्रता सेनानी भी इस सूची में शामिल हैं.

also read: Unsung Heroes: कौन हैं श्रीनारायण दास, जिन्होंने आजादी के लिए छोड़ी पढ़ाई और आंदोलन में दिया योगदान

Trending Video

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें