22.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 12:56 pm
22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बीकानेर की शान हैं हवेलियां, सूरज की रोशनी के हिसाब से दीवारों का रंग बदलती है हवेलियां

Advertisement

बीकानेर में बनी हवेलियों की खासियत है कि ये सूरज की रोशनी के हिसाब से अपनी दीवारों का रंग बदलती हैं. इसके अलावा इन हवेलियों में लगायी गयीं ईंटों और रंगों के चलते ये अधिक सुंदर लगती हैं. सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें काफी मजबूत बनाया गया है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

बीकानेर में बनी हवेलियों की खासियत है कि ये सूरज की रोशनी के हिसाब से अपनी दीवारों का रंग बदलती हैं. इसके अलावा इन हवेलियों में लगायी गयीं ईंटों और रंगों के चलते ये अधिक सुंदर लगती हैं. सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें काफी मजबूत बनाया गया है. सभी हवेलियों का निर्माण एक ही तरह से किया गया है, जिसमें ग्रिल की गयी खिड़कियां, नक्काशीदार खिड़कियां या झरोखे बालकनियां, दरवाजों और अग्रभागों, तहखानों या गुम्हारियों और दीवानखानों के साथ मिलकर एक रहस्यवादी आकर्षण पैदा करते हैं.

जांगलू प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है ये शहर

राजस्थान का बीकानेर शहर सांस्कृतिक विरासत व शिल्पकला का एक ऐसा समन्वय है, जिसने उसे पर्यटन मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान दी है. बीकानेर राज्य, जो जांगलू प्रदेश के नाम से भी इतिहास में जाना जाता है, राजपूताने की 21 रियासतों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता था. इस राज्य की स्थापना मारवाड़ के शासक राव जोधा के पितृभक्त पुत्र राव बीका ने 1486 में की थी. शहर के चारों ओर करीब 7 किलोमीटर लंबी चारदीवारी थी, जिसमें पांच द्वार थे. यहां से मध्य एशिया और पश्चिम से आने वाले कारवां गुजरा करते थे. मुगल शासकों ने इस राज्य को जीतने की अपेक्षा यहां के शासकों से मेल रखने में भलाई समझी. बीकानेर राज्य ने मराठों व अंग्रेजों को भी कभी खिराज आदि नहीं दी. बीकानेर के अधिकतर राजा विद्वान थे. उनके रचे ग्रंथ आज भी बीकानेर के राजकीय पुस्तकालय में उपलब्ध हैं.

हजार हवेलियों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है बीकानेर

हजार हवेलियों के शहर के नाम से प्रसिद्ध बीकानेर की हवेलियां का वास्तुशिल्प व कारीगरी 150 वर्ष पूर्व की स्थापत्य कला का भी चित्रण करती हैं. अधिकतर हवेलियों का निर्माण 1887 से 1943 के मध्य महाराज गंगा सिंह के शासनकाल में हुआ था. इन हवेलियों का निर्माण रामपुरिया जैसे शहर के सौदागरों व व्यापारियों किया था, जिन्होंने तब कोलकाता जैसे बड़े शहरों में खूब धन अर्जित किया था. हर आकार में यहां हवेलियां आपको देखने को मिल जायेंगी. हवेली चाहे छोटी हो या बड़ी, सभी खूबसूरत अग्रभाग, छज्जों, झरोखों, जालियों आदि से सुसज्जित हैं. इन हवेलियों में यूरोपीय छाप, जैसे रंगीन कांच, विक्टोरिया युग की मेहराबें आदि भी देखने को मिलती हैं.

प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की छवियां चित्रित हैं

हर हवेली में चित्रकारी से सुसज्जित दानखा (दीवान-ए-खास को यहां दानखा कहा जाता है), आंगन, पंखा साल (आंगन के बाद का बड़ा हॉल, जहां सब बैठकर बात करते थे), ओरे, माल, और मालिया आदि अनोखे शिल्प का प्रतीक हैं. ज्यादातर हवेलियां उभारदार शिल्पयुक्त हैं, जिन्हें उच्चावच भी कहा जाता है. प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की छवियां चित्रित हैं या उनकी प्रतिमाएं हैं. प्रवेश द्वार पर लगी नाम पट्टिकाएं उस हवेली के मालिक का नाम व हवेली के स्थापना का समय बताती हैं. भीतर दीवारों व छतों पर सुंदर चित्रकारी देखने को तो मिलती ही है, साथ ही दीवार के आलों को भी खूबसूरती से सजाया जाता था. छतों पर चटक रंगों में बेलबूटेदार नमूने देखे जा सकते हैं.

दीवारों पर ‘आला-गीला’ का काम

कुछ हवेलियों के अंदर की तरफ दीवारों पर ‘आला-गीला’ शैली में काम किया हुआ है. ‘आला-गीला’ एक ऐसी विधा है, जो तभी मिट सकती है, जब दीवार पर लगा चूना भी उसके साथ-साथ उतरे. आला-गीला के अतिरिक्त इन हवेलियों में किशनगढ़, बीकानेर एवं मुगल आदि शैलियों के चित्रांकन भी देखे जा सकते हैं. दिलचस्प बात तो यह है कि तिजोरियां बीकानेर की हवेलियों का अभिन्न अंग हुआ करती थीं. ये तिजोरियां दीवारों में मढ़ी या जमीन में गढ़ी होती थीं. तस्वीरों के पीछे, कालीन के नीचे या अलमारी के अंदर इन्हें देखा जा सकता है.

सूरज की रोशनी के हिसाब से रंग बदलती हैं दीवारें

बीकानेर में बनी हवेलियों की खासियत है कि ये सूरज की रोशनी के हिसाब से अपनी दीवारों का रंग बदलती हैं. इसके अलावा इन हवेलियों में लगायी गयीं ईंटों और रंगों के चलते ये अधिक सुंदर लगती हैं. सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें काफी मजबूत बनाया गया है. सभी हवेलियों का निर्माण एक ही तरह से किया गया है, जिसमें ग्रिल की गयी खिड़कियां, नक्काशीदार ख़िड़कियां या झरोखे बालकनियां, दरवाजों और अग्रभागों, तहखानों या गुम्हारियों और दीवानखानों के साथ मिलकर एक रहस्यवादी आकर्षण पैदा करते हैं. छह फीट गुणा तीन फीट के झरोखे मुख्य आकर्षण हैं, जिसमें कई मंजिलों वाली हवेलियां हैं और उनमें एक महल या सोने की मूर्तियों से सजाया गया आंतरिक भाग है. इन हवेलियों में शाम को महफिल या नृत्य प्रदर्शन आयोजित किया जाता था और इसमें निवासियों और मेहमानों के लिए कई कमरे होते थे.

मशहूर हवेलियां

यहां की कुछ मशहूर हवेलियां हैं- रामपुरिया हवेली, कोठारी हवेली, सोपानी हवेली, जैन हवेली, बच्छावतों की हवेली, मोहता हवेली, डांगो, श्रीमंतों की हवेली, बागरी की हवेली, पूनम चंद कोठारी की हवेली, संपतलाल अग्रवाल हवेली और दागा चौक हवेलियां आदि. दाग चौक क्षेत्र में दागा चौक हवेलियां भी अद्वितीय हैं क्योंकि वे एक ही क्षेत्र में फैली हुई हैं. फूलों के रूप में जटिल और अलंकृत झरोखों और नक्काशियों के साथ हवेलियां खूबसूरत भित्ति चित्रों और पश्चिमी प्रभाव वाले भारतीय चित्रों से सजाये गये अपने दीवानखानों से मंत्रमुग्ध कर देने वाली हैं. दीवानखाने आकर्षक कलाकृति के संग्रह के लिए प्रसिद्ध हैं. बीकानेर के मोहता चौक में रिखजी बागरी की हवेली आंतरिक कलाकृति और नक्काशीदार फूलों, मूर्तियों और डिजाइनों के साथ अलंकृत झरोखों और घुमावदार प्रवेश द्वारों के साथ आकर्षक है. इसी तरह भैरोंदन कोठारी की हवेली अपने उत्कृष्ट संगमरमर के काम के लिए अद्वितीय है, जो आगंतुकों को मनोरम कलाकृति देखने के लिए आकर्षित करती है. वर्ष 2011-12 में वर्ल्ड मोन्यूमेंट फंड ने हवेलियों के संरक्षण के लिए बीकानेर की स्वयंसेवी संस्थाओं को भी सहयोग दिया और हवेलियों के संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया. उन्हीं के प्रयासों से बीकानेर हेरिटेज वॉक भी शुरू हुई.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें