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Child Care: गर्मी में शिशुओं की त्वचा की खास देखभाल जरूरी, जानें रैशेज से बचाव के उपाय

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गर्मियों में नवजात शिशुओं व छोटे बच्चों को त्वचा संबंधी कई समस्याएं आती हैं. बच्चों की त्वचा में जलन, सूखापन व रैशेज की समस्या हो सकती हैं. ऐसे में शिशुओं में इस होने वाली त्वचा संबंधी समस्याओं से बचने के उपाय जानना जरूरी हो जाता है.

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Child Care: नवजात शिशु को इस समय जन्म के पहले महीने में सप्ताह में 3 से 4 बार स्पंज बाथ देना चाहिए. दूध पिलाने के बाद मुंह को स्पंज से साफ करें और डायपर बदलने के बाद भी स्पंज से अच्छी तरह साफ करें. शिशु के स्नान के दौरान हमेशा एंटी बैक्टीरियल सोप का इस्तेमाल न करें, ये आपके बच्चे की संवेदनशील त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. नहलाने के बाद कॉटन के मुलायम टॉवल से धीरे-धीरे पोंछे, ताकि त्वचा को नुकसान न पहुंचे.

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डायपर एरिया में न लगाएं पाउडर

आमतौर पर माएं गर्मी के मौसम में बच्चों की डायपर एरिया में पाउडर लगा देती हैं, ताकि बच्चे को वहां पसीना न हो, लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए. शिशु के डायपर एरिया में पाउडर लगाने से बड़े होने पर उनमें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. शरीर के बाकी हिस्सों के लिए बच्चों के लिए आने वाले बेबी टेलकम पाउडर का इस्तेमाल करें. खुशबूदार और दूसरे रसायनों वाले पाउडर का इस्तेमाल करने से बचें.

कैसे करें अपने बच्चों की मसाज

Child Massage
Child care: गर्मी में शिशुओं की त्वचा की खास देखभाल जरूरी, जानें रैशेज से बचाव के उपाय 2

नवजात शिशु या छोटे बच्‍चों का शरीर बहुत नाजुक होता है, इसलिए मसाज करने से पहले मसाज की सही तकनीक का इस्तेमाल करें. कौन-सा तेल इस्तेमाल करें, कितनी देर तक करें और कब मसाज न करें, जैसी बातों की जानकारी होना जरूरी है. बच्‍चों की विशेष आवश्‍यकताओं के अनुसार, मसाज की अलग-अलग तकनीकों का इस्‍तेमाल किया जाता है. मसाज करते समय बच्चे के नीचे मोटा टॉवल यूज करें. गर्मी के मौसम में नारियल तेल या ऑलिव ऑयल से बच्चे की मसाज करना बेहतर होता है.

छह घंटे में जरूर बदल दें डायपर

बच्चे के लिए नैपीज का चयन सोच-समझकर करें. नैपीज खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह सही फिटिंग की हो. उसमें सोखने की क्षमता बेहतर हो. उनका फैब्रिक बच्चे की संवेदनशील त्वचा को नुकसान न पहुंचाए. आमतौर पर छोटे बच्चों की नैपीज को 3 से 4 घंटे में बदल देना चाहिए. अधिकतम 6 घंटे में इसे चेंज कर ही दें. इन्हें जितनी जल्दी बदलेंगे, संक्रमण का खतरा उतना कम होगा.

मुलायम व आरामदायक हों कपड़े

इस समय नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए कपड़े खरीदते समय आपको केवल यह नहीं देखना है कि उन्हें पहनकर आपका बच्चा कितना आकर्षक लगेगा. हमेशा मुलायम और आरामदायक कपड़े खरीदें, जिनको धोना भी आसान हो. फैब्रिक ऐसा होना चाहिए जिससे बच्चे की त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे. बच्चों के लिए कॉटन सबसे अच्छा रहता है, लेकिन हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कॉटन के कपड़े थोड़े से सिकुड़ जाते हैं. ऊपरी और निचले भाग के लिए अलग-अलग कपड़े खरीदनें से बेहतर है कि आप वन-पीस खरीदें. इन्हें पहनाना और उतारना आसान होता है. इनसे त्वचा पर रगड़ भी नहीं लगती है.

बच्चों के कपड़ों को कैसे धोएं

बच्चों की त्वचा संवेदनशील होती है, इसलिए सामान्य डिटर्जेंट का इस्तेमाल न करें. रंगीन और खुशबू वाले डिटर्जेंट का इस्तेमाल तो बिल्कुल न करें. उस डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें, जिन्हें आप ऊनी कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल करते हैं. छोटे बच्चे के कपड़ों को अच्छी तरह खंगालें, ताकि इनमें से डिटर्जेंट के अवशेष निकल जाएं. अगर बच्चे की त्वचा अधिक संवेदनशील है, तो विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए आने वाले डिटर्जेंट (बेबी स्पेसिफिक डिटर्जेंट) का इस्तेमाल करें.

परेशानी होने पर डॉक्टर से मिलें

अगर बच्चे के नितंबों, जांघों और गुप्तांगों पर लाल रैशेज पड़ गये हैं, तो घरेलू उपायों से उन्हें ठीक करने का प्रयास करें. अगर सात दिन में भी रैशेज ठीक न हों और उनमें जलन या खुजली हो, खून निकले या बच्चे को बुखार आ जाये तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

(डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ विदुषी जैन से बातचीत पर आधारित)

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