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Social Media News : सोशल मीडिया के आदी हो रहे हैं बच्चे, बढ़ रहा है चिड़चिड़ापन

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सोशल मीडिया पर समय गुजारना हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है. पर बच्चों के लिए यह आदत अच्छी नहीं है. यह मीडियम बच्चों को हानि पहुंचा रहा है.

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Social Media News : ऑस्ट्रेलिया द्वारा 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अकाउंट खोलने पर प्रतिबंध लगाने का तकनीकी कंपनियों समेत कई लोग विरोध कर रहे हैं. परंतु विशेषज्ञों व सर्वेक्षणों की मानें, तो सोशल मीडिया अनुमान से कहीं अधिक बच्चों के मानस पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है. जानते हैं इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में.

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  • क्लीवलैंड क्लीनिक की वेबसाइट के हवाले से अमेरिका के सर्जन जनरल का कहना है कि आठ से 12 वर्ष के लगभग 40 प्रतिशत और 13 से 17 वर्ष के 95 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया एप का उपयोग करते हैं. उनका मानना है कि किशोरवय के जो बच्चे तीन घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया पर गुजारते हें, उनके अवसाद और चिंताग्रस्त होने की दोगुनी संभावना होती है.
  • एक अध्ययन से पता चलता है कि 11 वर्ष से कम उम्र के जो बच्चे इंस्टाग्राम और स्नैपचैट का उपयोग करते हैं, उनके व्यवहार में कई तरह की नकारात्मक बातें देखने को मिलती हैं, जैसे कि केवल ऑनलाइन दोस्त बनाना और ऐसी साइटों पर जाना, जहां माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे न जाएं. इन साइटों पर ऑनलाइन उत्पीड़न की संभावना भी बहुत अधिक रहती है.
  • अमेरिका में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 11 से 15 वर्ष की 33 प्रतिशत लड़कियां महसूस करती हैं कि वे सोशल मीडिया की आदी हैं, जबकि आधे से अधिक किशोरों का कहना है कि सोशल मीडिया को छोड़ना उनके लिए मुश्किल है.
  • अमेरिका स्थित क्लीवलैंड क्लीनिक की बाल मनौवैज्ञानिक केट इश्लेमैन का कहना है कि सोशल मीडिया पर कई तरह की जानकारियां हैं, जिस तक हम कभी भी पहुंच सकते हैं, और यह बच्चों के लिए सही नहीं है.
  • इश्लेमैन की मानें, तो सोशल मीडिया का उपयोग करने वाली 13 से 17 वर्ष की 40 प्रतिशत से अधिक किशोरी अपने शारीरिक बनावट को लेकर शर्म महसूस करती हैं.
  • सोशल मीडिया पर गलत भाषा, चित्र और वीडियो मौजूद हैं, जिनके जरिये किशोरों का शोषण किया जाता है. इतना ही नहीं, कई बार इन्हें घृणा आधारित कंटेट का भी सामना करना पड़ता है.
  • दुर्भाग्यवश, सोशल मीडिया पर ऐसे लोग मौजूद हैं जो बच्चों और किशोरों को निशाना बनाते हैं, वे उनका यौन शोषण करते हैं, उनसे पैसे ठगते हैं और उन पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का दबाव भी बनाते हैं.
  • लगभग 10 में से छह किशोरियों ने माना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उनसे अजनबियों ने संपर्क किया, जिससे वे असहज हो गयीं.
  • खतरनाक वीडियो, डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट जैसे खतरे भी सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जिनका शिकार बच्चे हो सकते हैं और अपने जीवन को खतरे में डाल सकते हैं.
  • इन सबके अतिरिक्त, सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव आता है. इन बदलावों में चिड़चिड़ापन बढ़ जाना, अवसाद का शिकार होना, नींद न आना, आत्मविश्वास में कमी आना, ध्यान और एकाग्रता में कमी आना जैसी समस्याएं शामिल हैं.

इन्हें भी जानें : दुनिया की कुल जनसंख्या के 63 प्रतिशत सोशल मीडिया यूजर

इन्हें भी पढ़ें : बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर सख्ती

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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