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Chanakya Niti: इन स्थितियों में जीते-जी मरा हुआ महसूस करता है इंसान, जानें

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने कुछ परिस्थितियां बताई हैं, जहां इंसान जीते-जी मरा हुआ महसूस करता है.

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Chanakya Niti: अपमान से मिलने वाला दर्द मृत्यु के समान होता है, जिसे इंसान कभी सहन नहीं कर पाता है. इसकी वजह से इंसान सोते-जागते परेशान रहता है. चाणक्य नीति में भी बताया गया है कि व्यक्ति कुछ परिस्थितियों में अपमान से उबर नहीं पाता है. इन बातों की वजह से व्यक्ति बिना आग के मन ही मन जलता रहता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने कौन-सी परिस्थितियों को बताया है जब इंसान जीते-जी मरा हुआ महसूस करता है.

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बंधु-बांधवों से मिलने वाला अपमान

आचार्य चाणक्य के मुताबिक, जब अपना भाई या बंधु अपमान करता है या निरादर करता है तो इंसान उसे सहन नहीं कर पाता है. वह निरंतर जलता रहता है. इस परिस्थिति में इंसान जीते-जी चिता की अग्नि महसूस करता है.

गरीबी में जीना

आचार्य चाणक्य ने बताया है कि गरीबी एक ऐसा अभिशाप है, जिसकी आग में इंसान उम्र भर जलता रहता है. गरीबी में इंसान का चारो तरफ से मजाक बनाया जाता है. जिसे इंसान सोते-जागते और उठते-बैठते भूल नहीं पाता है.

मालिक की सेवा में रहने वाला इंसान

आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब इंसान किसी दुष्ट शासक या मालिक की सेवा में रहता है तो वह कभी सुखी नहीं रह पाता है. वह हमेशा खुद को अपमानित महसूस करता रहता है. ऐसी परिस्तिथि में इंसान को बार-बार अपमान सहना पड़ता है.

कर्ज में डूबा हुआ इंसान

चाणक्य नीति के मुताबिक, जो इंसान कर्ज को समय पर वापस नहीं कर पाता है वह हमेशा अपमानित होता रहता है. ऐसे इंसान की हर जगह निरादर होता रहता है. यह इंसान अपने सगे संबंधियों के साथ समाज से भी अपमानित होता रहता है.

पत्नी का बिछड़ना

चाणक्य नीति के मुताबिक, सज्जन इंसान अपनी पत्नी के बिछड़ने का वियोग कभी सहन नहीं कर पाता है. ऐसे इंसान अंदर ही अंदर जलते रहते हैं. असमय पत्नी से बिछड़ने का दर्द इंसान कभी भूल नहीं पाता है. इस परिस्थिति में इंसान का शरीर बिना अग्नि के जलता रहता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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