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International Moon Day: चंद्रमा की ओर भारत की एक और उड़ान

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चांद और तारे को देखने में तो मजा आता ही है. इससे भी मजेदार है इनके बारे में नयी-नयी बातें जानना. देश का चंद्र मिशन पिछले दिनों चंद्रयान-3 लॉन्च हुआ. इस मिशन की सफलता के बाद हम अमेरिका, रूस और चीन की श्रेणी में शामिल हो जायेंगे. इंटरनेशनल मून डे के मौके पर जानें चंद्रमा व मिशन से जुड़ी रोचक बातें.

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International Moon Day: हर साल 20 जुलाई को इंटरनेशनल मून डे मनाया जाता है. 20 जुलाई को ही नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की सतह पर अपना पहला कदम रखा था. इस दौरान उनका साथ दिया था बज एल्ड्रिन ने. यह मानव जाति का एक ऐसा ऐतिहासिक कार्य था, जिसके बाद हम मानवों का विज्ञान और अंतरिक्ष को देखने का नजरिया ही बदल गया.

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कैसे हुआ चंद्रमा का जन्म

हमारे सौरमंडल में जब हमारी पृथ्वी का जन्म हुआ, तब यह आज की तरह हरी-भरी नहीं थी, बल्कि एक धधकता हुआ आग का गोला थी. धरती की गति, घूर्णन व दिन-रात की अवधि भी पूरी तरह अलग थी. वैज्ञानिकों के द्वारा चंद्रमा के जन्म को लेकर कई सिद्धांत दिये गये हैं, लेकिन उनमें से ‘बिग इंपैक्ट थ्योरी’ सर्वाधिक मान्य है. इसके अनुसार, कई अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह के आकार का एक पिंड हमारी पृथ्वी से टकराया. इस टकराव के परिणामस्वरूप पृथ्वी की ऊपरी सतह भी टूट कर अंतरिक्ष में बिखर गयी. पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की वजह से सारा बिखरा मलबा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने लगा और धीरे-धीरे एक पिंड के रूप में बदल गया. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रकार पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा का जन्म हुआ.

क्यों महत्वपूर्ण है चंद्रमा

बिग इंपैक्ट थ्योरी के अनुसार, इस टक्कर के परिणामस्वरूप ही हमारी पृथ्वी अपने अक्ष से 23.5 डिग्री झुक गयी और हमारी पृथ्वी पर विभिन्न ऋतुओं का जन्म हुआ. साथ ही पृथ्वी के घूर्णन में स्थिरता आयी. इसी वजह से हमारी पृथ्वी पर जीवन के उद्भव के लिए अनुकूल पर्यावरण का जन्म हुआ. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि हमें पृथ्वी को समझना है, तो उसके लिए चंद्रमा को समझना अनिर्वाय है. बिना, चंद्रमा को समझे हम अपने सौरमंडल को भी अच्छी तरह नहीं समझ सकते हैं.

चंद्रमा के दिन और रात

चंद्रमा का एक दिन हमारे 29.5 दिन के बराबर होता है. चंद्रमा पर 14-15 दिन तक सूरज निकलता है और बाकी 14-15 दिन तक नहीं.

खास है चंद्रयान-3 मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को वही नाम दिये हैं, जो चंद्रयान-2 में दिये गये थे. लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ है. इसरो ने चंद्रयान-3 में काफी बदलाव किये हैं. अगर इसमें कोई खराबी आयी तो भी यह काम करेगा. इसके लिए रोवर को ऐसे तैयार किया गया है कि यह खुद को खतरनाक जगहों से बचा सके. यह चंद्रयान-2 की क्रैश साइट से करीब 100 किलोमीटर दूर एक लैंडर को तैनात करेगा, जो चांद के तापमान, भूकंप और सोलर विंड की जानकारी जमा करेगा.

तीन हिस्से हैं इसके

  • प्रोपल्सन : इसकी वजह से स्पेसशिप चांद के ऑर्बिट में जायेगा.

  • लैंडर : यह चंद्रमा तक रोवर को ले जायेगा. रोवर इसके ही अंदर है.

  • रोवर : लैंडर से 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान बाहर आयेगा और चंद्रमा की सतह से जानकारियां जमा करेगा तथा हमें भेजेगा.

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