23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Raksha Bandhan 2023: आती मैं रहूं हर साल, राह निहारे भौजाई

Advertisement

दुनिया में भाई-बहन का रिश्ता बहुत खास होता है, जिसमें तकरार है, तो प्रेम भरा स्नेह भी. सबसे जरूरी जो इस रिश्ते को खास बनाता है, वह है जिम्मेदारी. भाई छोटा हो या बड़ा, एक बहन के लिए सुरक्षा कवच होता है. यूं कहें कि बहन का पूरा आकाश ही भाई होता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सोनम लववंशी

- Advertisement -

दुनिया में भाई-बहन का बंधन ही है, जो बचपन के सुहाने सफर में लंबे समय तक साथ रहता है. बहन छोटी हो या बड़ी, पर भाई के बड़प्पन तो हमेशा बना रहता है. छोटी-छोटी बातों में भाई से रूठना, अपनी जिद पूरी करवाना और उसकी हर चीज को झपट लेना तो जैसे बहना का अधिकार ही होता है. समय के साथ यूं तो हर रिश्ता बदल जाता है, लेकिन भाई-बहन के बीच का प्यार हमेशा बरकरार रहता है. यह रिश्ता जीवन के हर उतार- चढ़ाव से गुजरते हुए हमेशा जीवंत बना रहता है. बचपन की मासूमियत से लेकर युवा होने की दहलीज तक अनगिनत यादों से भरा हुआ सफर. आज भी जब इस रिश्ते को याद करती हूं, तो थोड़ी-सी चिंता, बचपन का लड़कपन, एक जिम्मेदारी और न जाने कितने भाव एक साथ हिलोरे मारने लगते हैं. बचपन की खट्टी-मीठी यादें भाई-बहन के बिना पूरी नहीं हो सकती हैं. आज वो बचपन तो नहीं रहा, मगर आज भी रक्षाबंधन आते ही वो सारी बातें नजरों के सामने घूमने लगती हैं.

भाई को स्नेह भरा एक खत

यहां एक बहन अपने प्यारे भाई से अपनी कुछ भावनाएं साझा कर रही है, जिसमें हर एक बहन का प्रेम प्रतिबिंबित होता है. भाई, फोन पर अक्सर हम एक-दूसरे का हालचाल ले लेते हैं, व्हाट्सएप्प पर मैसेज शेयर कर लेते हैं, फिर अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं. मन की कई बातें हैं, जो मन में ही दबी रह जाती हैं. तू सामने होता तो जी भर रो लेती! कई बरस हो गये, तुझे रक्षाबंधन पर अपने हाथों से राखी बांधे हुए. इस बार भी तुझे डाक से राखी भेज रही हूं. आज तुम्हें राखी पोस्ट करते ही मन फिर से भर आया है, इसलिए राखी के साथ अपनी कुछ भावनाएं भी भेज रही हूं, इन्हें मेरा आशीर्वाद समझ कर रख लेना! कोरोना ने जब हमारी हंसती-खेलती जिंदगी में ग्रहण लगाया, हमारे पापा को हमसे छीन लिया, तब भाई वो तुम ही थे, जो मम्मी और हम सबका सहारा बने. कहने को तो भाई तू बहुत छोटा था, पर एक ही पल में न जाने कैसे जिम्मेदार और मजबूत बन गया.

वो तू ही था, जिसे बचपन में ‘नालायक’ कहकर चिढ़ाया करती थी, पापा से अक्सर तेरी झूठमूठ शिकायतें करती थी, पर पिता का साया छूटते ही जाने कब भाई तू पिता के आंगन की सुकून भरी छांव बन गया. आज हैरत में हूं कि वो तू ही था ना जो कभी चॉकेलेट, मिठाई के लिए मुझसे लड़ता था, वो तू ही था ना जो मुझसे मेरे खिलौने छीन लिया करता था, फिर आज कैसे तू मेरी मां बन गया… वो पिता बन गया… जो मायके जाने पर मेरे हर सुख-दुख का ख्याल रखने लगा. तीज-त्योहार पर मायके की ओर से सारी जिम्मेदारी निभाने लगा. सच है हर बेटी अपने पिता की जान होती है, लेकिन पिता की तरह स्नेह एक भाई ही दे सकता है.

सच कहूं तो मन में एक डर था कि शादी के बाद मेरा भाई मुझसे छिन जायेगा, मगर बहन के प्रति तुम्हारे प्रेम और समर्पण ने साबित कर दिया कि ये रिश्ता भाई के साथ भाभी संग भी मिठास जोड़ देता है, उसकी मुख्य कड़ी भाई ही होता है… तभी तो इस पर्व पर एक राखी (जुड़ा या लुंबा) भाभी को भी बांधी जाने लगी है. तभी तो इस पर्व पर भाई से पहले भाई को ननद के आने का इंतजार रहता है. भगवान से यही मांगती हूं कि तू सदा स्वस्थ रहे, खुश रहे और हमारे रिश्ते की मिठास यूं ही बनी रहे. अगले बरस मायके आकर ही तुझे राखी बाधूंगी, ये पक्का वादा रहा मेरा. हमारी फिक्र करने और ढेर सारा ख्याल रखने के लिए मेरे छुटकू भाई को ढेर सारा प्यार! – तेरी सोना दीदी

‘मुझे भी राखी पर दीदी जैसे पैसे चाहिए’

मुझे बरसों-बरस हो गये जब मैंने सामने बिठा कर अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी हो. ये त्योहार सच पूछा जाये तो बचपने का ही है. अपने छोटे भाई को सामने बिठा तिलक लगाते ब्लैक एंड व्हाइट फोटो को जब देखती हूं, तो असीम प्यार उमड़ आता है, पर बड़े होने पर शादी-नौकरी इत्यादि सामाजिक जिम्मेदारियों के कारण अक्सर रक्षाबंधन के लिए वक्त मिलना नहीं हो पाता है. डाक से राखी भेज संतोष करनी होती है.

आज भी छोटे भाई की बातें याद आती हैं. हमें एक बराबर पॉकेट मनी मिलती थी, जिसे हम खर्च नहीं कर गुल्लक में डाल देते थे. जब साल भर बाद गुल्लक तोड़ा जाता, तो मेरे पैसे अधिक होते, क्योंकि राखी के वक्त मुझे राखी बंधाई जो मिलती थी, तब भाई कहता, ‘मुझे भी राखी पर दीदी जैसे पैसे चाहिए.’ छुटपन की ये खट्टी-मीठी यादें हर रक्षाबंधन पर याद आती हैं.

बेटियों को लता नहीं, पेड़ बनाइए

भाई छोटा हो या बड़ा, वह हमेशा अपनी बहन की रक्षा करेगा, ये माना जाता है. यह बहन से रक्षा सूत्र बंधवाने की प्राचीन परंपरा है, तब से जब स्त्रियों को अबला मान कर ही पोषित किया जाता था. जब लड़के बड़े होकर पिता की जिम्मेदारी संभाल लेते थे और लड़कियां एक खूंटे से दूसरे खूंटे में बांध दी जाती थीं. ये भाई और बहन का ऐसा त्योहार है, जिसमें न पंडित की जरूरत है और न पूजा-पंडाल की. ये रिश्तों का त्योहार है, जिसमें बचपन की यादें समाहित रहती हैं. आज बदलते युग में इस पर्व की कद्र नहीं कर पाते हैं और रिश्तों की गांठ ढीली पड़ने लगती है. लेन-देन की परंपरा भी इसे भारी बना जाती है. अपेक्षाओं और उपेक्षाओं की तुला पर त्योहार का रंग फीका होते देर नहीं लगती है. अत: कितना सुंदर हो कि प्यार का ये रिश्ता प्यार से ही मनाया जाये.

बदलते वक्त के साथ जहां लड़कियों की परवरिश और उनके प्रति सोच में बदलाव आया है. ठीक है भाई से रक्षा का वचनलिया जाये, पर क्या ये ज्यादा जरूरी नहीं अपनी रक्षा की काबलियत का भी उन्नयन किया जाये? बिल्कुल, लड़कियां खुद इस रूपेण विकसित हों कि अपनी रक्षा– चाहे वो आर्थिक हो, भौतिक हो या फिर मानसिक, वे स्वयं कर सकें. बेटियों को लता नहीं, पेड़ बनाइए. सो इस रक्षाबंधन सभी महिलाओं से आग्रह है कि एक राखी अपने लिए भी लें. जरूरत पड़ने पर भाई तो होगा ही… भाई-बहन के स्नेह पर्व की बहुत बधाई! – रीता गुप्ता

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें