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Extra Marital Affair अपराध भले ना हो, लेकिन आपके लिए बन सकता है परेशानी

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extra marital affair आज सोसाइटी में काफी बढ़ गए हैं, जिसकी वजह से परिवार के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है. पति-पत्नी एक दूसरे को समझने की बजाय कंपीटिशन कर रहे हैं.

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Extra Marital Affair या विवाहेतर संबंध समाज में काफी बढ़े हैं जिसकी वजह से संबंधों में तनाव भी बढ़ गए हैं. यह सही है कि भारत में विवाहेतर संबंध अपराध नहीं है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो यह कई अपराधों की वजह जरूर है. एक सर्वे के अनुसार समाज में 50 प्रतिशत स्त्री-पुरुषों ने यह स्वीकारा है कि उनके विवाहेतर संबंध हैं या रह चुके हैं. कई बार विवाहेतर संबंध परिवार टूटने की वजह भी बन रहे हैं. इस तरह के संबंधों की वजह से पति-पत्नी के बीच तनाव तो बढ़ ही हैं, यह बच्चों पर भी बहुत गलत असर डाल रहे हैं.

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क्यों बढ़ रहे हैं विवाहेतर संबंध

Bhumika Sachhar

Dr. Bhoomika Sachacher


विवाहेतर संबंध क्यों बढ़ रहे हैं इसके पीछे कई कारण हैं. मनोवैज्ञानिक भूमिका सच्चर ने बताया कि आजकल पति-पत्नी के बीच पहले जैसी बाॅडिंग नहीं रही. उनमें बातचीत बहुत कम होती है, वे एक-दूसरे के साथ बहुत ही कम समय बिताते हैं. एक दूसरे की कमी और ताकत को नहीं पहचानते हैं. पति-पत्नी के बीच कंपीटिशन बहुत बढ़ गया, वे एक दूसरे को समझने की बजाय तुलना करने लगे हैं. सबसे बड़ी बात जो है शारीरिक संबंध की, तो आजकल पति-पत्नी के बीच वह बहुत कम होता जा रहा है. पार्टनर के साथ जब इस तरह के संबंध होंगे तो कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत चाहे वो मानसिक हो या शारीरिक उसे पूरा करने के लिए कहीं और तलाश करेगा, परिणामस्वरूप विवाहेतt संबंध आम होते जा रहे हैं. आज जिस तरह का मौहाल आसपास देखने को मिल रहा है उसमें अपने पार्टनर की बजाय किसी दूसरे व्यक्ति से अपनी बातें शेयर कर लोग खुश हो रहे हैं और उनका इगो शांत हो रहा है.

मनोवैज्ञानिक भूमिका सच्चर ने बताया कि आजकल पति-पत्नी के बीच पहले जैसी बाॅडिंग नहीं रही. उनमें बातचीत बहुत कम होती है, वे एक-दूसरे के साथ बहुत ही कम समय बिताते हैं. एक दूसरे की कमी और ताकत को नहीं पहचानते हैं. पति-पत्नी के बीच कंपीटिशन बहुत बढ़ गया, वे एक दूसरे को समझने की बजाय तुलना करने लगे हैं.

क्या भारत में विवाहेतर संबंध वैध है?

भारत में विवाहेतर संबंध को अवैध नहीं माना गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में अपने फैसले में कहा है कि अगर दो बालिग स्त्री-पुरुष सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं, तो उसे अवैध करार नहीं दिया जा सकता है. लेकिन विवाहेतर संबंध को सामाजिक स्वीकार्यता नहीं है. एक विवाहित स्त्री या पुरुष किसी अन्य व्यक्ति से संबंध बनाता है, तो उसे नैतिक आधार पर गलत माना जाता है.

क्या लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता प्राप्त है ?

लिव इन रिलेशनशिप को देश में कानूनी मान्यता प्राप्त है, लेकिन एक विवाहित स्त्री या पुरुष किसी अन्य साथी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता है. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के बच्चे को कानूनी हक प्राप्त है. साथ ही लिव इन में रहने वाली महिला को उसके पार्टनर की संपत्ति में अधिकार भी प्राप्त है.

विवाहेतर संबंध के नुकसान क्या हैं?

विवाहेत्तर संबंध के कई नुकसान हैं. सबसे पहले तो इस तरह के संबंध से मानसिक तनाव बढ़ जाता है और चाहे स्त्री हो या पुरुष वह सामान्य नहीं रह पाता है. कई बार इन रिश्तों का असर परिवार और बच्चों पर भी पड़ता है. बच्चे विवाहेत्तर संबंध की परेशानी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और उनका पूरा जीवन बर्बाद हो सकता है.बात अगर तलाक तक पहुंचती है, तो कई अन्य समस्याएं भी खड़ी होती हैं, जैसे बच्चे किसके पास रहेंगे. मुआवजा कितना देना होगा या मिलेगा. संपत्ति के मामले भी उठेंगे.

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