15.1 C
Ranchi
Tuesday, February 4, 2025 | 03:35 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

गंभीर बीमारियों का जड़ी-बूटी से इलाज संभव, आदिवासी चिकित्सा पद्धति प्रशिक्षण शिविर में बोले सुधीर सोरेन

Advertisement

आदिवासी चिकित्सा पद्धति को जीवित रखने के लिए जड़ी- बूटियों की पहचान, गुण व उसको तैयार करने की प्रक्रिया को पुराने चिकित्सों से सीखने व जानने की जरूरत है. उक्त बातें सुधीर कुमार सोरेन ने कहीं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

जड़ी- बूटियों और अन्य हर्बल उत्पादों का दवा के रूप में या दवा बनाने की सामग्री के रूप में लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है. एक बड़ी आबादी अभी भी प्राथमिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए हर्बल उत्पादों का सहारा लेती है. 21वीं सदी में हर्बल दवाओं में लोगों की रुचि बढ़ी है. अधिकतर लोग हर्बोलॉजी को पढ़ते हैं, ताकि वे स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का घर पर ही इलाज कर सकें. जड़ी- बूटियों में मौजूद सामग्री दवा बनाने में मदद करती हैं.

- Advertisement -

जड़ी-बूटियों की पहचान व उसके गुण के बारे में जानने की जरूरत

इसलिए आदिवासी चिकित्सा पद्धति को जीवित रखने के लिए जड़ी- बूटियों की पहचान, गुण व उसको तैयार करने की प्रक्रिया को पुराने चिकित्सों से सीखने व जानने की जरूरत है. उक्त बातें सुधीर कुमार सोरेन ने कहीं. वे पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड अंतर्गत बड़ा सिगदी गांव में आयोजित पुरानी आदिवासी चिकित्सा पद्धति के प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे.

पेड़-पौधों से प्राप्त होती है दवाओं की 80 प्रतिशत सामग्री

पर्यावरण चेतना केंद्र और रांची की एक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिविर में पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम के चार प्रखंडों के सात प्रतिभागियों को बुलाया गया था. उन्होंने अपने अनुभव व कार्य साझा किये. शिविर में प्रशिक्षक के रूप में घाटशिला क्षेत्र से पहुंचे सुधीर कुमार सोरेन ने कहा कि दवाओं में लगभग 80 प्रतिशत सामग्री पेड़-पौधों से ही प्राप्त की जाती है. यदि हम जड़ी-बूटी चिकित्सा पर विश्वास करें तो पुरानी से पुरानी बीमारी का इलाज आसानी से कर सकते हैं. उन्होंने जड़ी- बुटी और आयुर्वेदिक पद्धति के बारे में भी जानकारी दी.

जड़ी बूटियों की पहचान व दवा बनाने के फॉर्मूले की दी गयी जानकारी

पर्यावरण चेतना केंद्र के निदेशक सिदेश्वर सरदार ने होड़ोपैथी की विशेषता पर अपने विचार रखे. सुदर्शन भूमिज ने बच्चों के पोषण, दांत की सुरक्षा और बालों की समस्या तथा जड़ी-बूटियों की पहचान और दवा बनाने की फाॅर्मूले की विस्तृत जानकारी दी. दुलाल महाराणा, अर्जुन सवाईयां, रायमुनि होनहागा ने महिलाओं से जुड़ी बीमारी व जड़ी बुटी से उसके इलाज के संबंध में बताया. पार्वती हांसदा, लक्ष्मी आलडा, महेंद्र सामद ने भी अपने विचार रखे.

Also Read: Jharkhand News : झारखंड में पैरालाइसिस से एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत, जड़ी-बूटी से 3 लोग करा रहे इलाज

चार प्रखंड के 7 प्रतिभागी शिविर में हुए शामिल

हरि सिंह भूमिज, संगीता बिरूली, हरीश आलडा, किशोर मुनि मुर्मू, नेहा हांसदा, छोटा पूर्ति, गौरी सरदार ,आरती सरदार, चेतन माझी, दिलीप हांसदा, नाराण सिंह पूर्ति, निरसो हांसदा समेत अन्य. संचालन सालगे मार्डी ने किया. प्रतिभागियों का स्वागत पर्यावरण चेतना केंद्र के सचिव विभीषण ने किया.

Also Read: Photos: गुमला में जड़ी-बूटी और वनोपज के क्षेत्र में अपार संभावना, बोले राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें