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International Moon Day आज, जानें कैसे हुई चांद की उत्पत्ति और इससे जुड़े रोचक तथ्य

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आज अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाया जा रहा है. भारतीय पुराण में चंद्रमा को देवता का रूप दिया गया है और बचपन से हम चांद से जुड़ी कहानियां सुनते आए हैं. चांद से जुड़ी कोई भी बात हमें बेहद आकर्षित करती है. चंद्रमा का इतिहास बहुत पुराना है. चलिए तो इस चंद्रमा दिवस जानते हैं चांद से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.

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हर साल, 20 जुलाई को चंद्रमा दिवस मनाया जाता है. यह दिन उस दिन की याद दिलाता है जब मानव ने पहली बार वर्ष 1969 में चंद्रमा पर कदम रखा था. 20 जुलाई को, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथी बज़ एल्ड्रिन ने चंद्रमा पर कदम रखा और लगभग 47.5 पाउंड चंद्र सामग्री एकत्र की, जिसे वे पृथ्वी पर अध्ययन के लिए वापस लाए. यह दिन न केवल ऐतिहासिक मिशन का जश्न मनाता है बल्कि वैज्ञानिकों को यह आशा भी देता है कि मनुष्य अब अंतरिक्ष में जा सकते हैं. नील आर्मस्ट्रांग के “मनुष्य के लिए एक छोटा कदम” भाषण ने कल्पनाओं को प्रेरित किया और नवाचार को जन्म दिया और आज यह अंतरिक्ष यात्रा पर काम करने वाले लोगों का आधार बन गया है.

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कैसे हुई चंद्रमा की उत्पत्ति

हमारे सौरमंडल में जब हमारी पृथ्वी का जन्म हुआ, तब यह आज की तरह हरी-भरी नहीं थी, बल्कि एक धधकता हुआ आग का गोला थी. धरती की गति, घूर्णन व दिन-रात की अवधि भी पूरी तरह अलग थी. वैज्ञानिकों के द्वारा चंद्रमा के जन्म को लेकर कई सिद्धांत दिये गये हैं, लेकिन उनमें से ‘बिग इंपैक्ट थ्योरी’ सर्वाधिक मान्य है. इसके अनुसार, कई अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह के आकार का एक पिंड हमारी पृथ्वी से टकराया. इस टकराव के परिणामस्वरूप पृथ्वी की ऊपरी सतह भी टूट कर अंतरिक्ष में बिखर गयी. पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की वजह से सारा बिखरा मलबा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने लगा और धीरे-धीरे एक पिंड के रूप में बदल गया. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रकार पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा का जन्म हुआ.

क्यों महत्वपूर्ण है चंद्रमा

बिग इंपैक्ट थ्योरी के अनुसार, इस टक्कर के परिणामस्वरूप ही हमारी पृथ्वी अपने अक्ष से 23.5 डिग्री झुक गयी और हमारी पृथ्वी पर विभिन्न ऋतुओं का जन्म हुआ. साथ ही पृथ्वी के घूर्णन में स्थिरता आयी. इसी वजह से हमारी पृथ्वी पर जीवन के उद्भव के लिए अनुकूल पर्यावरण का जन्म हुआ. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि हमें पृथ्वी को समझना है, तो उसके लिए चंद्रमा को समझना अनिर्वाय है. बिना, चंद्रमा को समझे हम अपने सौरमंडल को भी अच्छी तरह नहीं समझ सकते हैं.

चंद्रमा के दिन और रात

चंद्रमा का एक दिन हमारे 29.5 दिन के बराबर होता है. चंद्रमा पर 14-15 दिन तक सूरज निकलता है और बाकी 14-15 दिन तक नहीं.

चंद्रमा दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई

मून विलेज एसोसिएशन ने संयुक्त राज्य अमेरिका से अपोलो 11 मिशन के साथ 1969 में पहली मानव लैंडिंग की सालगिरह, 20 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस की घोषणा के लिए यूएन-सीओपीयूओएस 64वें सत्र के दौरान एक आवेदन प्रस्तुत किया. इस उद्घोषणा को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 9 दिसंबर 2021 को मंजूरी दे दी गई. जिसके बाद से 20 जुलाई, 2022 से अंतराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाने की शुरुआत हुई.

इस बार ये है थीम

इस बार अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस 2023 को ‘मानवता के लिए नई चंद्र यात्रा की शुरुआत’ थीम के आधार पर मनाया जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम होगा, जो यूएनओओएसए (UNOOSA) के सहयोग से दुनिया भर में आम जनता के लिए मनाया जाएगा. लोगों को स्थायी चंद्रमा अन्वेषण और चंद्रमा के उपयोग के बारे में सिखाने के लिए कई शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन भी किया जाएगा.

चंद्रमा से जुड़ें रोचक तथ्य

भारतीय पुराण में चंद्रमा को देवता का रूप दिया गया है और बचपन से हम चांद से जुड़ी कहानियां सुनते आए हैं. चांद से जुड़ी कोई भी बात हमें बेहद आकर्षित करती है. चंद्रमा का इतिहास बहुत पुराना है. कहा जाता है कि मानव जाति की उत्पत्ति से पहले ही चंद्रमा मौजूद हैं. न जाने और भी कितने रहस्य है चंद्रमा के. इन्हीं में कुछ रोचक तथ्यों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है. तो चलिए जानते है क्या है चांद से जुड़े रोचक तथ्य.

  • चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है. यह सौर मंडल का पाचवां, सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है.

  • चांद धरती के आकार का केवल 27% ही है

  • चंद्रमा का आकार देखने में गोल लगता हैं, लेकिन ये अंडे के आकार का है.

  • चंद्रमा 2300 मील/घंटे (3700 किलोमीटर/घंटे) की औसत गति से पृथ्वी की परिक्रमा करता है.

  • पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 384, 403 किलोमीटर है.

  • चाँद का वजन लगभग 81,00,00,00,000 (81 अरब) टन है.

  • चाँद का क्षेत्रफल (Moon Area) अफ्रीका के क्षेत्रफल के बराबर है.

  • नील आर्मस्ट्रोग ने चाँद पर जब अपना पहला कदम रखा तो उससे जो निशान चाँद की जमीन पर बना वह अब तक है और अगले कुछ लाखों सालो तक ऐसा ही रहेगा। क्योंकि चांद पर हवा नहीं है.

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