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Ear Infection का किन्हें होता है खतरा, दर्द या पस बनने की समस्या से हैं परेशान तो पर्दे में छेद तक कर सकते है ये फंगल वायरस, जानें बचाव के उपाय

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Ear Infection Symptoms, Treatment, Causes, Drops, Kaan Me Dard Ka Gharelu Ilaj, Wajah: कान शरीर का एक अहम अंग है. इनके जरिये न केवल हम सुन पाते हैं, बल्कि शरीर की बैलेंसिंग में भी कान के आंतरिक हिस्से की अहम भूमिका होती है. लेकिन कई कारणों से कान में इन्फेक्शन या किसी तरह की खराबी होने की वजह से सुनने की क्षमता पर असर पड़ता है. सही चिकित्सा न मिल पाने पर व्यक्ति बहरा भी हो सकता है.

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Ear Infection Symptoms, Treatment, Causes, Drops, Kaan Me Dard Ka Gharelu Ilaj, Wajah: कान शरीर का एक अहम अंग है. इनके जरिये न केवल हम सुन पाते हैं, बल्कि शरीर की बैलेंसिंग में भी कान के आंतरिक हिस्से की अहम भूमिका होती है. लेकिन कई कारणों से कान में इन्फेक्शन या किसी तरह की खराबी होने की वजह से सुनने की क्षमता पर असर पड़ता है. सही चिकित्सा न मिल पाने पर व्यक्ति बहरा भी हो सकता है.

नहाते समय बरतें सावधानी

कान में इन्फेक्शन कई तरह से हो सकते हैं. आमतौर पर कान के अंदर पानी जाने से इन्फेक्शन होता है, जो मूलतः नहाते समय या स्वीमिंग करते समय असावधानी बरतने पर होता है. पानी पहले कान के बाहरी हिस्से ‘एक्सटर्नल ऑडिटरी केनाल’ में पहुंचता है. पानी के काफी दिनों तक बने रहने पर ओटोमाइकोसिस नामक फंगल वायरस पनपने लगते हैं. इस तरह इन्फेक्शन हो जाता है और कान में दर्द रहता है. कान में पस बनने लगती है, धीरे-धीरे इन्फेक्शन मिडिल ईयर तक पहुंच जाता है और कान के पर्दे छेद कर देता है. पस एक्सटर्नल ऑडिटरी केनाल से बाहर निकलने लगती है.

ऑटोजेनिक इंफेक्शन

कभी-कभी यह इन्फेक्शन मिडिल ईयर तक पहुंच जाता है. मिडिल ईयर की हड्डियों को गलाने लगता है. ये हड्डियां बाहरी आवाज को ब्रेन तक पहुंचाने में मदद करती है. इस स्थिति में बाहरी आवाज ब्रेन तक नहीं पहुंच पाती, जिससे सुनने की क्षमता कम हो जाती है.

कान में इन्फेक्शन के लक्षण

कनपटी या अंदरूनी भाग में सूजन, कान में जलन, कान में लगातार दर्द, कान में पस बनने लगना, कान के अंदरूनी हिस्से का ब्लॉक हो जाना, सुनने की क्षमता कम हो जाना, लेकिन अंदर टप-टप की आवाज आना, इन्फेक्शन से व्यक्ति को बुखार भी हो सकता है. इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.

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इन बातों का रखें ध्यान

  • इन्फेक्शन से बचने के लिए जरूरी है कि पानी कान में न जाये.

  • सर्दी-जुकाम होने पर नाक जोर से ब्लो न करें.

  • सर्दी-जुकाम में कान में दर्द हो, तो ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर को कंसल्ट करें.

  • इन्फेक्शन होने पर कान से पस बाहर आ रहा हो, तो पस सूखने और ईयर ड्रम पूरा ठीक होने तक इलाज जरूर कराएं.

  • कान में वैक्स साफ करने के लिए ईयर बड, पिन या तेल का इस्तेमाल न करें. नहाते वक्त नियमित रूप से कान के बाहरी हिस्से को उंगली से साफ करें.

  • डॉक्टर को कंसल्ट कर हफ्ते में एकाध बार एंटी फंगल या एंटी बैक्टीरियल ड्राप्स या दवाई डालें.

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किन्हें रहता है ज्यादा खतरा

  • वैसे लोग जिन्हें सालों पहले कान में इन्फेक्शन हुआ हो. डॉक्टरी उपचार में एंटीबायोटिक मेडिसिन लेने से पस तो सूख गयी हो, लेकिन कई मामलों में कान के पर्दे का छेद ठीक नहीं हुआ हो. उनके कान में धूल-मिट्टी जाने से इन्फेक्शन बार-बार होने की आशंका ज्यादा रहती है.

  • लंबे समय तक सर्दी-जुकाम से पीड़ित मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है. सांस लेने के लिए वे जबरन नोज ब्लो करते हैं. यानी नाक से तेजी से हवा अंदर खींचते हैं और बाहर छोड़ते हैं. ब्लो करने पर निकलने वाला पानी कई बार नाक और कान के मध्य भाग को जोड़ने वाली यूस्टेकियन ट्यूब में चला जाता है. पानी ट्यूब को ब्लॉक कर देता है और इस तरह कान में इन्फेक्शन हो जाता है.

  • कभी-कभी कान में बहुत ही अत्यधिक मात्रा में वैक्स बनने लगती है. ऐसे में कान में तेल डालने से कई बार इन्फेक्शन हो सकता है या फिर फंगस लगने की आशंका रहती है. वहीं, कई बार ईयर बड से कान साफ करने पर वैक्स ज्यादा अंदर तक जमा होती जाती है और वैक्स के साफ न होने के कारण इन्फेक्शन हो जाता है.

डॉ नेहा सूद

ईएनटी स्पेशलिस्ट, बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली

बातचीत व आलेख : रजनी अरोड़ा

Posted By: Sumit Kumar Verma

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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