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अधिक वजन या मोटापे से उच्च रक्तदाब का खतरा: इंडियन हार्ट्स लैकिंग केयर स्टडी

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उच्च रक्तचाप और मोटापे की दोहरी समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप कार्डियो वॉस्क्युलर डिसीज़ेज (सीवीडी) हो रही हैं. हाल ही में, भारतीय आबादी में, विशेष रूप से युवाओं में, कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं काफी बढ़ी हैं.

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भारत गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के टाइम-बम पर बैठा है, जो मुख्य रूप से अधिक वजन, मोटापे, उच्च रक्तचाप और चयापचय संबंधी विकारों के कारण होती हैं. इनमें से, उच्च रक्तचाप और मोटापे की दोहरी समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप कार्डियो वॉस्क्युलर डिसीज़ेज (सीवीडी) हो रही हैं. हाल ही में, भारतीय आबादी में, विशेष रूप से युवाओं में, कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं काफी बढ़ी हैं.

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इस बात को सामने लाने के लिए कि कैसे उच्च रक्तचाप और मोटापे की दोहरी समस्या भारतीय आबादी में कार्डियो वॉस्क्युलर डिसीज़ेस (सीवीडी) की बढ़ती घटनाओं का कारण बन रही है, विशेष रूप से मेट्रो शहरों में रहने वाले और कॉर्पोरेट के साथ काम करने वालों में. इन बीमारियों के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए यह बताना बहुत जरूरी है कि यह सब सही प्रकार के ज्ञान की कमी के कारण हो रहा है, इंडिया हेल्थ लिंक (आईएचएल) ने हील फाउंडेशन के सहयोग से “इंडियन हार्ट्स लैकिंग केयर” (आईएचएल केयर) अध्ययन किया है.

सर्वेक्षण में, भारत के 4 मेट्रो शहरों – मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर और चेन्नई से 1461 उत्तरदाताओं/लोगों ने भाग लिया. अध्ययन में 77 प्रतिशत पुरुषों और 23 प्रतिशत महिलाओं ने भाग लिया. प्रतिभागियों के सैंपल डायग्नोस्टिक टेस्ट के नतीजे/परिणाम 4 शहरों के डिजिटल कियोस्क/हेल्थ एटीएम से लिए गए. परीक्षण मापदंडों में उत्तरदाताओं की जनसांख्यिकी, लिंग, आयु, भूगोल बनाम आयु, बीएमआई वर्ग, बीपी वर्ग और एसपीओ2 स्तर शामिल थे. डेटा रैंडम सैंपलिंग मैथड द्वारा एकत्र किया गया था.

इंडियन हार्ट्स लैकिंग केयर (आईएचएल केयर) अध्ययन से पता चला है कि अधिक वजन या मोटापे के कारण बीएमआई अधिक होने से रक्तदाब का खतरा 41 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, क्योंकि बीएमआई और रक्तदाब के मध्य एक मजबूत संबंध है. अधिकांश मोटे या अधिक वजन वाले लोगों में उच्च रक्तचाप (30 प्रतिशत) या रक्तदाब का जोखिम (53 प्रतिशत) होता है. अध्ययन में यह बात भी निकलकर आई कि 26-40 वर्ष के आयु वर्ग के 53 प्रतिशत भारतीयों में मोटापे और उच्च रक्तचाप की दोहरी समस्या के कारण सीवीडी का उच्च जोखिम है.

बीएमआई स्कोर और रक्तदाब जोखिम के मध्य संबंध पर आईएचएल केयर स्टडी के तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए, इंडिया हेल्थ लिंक (आईएचएल) के संस्थापक और सीईओ डॉ सत्येंद्र गोयल ने कहा, “अध्ययन ने यह सामने लाया है कि बीएमआई स्कोर और रक्तदाब के मध्य एक मजबूत संबंध है. और यह भी देखा गया है कि बीएमआई स्कोर जितना अधिक होगा,, उच्च रक्तदाब का जोखिम उतना ही अधिक होगा. साथ ही दिल्ली (23 प्रतिशत) और मुंबई (15 प्रतिशत) में उच्च रक्तदाब के मामले देखे गए.

उच्च रक्तदाब मुख्य रूप से पुरुषों में देखा गया, नई दिल्ली में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत है और मुंबई में भी लगभग यही स्तर है. नई दिल्ली में 30 प्रतिशत पुरुषों और मुंबई में 15 महिलाओं में उच्च रक्तदाब होने का खतरा अधिक है, जबकि बैंगलोर में 50 प्रतिशत पुरुषों और 25 प्रतिशत महिलाओं में रक्तदाब का खतरा है. यह भी सामने आया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रक्तदाब का खतरा अधिक होता है. सीवीडी के मामले में भी ऐसा ही है, जो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाए जाते हैं.

डॉ गोयल आगे बताते हुए कहते हैं, “हम देखते हैं कि निष्क्रिय जीवन शैली और काम करने की आदतों ने 26-40 आयु वर्ग के लिए खतरा बढ़ा दिया है क्योंकि मोटापे और उच्च रक्तचाप की दोहरी समस्या के कारण उन्हें सीवीडी का उच्च जोखिम है. इसलिए, हृदय रोग से हृदय स्वास्थ्य की ओर बढ़ने की तत्काल आवश्यकता है, जिसे हम निवारक और प्रिडिक्टिव कार्डियोलॉजी के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं. उसके लिए, हमें प्रौद्योगिकी-संचालित देखभाल के माध्यम से नियमित रूप से निवारक जांच करने की आवश्यकता है जो स्वास्थ्य कल्याण लाने में सहायता करती है. ”

”डॉ मोहम्मद सादिक आज़म, कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, केआईएमएस अस्पताल, हैदराबाद ने कहा, “हाल ही में, इंडियन हार्ट्स लैकिंग केयर (आईएचएल केयर) अध्ययन युवा आबादी में मोटापे और उच्च रक्तचाप की दोहरी समस्या को सामने लाया है, जो सीवीडी के मामलों में प्रमुख योगदान देता है. और यह एक कारण हो सकता है कि युवा आबादी कार्डियक अरेस्ट के कारण दम तोड़ रही है, जिसे हम हाल के दिनों में देख रहे हैं.

भारतीयों को निवारक देखभाल और प्रारंभिक जांच को प्राथमिकता देने की आदत नहीं है; इसलिए ऐसी कई बीमारियों का जल्द निदान नहीं हो पाता है जिनकी रोकथाम संभव है, जिसके परिणामस्वरूप शहरी आबादी, खासकर युवाओं में बीमारी का बोझ बढ़ रहा है. इसलिए, हृदय को स्वस्थ रखने के लिए हर किसी के लिए एक नियमित निवारक और पूर्वानुमित जांच आवश्यक है.

हृदय के स्वास्थ्य के लिए आहार के महत्व पर जोर देते हुए, फ्रीडम वेलनेस, मुंबई की संस्थापक और निदेशक, सुश्री नाज़नीन हुसैन ने कहा, “उच्च रक्तदाब और मोटापे की दोहरी समस्या के कारण युवा आबादी में सीवीडी का उच्च जोखिम आईएचएल केयर अध्ययन से पता चलता है, जो देश के युवाओं के लिए एक चिंताजनक आंकड़ा पेश करता है. मोटापा और उच्च रक्तदाब दोनों ही मामलों में आहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए, सभी के लिए, विशेष रूप से कॉरपोरेट्स के साथ काम करने वाले लोगों के लिए, जो एक निष्क्रिय जीवन शैली जीते हैं, नियमित रूप से निवारक जांचें (प्रिवेंटिव स्क्रीनिंग) कराने के अलावा हृदय को स्वस्थ रखने वाले आहार नियम का पालन करना आवश्यक है.”

इंडिया हेल्थ लिंक (आईएचएल) के बारे में

आईएचएल (इंडिया हेल्थ लिंक) भारत में स्थित एक चिकित्सा उपकरण निर्मित करने और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनी है. जो अपने उन्नत डिजिटल प्लेटफॉर्म और पुरूस्कृत स्वास्थ्य स्टेशन – एचपीओडी के माध्यम से एक ‘यूजर-केंद्रित’ हेल्थकेयर इकोसिस्टम (स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र) का निर्माण कर रही है. आईएचएल प्रोपराइटरी पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड (पीएचआर) प्रणाली और कनेक्टेड वर्चुअल हेल्थकेयर मार्केटप्लेस के माध्यम से अपने सदस्यों/उपयोगकर्ताओं को उनके समग्र स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए जरूरी सुविधाएं सीधेतौर पर पूरी कर रही है. अधिक जानने के लिए https://indiahealthlink.com. पर जाएं.

हील फाउंडेशन के बारे में

हील फाउंडेशन – हील (स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता लीग) की एक शाखा है, जो सामाजिक सरोकारों से संबंधित एक समूह है. यह सामाजिक वैज्ञानिकों, विकास एजेंसियों, स्वास्थ्य संचारकों, अनुसंधान वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और नीति निर्माताओं के बीच तालमेल स्थापित करने और सार्थक संचार की सुविधा प्रदान करने का प्रयास करता है. इसका उद्देश्य स्वस्थ जीवन जीना सुनिश्चित करने के लिए लोगों में आवश्यक व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए स्वास्थ्य के मुद्दों पर जन जागरूकता बढ़ाना है. संक्षेप में, हील फाउंडेशन स्वास्थ्य सेवा संचार का पर्याय है. अधिक जानने के लिए https://healfoundation.in/. पर जाएं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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