30.7 C
Ranchi
Tuesday, April 22, 2025 | 11:33 pm

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Gandhi Jayanti: बापू की स्मृति से जुड़े कई पर्यटन स्थल, पढ़ें यहां

Advertisement

Gandhi Jayanti: गुजरात के गांधी नगर में स्थित है दांडी कुटीर. एक हैरत करने वाले चमत्कार की तरह इसका प्रवेश है. दांडीकुटीर, महात्मा गांधी के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित भारत का सबसे बड़ा और एकमात्र संग्रहालय है. दांडी कुटीर 41 मीटर ऊंचे शंकु आकार वाले गुंबद के अंदर है, जो नमक के ढेर का प्रतीक है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Gandhi Jayanti: इन दिनों कई राज्यों में पर्यटन के लिए गांधी सर्किट विकसित करने की तैयारियां हो रही हैं. पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी को अहमदाबाद से खास लगाव था. इसी कारण वहां साबरमती आश्रम की स्थापना हुई. साबरमती, जिसे गांधी आश्रम भी कहा जाता है, का सारा वातावरण ऐसा आभास देता है, मानो बापू कहीं आसपास ही हैं. यहां के संग्रहालय में गांधी जी से जुड़ा तमाम साहित्य उपलब्ध है तथा उनके जीवन संबंधित दुर्लभ चित्र और पेंटिंग्स लगी हैं. दक्षिण अफ्रीका से लौटने के पश्चात महात्मा गांधी ने भारत में अपना पहला आश्रम 25 मई, 1915 को अहमदाबाद के कोचराब क्षेत्र में स्थापित किया था. इसे 17 जून, 1917 को साबरमती नदी के किनारे स्थानांतरित किया गया. महात्मा गांधी ने 1917 से 1930 तक साबरमती आश्रम में निवास किया तथा 12 मार्च, 1930 को यहीं से नमक सत्याग्रह के लिए दांडी मार्च की शुरुआत हुई.

साबरमती आश्रम

इस आश्रम के एक ओर विशाल पवित्र साबरमती नदी है, तो दूसरी तरफ श्मशान घाट है और तीसरी तरफ जेल है. गांधी जी यहां रहने वालों को सत्याग्रही कहते थे. उनका मानना था कि सत्याग्रही के पास जीवन में दो ही विकल्प होते हैं- जेल जाना या जीवन समाप्त कर श्मशान जाना. आश्रम का मुख्य स्थल हृदय कुंज है, जहां वे रहा करते थे. यहां गांधी जी द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं को देखा जा सकता है. संग्रहालय को पांच इकाइयों- एक पुस्तकालय, दो फोटो गैलरी और एक सभागृह- में बांटा गया है. इस संग्रहालय में एक स्थान है, जिसे ‘मेरा जीवन मेरा संदेश है’ गैलरी कहते हैं. इसमें उनके जीवन से जुड़ी आठ विशाल पेंटिंग्स हैं.

Also Read: Gandhi Jayanti: आम स्त्रियों के जीवन को भी महात्मा गांधीजी ने बनाया था प्रेरणा पुंज
दांडी कुटीर

गुजरात के गांधी नगर में स्थित है दांडी कुटीर. एक हैरत करने वाले चमत्कार की तरह है इसका प्रवेश. दांडी कुटीर, महात्मा गांधी के जीवन व शिक्षाओं पर आधारित भारत का सबसे बड़ा और एकमात्र संग्रहालय है. दांडी कुटीर एक 41 मीटर ऊंचे शंकु आकार वाले गुंबद के अंदर स्थित है, जो नमक के ढेर का प्रतीक है. यह नमक का टीला 1930 के ब्रिटिश शासन द्वारा लगाये गये नमक कर के खिलाफ गांधी जी के दांडी मार्च का प्रतिनिधित्व करता है. नवीनतम तकनीक से युक्त ऐसा म्यूजियम और कोई नहीं है. लगभग 10,700 वर्ग मीटर में फैले इस संग्रहालय में 40.5 मीटर का सॉल्ट म्यूजियम है. इससे जब बाहर आते हैं, तो लगता है कि गांधी जी की पोरबंदर से दिल्ली तक की पूरी यात्रा देखकर आये हैं.

महात्मा गांधी सेवा आश्रम

पलवल रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित है महात्मा गांधी सेवा आश्रम. रौलेट एक्ट के खिलाफ पंजाब जाते हुए महात्मा गांधी को पलवल रेलवे स्टेशन पर 10 अप्रैल 1919 को गिरफ्तार किया गया था. राजनीतिक रूप से यह उनकी पहली गिरफ्तारी थी. उनकी गिरफ्तारी की याद को संजोने के लिए तब के स्वाधीनता सेनानियों ने पलवल शहर में एक आश्रम की स्थापना करने का निर्णय लिया था, जिसे महात्मा गांधी सेवा आश्रम का नाम दिया गया. दो अक्टूबर, 1938 के दिन इस आश्रम की नींव नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने रखी थी. आश्रम में गांधी जी के जीवन से संबंधित घटनाओं को संजोने के लिए एक संग्रहालय की स्थापना 1962 में की गयी.

गांधी संग्रहालय चंपारण

पूर्वी चंपारण (बिहार) में काठ की मेज का एक अपना इतिहास है. इसी मेज पर बैठ गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन के दौरान किसानों की पीड़ा महसूस की थी. वे 15 अप्रैल, 1917 को चंपारण पहुंचे थे. अंग्रेजी सरकार और किसानों के बीच विवाद सुलझाने के लिए 10 जून, 1917 को जांच समिति बनी थी, जिसके एक सदस्य गांधी जी भी थे. शहर के मध्य जिस स्थान पर गांधी जी ने अंग्रेज अफसर के समक्ष अपनी बात रखी थी, उसी स्थान से सटा है गांधी संग्रहालय. इसके सामने ‘चरखा चौक’ का निर्माण किया गया है. यहां बने खूबसूरत पार्क के बीच में बापू का चरखा रखा है. प्रवेश द्वार पर गांधी की प्रतिमा और उनके संदेश से संबंधित शिलालेख लगे हैं.

सेवाग्राम

गांधी जी के पिता करमचंद गांधी को काबा गांधी के नाम से जाना जाता था. वे गुजरात के राजकोट में पुराने घर में रहते थे, जहां गांधी जी ने 1881 से 1887 तक अपने बचपन के शुरुआती साल बिताये थे. वर्तमान में इसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया है. यह एक विरासत स्थल है. इमारत का ढांचा वास्तुकला की सौराष्‍ट्र शैली में बनाया गया है. वर्धा शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर लगभग 300 एकड़ भूमि पर बना है सेवाग्राम, जहां प्रवेश करते ही मन में एक उजास भर जाता है. वर्धा आश्रम में गांधी जी की सादगी, जीवनचर्या, अनुशासन को आप महसूस कर सकते हैं. यहां उन्होंने जीवन के 12 वर्ष बिताये थे. आश्रम में मौजूद जिस अमरूद के पेड़ के नीचे उन्होंने आश्रय लिया था, वहां कुटिया आदि निवास बनी है. आश्रम में बापू का कार्यालय, प्रार्थना क्षेत्र, चर्चा कक्ष, पुस्तकों का संग्रह, बेडरूम और यहां तक कि स्नान कक्ष और टब और वे सभी जगह जहां बापू सक्रिय रहे, उनसे संबंधित चीजें उसी रूप में रखी हुई हैं. उनके कार्यालय के कमरे में उनका टेलीफोन और टाइपराइटर रखा हुआ है, जिनका वह उपयोग करते थे.

गांधी स्मृति स्थल

भावनगर, गुजरात में स्थित गांधी स्मृति की स्थापना वर्ष 1955 में की गयी थी और यहां महात्मा गांधी द्वारा इस्तेमाल की गयी किताबें और अन्य वस्तुओं का एक बड़ा संग्रह है. यहां स्थित पुस्तकालय तस्वीरों के माध्यम से गांधी जी के जीवन की विभिन्न घटनाओं को दर्शाता है.

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels