21.1 C
Ranchi
Monday, February 10, 2025 | 09:06 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

सर्वाइकल प्लांटिंग और बोन ग्राफ्टिंग के जरिए किया गया स्पाइनल टीबी का ऑपरेशन, जानें कैसे

Advertisement

ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के विभन्न अंगो को प्रभावित करता है. टीबी से हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इस खतरनाक बीमारी का इलाज संभव है लेकिन अक्सर लोगों को लंबे समय तक ये पता ही नहीं चल पाता है कि वह टीबी से पीड़ित हैं, जिसके कारण समस्या गंभीर हो जाती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पटना के पीएमसीएच में स्पाइन की बेहद संवेदनशील सर्जरी को अंजाम दिया गया. दरअसल, एक 58 वर्षीय पेशेन्ट की रीढ़ की सबसे ऊपरी हिस्से सी1-सी2 के बीच टीबी हो गया था. यह हिस्सा बेहद संवेदनशील माना जाता है. गुरूवार को उसका ऑपरेशन कर संक्रमित हिस्से को हटाया गया. उसका एंटेरियर सर्वाइकल प्लांटिंग और बोन ग्राफ्टिंग किया गया. इस सर्जरी को रेयर सर्जरी बताया जा रहा है, क्योंकि हाई लेवल र्विटब्रा सी1-सी2 के बीच टीबी था. यह हिस्सा स्पाइन का सबसे संवेदनशील होता है. इस सर्जरी को ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ महेश प्रसाद की टीम ने की।

- Advertisement -

क्या है ट्यूबरक्लोसिस

ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के विभन्न अंगो को प्रभावित करता है. फेफड़ों में होने वाला टीबी सबसे आम है. टीबी की बीमारी खांसी और छींक के जरिये एक से दूसरे व्यक्ति पर फैलता है. जिन लोगों को पहले से कोई बड़ी बीमारी जैसे एड्स या डायबिटीज होता है, उन्हें टीबी का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसके अलावा जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है. उन्हें भी इसका ज्यादा खतरा होता है. टीबी से हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इस खतरनाक बीमारी का इलाज संभव है लेकिन अक्सर लोगों को लंबे समय तक ये पता ही नहीं चल पाता है कि वह टीबी से पीड़ित हैं, जिसके कारण समस्या गंभीर हो जाती है.

Also Read: Places Where the Sun Never Sets: इन 6 देशों में अस्त नहीं होता है सूरज, टूरिज्म के लिए है बेहतर विकल्प

कैसे फैलती है ये बीमारी

शरीर में टीबी की बीमारी की शुरुआत माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है. शुरुआत में तो शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता जाता है, मरीज की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं. जिन लोगों के शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें टीबी का खतरा ज्यादा रहता है. 

ट्यूबरक्लोसिस के प्रकार

टीबी के दो प्रकार होते है. लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस और सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस शामिल हैं.

  • लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस : इस स्थिति में बैक्टीरिया आपके शरीर में होता है, लेकिन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली उसे सक्रिय नहीं होने देती है. लेटेंट ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण आपको अनुभव नहीं होते हैं और यह बीमारी के कारण नहीं फैलती है.

  • सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस: इस स्थिति में बैक्टीरिया आपके शरीर में विकसित हो रहा होता है और आपको इसके लक्षण भी अनुभव होते हैं. अगर आपको सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस है तो यह बीमारी के कारण दूसरे में फैल सकती है.

क्या है स्पाइनल टीबी

रीढ़ की हड्‌डी में होने वाला टीबी इंटर वर्टिबल डिस्क में शुरू होता है, जिसके बाद रीढ़ की हड्‌डी में फैलता है. समय पर इलाज न किया जाए, तो अपाहिज भी हो सकते हैं. स्पाइन में टीबी के शिकार अक्सर युवा ही होते हैं. इसके लक्षण भी साधारण हैं, जिसके कारण अक्सर लोग इसे नज़रअंदाज करने की भूल करते हैं. इसके शुरुआती लक्षणों में कमर में दर्द रहना, बुखार, वज़न कम होना, कमजोरी या फिर उल्टी आदि हैं.

Also Read: बार- बार हो रही है Acidity की समस्या, अपनायें ये उपाय, तुरंत मिलेगी राहत

  • स्पाइन में टीबी के लक्षण

  • पीठ/कमर में अकड़न आना

  • स्पाइन के प्रभावित क्षेत्र में खासकर रात के समय असहनीय दर्द होना

  • प्रभावित रीढ़ की हड्‌डी में झुकाव आना

  • पैरों और हाथों में काफी ज़्यादा कमज़ोरी और सुन्नपन रहना

  • हाथों और पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव

  • स्टूल, यूरीन पास करने में परेशानी होना

  • सांस लेने में दिक्कत, उपचार को बीच में ही बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए, जिससे पस की थैली फट सकती है.

टीबी से बचाव के तरीके

  • कमर में लंबे समय तक दर्द रहने पर डॉक्टर से समय पर जांच करवाएं, इसे टालें नहीं.

  • खांसी को दो हफ्ते से ज़्यादा हो जाएं, तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं. दवा का पूरा कोर्स लें.

  • मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से ढकें.

  • बीमार होने पर इधर-उधर न थूकें बल्कि एक डिस्पोज़ेबल बैग का इस्तेमाल करें. जिससे इसे दूसरों में फैलने से रोका जा सके.

  • मरीज़ को ऐसे कमरे में रखें जहां वेंटीलेशन अच्छा हो. कोशिश करें कि एसी का इस्तेमाल न हो.

  • पोषण से भरपूर डाइट लेने के साथ रोज़ाना व्यायाम ज़रूर करें.

  • सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से दूरी बनाएं.

  • भीड़-भाड़ या जिन जगहों पर गंदगी होती है वहां न जाएं.

  • बच्चे के जन्म पर BCG वैक्सीन ज़रूर लगवाएं.

  • टीबी की जांच के लिए सीबीसी ब्लड काउंट, एलीवेटेड राइथ्रोसाइट सेडिमैटेशन, ट्यूबक्र्युलिन स्किन टेस्ट के ज़रिए टीबी के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा रीढ़ की हड्‌डी का पहले एमआरआई, सीटी स्कैन और फिर बोन बॉयोप्सी जांच के जरिए भी टीबी के संक्रमण का पता लगाया जाता है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें