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Chanakya Niti: चाणक्य की नजर में ऐसे इंसान होते हैं जानवर, जानिए लक्षण

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Chanakya Niti: चाणक्य नीति में कुछ लक्षण बताए गए हैं, अगर इंसान में ये लक्षण होते हैं तो वह जानवरों के समान होता है.

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में मानव जीवन, नैतिकता और समाज को लेकर कई नीतियां बताई है. चाणक्य का मानना है कि कुछ खास लक्षण, आचरण और व्यवहार व्यक्तियों को पशु अर्थात जानवरों से अलग करता है. जिन व्यक्तियों में ये लक्षण पाए जाते हैं वह जानवर के समान होते हैं. वह जानवर की तरह इधर-उधर फिरते रहते हैं, क्योंकि इंसान ही है जो सोचने, समझने के योग्य होता है. इंसान ही दूसरों के दर्द को समझ सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये लक्षण कौन-से हैं.

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शिक्षा से हीन व्यक्ति

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति शिक्षा से हीन है अर्थात जो पढ़ा लिखा नहीं है वह जानवर के समान इधर-उधर घूमता फिरता रहता है, क्योंकि जिस व्यक्ति में किसी तरह की योग्यता नहीं होती है और अंदर से खोखले होते हैं, उन्हें किसी तरह के ज्ञान की बातें बताना निरर्थक होता है. उन पर किसी भी बात का असर नहीं पड़ता. इसलिए चाणक्य नीति में बताया गया है कि ऐसे व्यक्ति पशु के समान होते हैं.

दान की प्रवृत्ति न हो

चाणक्य नीति ने बताया गया है कि जिस इंसान में दान की प्रवृत्ति नहीं होती है. वह व्यक्ति भी पशु के समान इस संसार में विचरते हैं. यह मान्यता है कि अगर जीवन में सफल होना है तो इंसान को अपनी सामर्थ्य के हिसाब से गरीब, असहाय और कमजोर लोगों की मदद करनी चाहिए. माना जाता है कि जो व्यक्ति दान करता है उसे किसी भी प्रकार का कोई दुख नहीं होता है.

दया का अभाव हो

चाणक्य नीति के मुताबिक, जिस इंसान में दया का अभाव होता है. वह व्यक्ति जानवरों के समान ही इस दुनिया में घूमता-फिरता है, क्योंकि इंसान ही दूसरों के दुख-दर्द को समझ सकता है. अगर इंसान दूसरों के दुख में दुख हो और सुख में सुख तो असल मायने में वही इंसान है. अगर इंसान में ऐसा गुण नहीं होता है तो वह इंसान नहीं जानवर होता है.

धार्मिक काम नहीं करने वाला

चाणक्य नीति के अनुसार, धार्मिक काम नहीं करने वाला अर्थात जिस इंसान में धर्माचरण की भावना नहीं होती है, वह व्यक्ति पशु के समान इस दुनिया में घूमता-फिरता रहता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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