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धीमी गति से दौड़ना तेज दौड़ने से है अधिक फायदेमंद ,क्या हैं नए रिसर्च

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New Health Research : ‘‘धीमी गति से दौड़ना’’.इस चलन के पीछे विचार यह है कि कोई भी दौड़ सकता है - चाहे आपकी क्षमता कुछ भी हो या आप कितनी भी तेज दौड़ें. इस दृष्टिकोण के प्रशंसकों का कहना है कि इसके कई फायदे हैं. यह न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि यह आपके दौड़ने को आनंददायक भी बनाता है

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धीमी गति से दौड़ना तेज दौड़ने से है अधिक फायदेमंद ,क्या हैं नए रिसर्च 4

(डैन गॉर्डन, जोनाथन मेलविले और मैथ्यू स्लेटर, एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय)

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New Health Research : ईस्ट एंग्लिया (ब्रिटेन), धावकों को समय को लेकर जुनून होता है. शौकिया हों या पेशेवर, अधिकतर धावकों का उद्देश्य तेजी से दौड़ना होता है. वे अपने मैराथन समय में से कुछ सेकंड कम करने के लिए लगातार प्रशिक्षण लेते हैं. लेकिन हाल के वर्षों में दौड़ने का जो चलन जोर पकड़ रहा है, वह है ‘‘धीमी गति से दौड़ना’’.इस चलन के पीछे विचार यह है कि कोई भी दौड़ सकता है – चाहे आपकी क्षमता कुछ भी हो या आप कितनी भी तेज दौड़ें. इस दृष्टिकोण के प्रशंसकों का कहना है कि इसके कई फायदे हैं. यह न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि यह आपके दौड़ने को आनंददायक भी बनाता है. अनुसंधान भी इससे सहमत हैं और साक्ष्यों से पता चलता है कि धीमी गति से दौड़ना कुछ मायनों में तेज गति से दौड़ने की अपेक्षा अधिक फायदेमंद हो सकता है.

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धीमी गति से दौड़ना तेज दौड़ने से है अधिक फायदेमंद ,क्या हैं नए रिसर्च 5
  • जब हम इलियड किपचोगे या केल्विन किप्टम जैसे विशिष्ट धावकों के बारे में सोचते हैं, तो हम मान सकते हैं कि विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए, वे मुख्य रूप से इन कीर्तिमान गति पर प्रशिक्षण लेते हैं. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, विशिष्ट धावक प्रशिक्षण के दौरान अपना लगभग 80 प्रतिशत समय जोन-2 दौड़ में बिताते हैं. इसमें दौड़ने की गति आपकी हृदय गति को बढ़ा देती है, लेकिन फिर भी इतनी धीमी होती है कि आप बातचीत कर सकते हैं. उनका लगभग 20 प्रतिशत प्रशिक्षण ही उच्च गति वाले दौड़ से संबंधित होता है.

  • इसका कारण प्रशिक्षण की वजह से शरीर पर पड़ने वाले दबाव के स्तर से है. जैसे-जैसे दौड़ने की गति बढ़ती है, शरीर पर उतना ही अधिक दबाव पड़ता है.शरीर पर जितना अधिक दबाव डाला जाएगा, व्यक्ति को बीमारी, संक्रमण और चोट लगने का खतरा भी उतना ही अधिक होगा. अधिक गति से दौड़ने के समय को कम करके, एथलीट बीमारी और चोट के कारण, प्रशिक्षण से चूकने की आशंका को सीमित करते हैं.

  • लेकिन इस दृष्टिकोण में चोट और बीमारी के जोखिम को कम करने के अलावा और भी बहुत कुछ है. प्रशिक्षण का एक मूलभूत पहलू उस विशेषता को विकसित करना है जिसे “आधार” के रूप में जाना जाता है. यह शब्द उन भौतिक आधारों का वर्णन करता है जो सभी प्रशिक्षण अनुकूलन को रेखांकित करते हैं.मजबूत धावक का अभिप्राय उनकी हृदय-श्वसन संबंधी सेहत है जिसके आधार पर उन्हें उच्च गति से दौड़ने के लिए अनुकूल बनाया जा सकता है.

  • इसे एक पिरामिड की तरह समझें, जिसका एक ठोस आधार है जिस पर बाकी संरचना बनी है। आधार जितना बड़ा होगा, पिरामिड उतना ऊंचा हो सकता है.

  • यही बात प्रशिक्षण पर भी लागू होती है. आपका आधार जितना बेहतर होगा, उच्च तीव्रता पर काम करते समय आप उतने ही अधिक सक्षम होंगे.

  • आपका क्षमता धीमी (ज़ोन-2) दौड़ के दौरान विकसित होती है, जहां शारीरिक तनाव अपेक्षाकृत कम होता है.लेकिन भले ही ज़ोन-2 के दौरान हृदय बहुत अधिक दबाव में नहीं होता, फिर भी प्रत्येक धड़कन में हृदय से निकलने वाले ऑक्सीजन युक्त रक्त की मात्रा इसकी अधिकतम मात्रा के करीब या अधिकतम होगी.

  • यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हृदय की पंपिंग क्षमता प्रशिक्षण के अनुकूल हो जाती है, लेकिन उच्च तीव्रता इस लाभ को नहीं बढ़ाती है. एक मजबूत आधार विकसित करने से काम करने वाली मांसपेशियों को प्रति धड़कन अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता मिलती है, जो दौड़ में सफल होने के लिए महत्वपूर्ण है.इतना ही नहीं, बल्कि धीमी गति से दौड़ने से शरीर ऊर्जा के लिए संग्रहीत वसा का इस्तेमाल करता है। यह प्रक्रिया खाद्य पदार्थों से प्राप्त कार्बोहाइड्रेट संग्रह पर निर्भर रहने के विपरीत है.

  • शरीर में एकत्र वसा का खंडित होना चयापचय की दृष्टि से कहीं अधिक कुशल प्रक्रिया है, क्योंकि वसा के एक अणु से प्राप्त ऊर्जा की मात्रा कार्बोहाइड्रेट के एक अणु से प्राप्त ऊर्जा की मात्रा से कहीं अधिक होती है. इसका मतलब है कि धावक कुल मिलाकर कम ऊर्जा का उपयोग करेंगे और कम थकेंगे तथा दौड़ के दिन तेजी से दौड़ने में सक्षम होंगे.

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अध्ययनों में क्या हुआ खुलासा

अध्ययनों में खुलासा हुआ है कि अधिक समय तक धीमी गति से दौड़ने वाले एथलीटों के लिए वीओ2 (ऑक्सीजन क्षमता) अधिकतम और गति में एक प्रतिशत की वृद्धि होती है. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अधिक तेजी से दौड़ने वाले एथलीटों की तुलना में धीमी गति से दौड़ने वालों का ‘एरोबिक आधार’ लगभग पांच गुना अधिक होता है.भले ही आप एथलीट न हों फिर भी अपने अधिकांश दौड़ की तीव्रता कम रखना श्रेष्ठ होता है.

धीमी और स्थिर

यदि आप धीमी गति से दौड़ने का प्रयास करना चाहते हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ आपकी गति है. आप वास्तव में कैसे जानेंगे कि आप धीमी गति वाली श्रेणी में आने के लिए सही गति पर हैं?कुछ वैज्ञानिकों ने दौड़ने की गति को पांच या छह अलग-अलग जोन में विभाजित किया है. शारीरिक रूप से ज़ोन-2 को लैक्टेट सीमा के नीचे होने के रूप में परिभाषित किया गया है. यह वह वह बिंदु है जब लैक्टेट (एक एसिड जो शरीर तब पैदा करता है जब वह ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट को खंडित करना शुरू करता है) सबसे पहले रक्त में दिखाई देना शुरू होता है.सरल शब्दों में, यह ऐसी गति होनी चाहिए जहां आप बातचीत कर सकें और आपकी हृदय गति आपकी अधिकतम गति के 70 प्रतिशत के आसपास हो.यदि आपको लगे कि बातचीत में कठिनाई होने लगी है तो आपको अपनी गति धीमी कर देनी चाहिए. यदि आप अकेले दौड़ रहे हैं, तो आप ‘टॉक टेस्ट’ कर सकते हैं. यदि आप सांस लेने में कठिनाई के बिना गा सकते हैं, तो आप सही श्रेणी में हैं. यदि बातचीत या गाना गाने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं तो आप अधिक तीव्रता से दौड़ रहे हैं और आपकी मांसपेशियों में लैक्टेट का निर्माण शुरू हो जाएगा जिससे आपके पैरों पर दबाव महसूस हो सकता है. धीमी गति से दौड़ने से शरीर और मानसिक स्वास्थ्य सहित कई लाभ होते हैं. इसलिए यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा अपनी धीमी गति से दौड़ने को लेकर शर्मिंदा होते हैं, तो शायद यह आपको अपने प्रशिक्षकों को तैयार करने और दौड़ जारी रखने के लिए प्रेरित करेगा.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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