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Christmas 2021: एक नहीं पूरे 12 दिन का उत्सव है क्रिसमस, जानें क्रिसमस से जुड़ी परंपराएं

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Christmas 2021: क्रिसमस का पर्व प्रभु यीशु के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है. वैसे तो यह ईसाई समुदाय का प्रमुख पर्व है लेकिन आज के समय में क्रिसमस का पर्व सभी धर्मों में पूरे धूमधाम से मनाया जाता है.

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Christmas 2021: हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है. वैसे तो यह पर्व ईसाई धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है लेकिन वर्तमान समय में इस पर्व को सभी धर्म के लोग पूरे जारे-शोर से सेलिब्रेट करते हैं. खासकर बच्चों के बीच क्रिसमस सबसे ज्यादा पॉपुलर है. दिसंबर का महीना शुरू होते ही बच्चे अपने क्रिसमस गिफ्ट की प्लानिंग करने लगते हैं. इसकी वजह यह है कि बच्चों को लगता है कि क्रिसमस की रात सेंटा चुपके से आकर उनकी मनपसंद गिफ्ट घर में कहीं रख कर जाएंगे. जानें क्रिसमस पर्व का महत्व.

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ईसाइयों की आस्थाओं से जुड़ा है क्रिसमस का पर्व

क्रिसमस का पर्व ईसाइयों का सबसे बड‍़ा पर्व है. यह पर्व ईसाइयों की आस्थाओं से जुड़ा है. यह समुदाय इस पर्व को प्रभु यीशु के जन्म के अवसर के रूप में सेलिब्रेट करता है. लेकिन क्या आपको यह जानकारी है कि क्रिसमस का पर्व 1 दिन का नहीं बल्कि पूरे 12 दिन का पर्व है और यह पर्व क्रिसमस की पूर्व संध्या से शुरू हो जाता है.

ईसाई धर्म में भी कई संप्रदाय हैं जिनकी अलग परंपराएं हैं

क्रिसमस ईव यानि क्रिसमस की पूर्व संध्या धार्मिक और गैर-धार्मिक दोनों परंपराओं से जुड़ी है. क्रिसमस से जुड़ी सभी परम्पराओं का मुख्य केंद्र प्रभु यीशु का जन्म ही है. ईसाई धर्म में भी कई संप्रदाय हैं जिनकी अलग परंपराएं हैं. इस दिन रोमन कैथोलिक और एंग्लिकन मिडनाइट मास का आयोजन करते हैं जबकि लुथेरन कैंडल लाइट सर्विस और क्रिसमस कैरोल के साथ जश्न मनाते हैं. कई एवेंजेलिकल चर्च में शाम की सेवाओं का आयोजन होता है जहां परिवार पवित्र भोज बनाते हैं.

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25 दिसम्बर को ही इसलिए मनाते हैं क्रिसमस पर्व

क्रिसमस जीसस क्रिस्ट के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला उत्सव है. जीसस क्रिस्ट को भगवान का बेटा कहा गया है. क्रिसमस का नाम भी क्रिस्ट से पड़ा. वैसे तो बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस मनाया जाता है. जानकारी के अनुसार पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट के समय में सबसे पहले क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया और फिर इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस ने आधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान कर दिया.

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