25.7 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 11:28 am
25.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आर्थराइटिस से राहत दिलाते हैं समयोचित उपचार

Advertisement

इस बीमारी में डॉक्टर मरीज की केस हिस्ट्री और क्लीनिकल एग्जामिनेशन (ब्लड टेस्ट और एक्स-रे ) से कार्टिलेज की लेयर की मोटाई की जांच करते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

डॉ वीके गौतम, विभागाध्यक्ष, ऑर्थोपेडिक विभाग, शारदा अस्पताल, नोएडा

- Advertisement -

आर्थराइटिस हमारे शरीर में मौजूद हड्डियों के जोड़ों की बीमारी है. इनमें रुमेटॉयड, एंकाइलोजिंग स्पोंडिलाइटिस, ऑस्टियो आर्थराइटिस प्रमुख हैं. जोड़ों में असहनीय दर्द रहता है. इसका समयोचित उपचार न कराने पर विकृति भी आ जाती है, जिससे व्यक्ति का चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है.

इस बीमारी में डॉक्टर मरीज की केस हिस्ट्री और क्लीनिकल एग्जामिनेशन (ब्लड टेस्ट और एक्स-रे ) से कार्टिलेज की लेयर की मोटाई की जांच करते हैं. शुरुआती स्थिति में मरीज नॉन-ऑपरेटिंग ट्रीटमेंट से लंबे समय तक खुशहाल जिंदगी जी सकते हैं. जबकि देर होने पर घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण सर्जरी भी की जाती है.

दवाई की भूमिका

आर्थराइटिस डायग्नोज होने पर तुरंत दवाइयों का कोर्स शुरू कर दिया जाता है. ये जोड़ों में सूजन, दर्द, इंफ्लेमेशन कम करने में सहायक होती हैं. स्थिति के हिसाब से शुरू में डोज ज्यादा होती है, धीरे-धीरे कंट्रोल में आने पर डोज कम भी की जाती हैं.

फिजियोथेरेपी है अहम

आर्थराइटिस की वजह से टेड़े-मेड़े हुए जोड़ों की स्थिति में सुधार लाने, भविष्य में ज्यादा विकृति होने से बचाने में फिजियोथेरेपी अहम भूमिका निभाती है. जोड़ों का ज्यादा मूव नहीं कराया जाता.

स्प्लिंट्स लगाना

टेड़े होने से बचाने और जोड़ों को सहारा देने के लिए आर्थोसिस या स्प्लिंट्स लगाये जाते हैं.

कोल्ड या हीट थेरेपी

जोड़ों में सूजन होने कोल्ड फोर्मेंटेशन, कोल्ड पैक्स या आइस पैक से सिंकाई की जाती है. वहीं, क्रोनिक स्थिति में मरीज को शॉटवेव डायथर्मी, माइक्रोवेव डायथर्मी जैसी हीट थेरेपी फायदेमंद है. इससे जोड़ों में रक्त संचरण सुचारू रूप से होने में मदद मिलती है, मांसपेशियों की जकड़न कम होती है और दर्द में आराम मिलता है.

अंतिम उपाय है सर्जरी

स्थिति गंभीर होने पर जोड़ों के अंदर इंजेक्शन भी लगाये जाते हैं. उसके बाद भी सुधार न हो पाने या जोड़ पूरी तरह खराब होने की स्थिति में सर्जरी करके नये जोड़ का प्रत्यारोपण किया जाता है. घुटने, कूल्हे, कंधे के जोड़ों को बदलने में यह सर्जरी कामयाब रहती है. प्रत्यारोपित जोड़ आमतौर पर 15-20 साल तक चलते हैं, इसलिए तकरीबन 60 वर्ष की उम्र के लोगों में यह सर्जरी कामयाब रहती है.

बातचीत : रजनी अरोड़ा

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें