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Gita Updesh: रिश्तों में कभी नहीं आएगी उलझन, याद रखें गीता उपदेश की ये 4 बातें

Gita Updesh: कुछ लोग होते हैं जो रिश्ते की कद्र नहीं करते हैं. जिसका नतीजा जीवन के अंत समय में देखने को मिलता है. इस दौरान मनुष्य के पास आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं बचता है.

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Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है. इसमें भगवान श्रीकृष्ण के उन उपदेशों का उल्लेख है जिसे कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को सुनाया गया था. गीता उपदेश में श्रीकृष्ण ने जीवन, कर्म, धर्म, भक्ति और योग के बारे में बताया है. जो मनुष्य गीता के उपदेशों को अच्छी तरह से पढ़ और समझ कर जीवन में अनुसरण करता है वह सद्मार्ग से कभी भटकता नहीं है. गीता में जीवन के विभिन्न पहलुओं में बातें बताई गई है, जिनमें निजी रिश्ते और संबंध भी शामिल हैं. कुछ लोग होते हैं जो रिश्ते की कद्र नहीं करते हैं. जिसका नतीजा जीवन के अंत समय में देखने को मिलता है. इस दौरान मनुष्य के पास आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं बचता है. ऐसे में अगर आप भी रिश्ते को लेकर सजग रहना चाहते हैं और इस तरह के अनुभव से बचना चाहते हैं तो गीता में लिखे कुछ उपदेशों को जरूर याद रखें. गीता के ये उपदेश रिश्ते को उलझने से बचाने का काम करेंगे.

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  • श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है कि मनुष्य को खुद का अवलोकन करना जरूरी होती है. आत्मबोध और आत्म साक्षात्कार से ही अपने आपको अच्छे से समझा जा सकता है. ऐसे में सबसे जरूरी बात खुद की कमजोरियों, शक्तियों और इच्छाओं के बारे में जानना होता है. अगर आप खुद के बारे में अच्छी तरीके से जानते हैं तो किसी अन्य इंसान के साथ स्वस्थ संबंध का निर्माण करना सरल हो जाता है.
  • श्रीकृष्ण गीता उपदेश के जरिए बताते हैं कि इंसान को धर्म और कर्तव्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त, पत्नी जीवन में चाहे जो रिश्ते हों उनकी जिम्मेदारियों को अच्छे तरीके से निभाना चाहिए. जो इंसान अपने कर्तव्य और धर्म को समझता है वह रिश्ते में कभी उलझता नहीं है.
  • गीता उपदेश में लिखा है कि मनुष्य इस संसार का आनंद और सुख उस वक्त भोग सकता है जब वह वैरागी हो. यहां वैरागी का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि इंसान सारे रिश्ते नाते सब तोड़ कर वैराग धारण कर ले. इसका मतलब यह है कि इंसान को रिश्तों के मोह और आसक्ति में नहीं पड़ना चाहिए. जो व्यक्ति रिश्ते को मोह में उलझा रहता है वह किसी भी रिश्ते और संसार का खुलकर आनंद नहीं प्राप्त कर सकता है.
  • जिस प्रकार मनुष्य दूसरे से इज्जत और सम्मान प्राप्त करने की आशा रखता है. इसी तरह दूसरों का भी सम्मान करना चाहिए. जो इंसान छोटे-बड़े में अंतर नहीं करता है, सबके साथ प्रेम के साथ रहता है. भगवद्गीता के मुताबिक इस तरह का इंसान कभी रिश्ते में उलझता नहीं है. इंसान की यही समझ रिश्तों में सहनशीलता, सहानुभूति और करुणा पैदा करती है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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