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मोटे अनाज का महत्व और उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आना अकारण नहीं है. दरअसल, भारत सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2023 को सर्वसम्मति से 'अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष' घोषित किया गया है. दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऐसे अनाजों को 'सुपरफूड्स' के रूप में मान्यता दे रहे हैं.

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विवेक शुक्ला

एक दौर था, जब अनेक लोग मोटे अनाजों को ‘गरीबों का अनाज’ कहते थे, लेकिन अब इस गलत धारणा को दुरुस्त किया जा रहा है. हाल ही में विश्व के प्रभावशाली देशों के संगठन जी-20 के भारत में हुए सम्मेलनों की कड़ी में ऐसे अनाजों के विभिन्न व्यंजनों की अति विशिष्ट लोगों के समक्ष सर्विंग की गयी, जिसका सिलसिला जी-20 के निकट भविष्य में देश में फिर से आयोजित होने वाले अन्य सम्मेलनों में भी जारी रहेगा.

किसे कहते हैं मोटा अनाज

सरल शब्दों में कहें तो गेहूं और चावल को छोड़कर जई, बाजरा, रागी, ज्वार, जौ, कंगनी, कुटकी या कोदो और मक्का आदि को मोटे अनाज (मिलेट्स) के रूप में शुमार किया जाता है. इन्हें मोटा अनाज कहे जाने का एक कारण यह भी है कि गेहूं और चावल की तुलना में ऐसे अनाजों की सतह तुलनात्मक रूप से खुरदुरी होती हैं. भारत में मुख्य रूप से बाजरा, ज्वार, जौ एवं रागी आदि अनाजों की फसल बड़े पैमाने पर होती है. गेहूं व चावल की तुलना में मोटे अनाजों की फसल को तैयार करने में पानी की खपत कम होती है और ये कम उपजाऊ भूमि में भी विकसित होते हैं. यही नहीं, इसकी पैदावार में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों की भी जरूरत नहीं पड़ती.

आयुर्वेद में मोटे अनाज का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, मोटे अनाज वात और कफ दोष को संतुलित करने में सहायक हैं. इस कारण वात से संबंधित समस्याएं, जैसे- गठिया (अर्थराइटिस), हड्डियों व जोड़ों से संबंधित तकलीफ आदि और कफ से संबंधित समस्याएं, जैसे- जुकाम व खांसी और फेफड़ों से संबंधित अन्य तकलीफों, जैसे- दमा आदि में मोटे अनाजों का सेवन लाभप्रद है. आयुर्वेद के अनुसार, मोटे अनाज पाचन तंत्र को सशक्त रखने, शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने, मधुमेह और हृदय रोगों की रोकथाम में सहायक हैं, पर हर व्यक्ति के वात, पित्त और कफ से संबंधित दोष अलग-अलग होते हैं. इसके अलावा उम्र भी मायने रखती है. ऐसे में मोटे अनाजों का सेवन आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लेकर करना बेहतर है.

जारी हैं शोध व अध्ययन

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (आइआइएमआर), हैदराबाद के अनुसार मोटे अनाज एंटी डायबिटिक और कैंसररोधी तत्वों से भी परिपूर्ण हैं. उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों से बचाव में मोटे अनाजों का सेवन अत्यंत लाभप्रद है. इस संदर्भ में शोध अध्ययन जारी हैं.

मोटे अनाजों का पाचन तंत्र पर प्रभाव

  • मोटे अनाजों और उनसे निर्मित व्यंजनों के सेवन से कब्ज की समस्या नहीं रहती.

  • मोटे अनाजों के सेवन से शरीर के लिए हानिप्रद जीवाणुओं को दूर करने में मदद मिलती है और लाभदायक जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है. अगर किसी को पाचन तंत्र से संबंधित इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम नामक बीमारी है और इस बीमारी का कारण कब्ज है, तो मोटे अनाजों का सेवन लाभप्रद है.

  • ऐसे अनाजों के सेवन से आंतों में सूजन और संक्रमण (जिसे मेडिकल भाषा में कोलाइटिस कहा जाता है) की आशंकाएं भी कम हो जाती हैं.

  • फैट की मात्रा नगण्य और फाइबर से भरपूर होने के कारण आंत के कैंसर होने का खतरा कम होता है.

विभिन्न रोगों में लाभप्रद हैं मोटे अनाज

  • एनीमिया में लाभप्रद : मोटे अनाजों में बाजरा आदि में आयरन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. आयरन की कमी शरीर में रक्ताल्पता या एनीमिया की समस्या पैदा करती है. एनीमिया की रोकथाम या फिर इसके इलाज के दौरान मोटे अनाजों का सेवन इस समस्या को दूर करने में सहायक है.

  • मोटापे पर नियंत्रण : वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के एक अध्ययन के अनुसार, मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, अर्थराइटिस आदि समस्याओं का एक प्रमुख कारण है. मोटे अनाजों जैसे बाजरा, रागी और जई (ओट्स) आदि में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और इनमें वसा (फैट) की मात्रा नगण्य होती है. इस कारण मोटे अनाजों का सेवन मोटापे को नियंत्रित करने में अन्य उपायों जैसे- व्यायाम आदि के अलावा मददगार साबित होता है.

  • मधुमेह रोगियों के लिए अत्यंत लाभप्रद : इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, वे मधुमेह रोगियों के लिए अत्यंत लाभप्रद हैं. मोटे अनाजों जैसे रागी, जई और बाजरा आदि का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो मोटे अनाज रक्त में शुगर बढ़ने की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.

  • हृदय रोगियों के लिए हितकर : हेल्थ एक्सपर्ट्स और डाइटीशियंस के अनुसार, मोटे अनाजों में जई (इससे बनने वाला दलिया), रागी, बाजरा और ज्वार आदि से निर्मित उत्पाद या व्यंजन हृदय रोगियों के लिए लाभप्रद हैं, क्योंकि इनमें फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. फाइबर के अलावा इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम और पोटेशियम भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं. पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है और इसके साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करने में मददगार है, इसलिए इनके सेवन से हृदय धमनी रोग (कोरोनरी आर्टरी डिजीज) की रोकथाम में मदद मिलती है.

जई (ओट्स) की खासियत

मधुमेह और हृदय रोगों में जई लाभप्रद है. जो लोग जई को अपने दैनिक आहार में शामिल करते हैं, उनमें डायबिटीज और हृदय रोग होने का खतरा उन लोगों की तुलना में कम होता है, जो इसे नहीं लेते. इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिसकी खासियत यह है कि यह आसानी से पच जाता है. जई में आयरन, जिंक, कैल्शियम और विटामिन बी भी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं. ओट्स में फॉलिक एसिड भी पाया जाता है, जो बच्चों के विकास के लिए उपयोगी है.

उपभोग विधि : खीर, उपमा खिचड़ी, ओट्स से निर्मित कुकीज और ओट्स ब्रेड आदि के रूप में.

जई के पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 389 किलो कैलोरी

  • कार्बोहाइड्रेट : 66 ग्राम

  • प्रोटीन : 16.89 ग्राम

  • कैल्शियम : 54 मिलीग्राम

  • आयरन : 3.8 मिलीग्राम

  • फाइबर : 3.5 ग्राम

बाजरे (पर्ल मिलेट) का महत्व

ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने की वजह से बाजरा रक्त में ट्राइग्लिसराइड और रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स घुलनशील और अघुलनशील फाइबर्स, आयरन और प्रोटीन आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं. यह हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है.

उपभोग विधि : चपाती, खिचड़ी, लड्डू आदि के रूप में.

बाजरे के पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा :347.9 किलो कैलोरी

  • प्रोटीन : 5.43 ग्राम

  • कैल्शियम :27.35 मिलीग्राम

  • कार्बोहाइड्रेट :61.7 ग्राम

  • आयरन :6.42 मिलीग्राम

  • कुल फाइबर :11.49 ग्राम

रागी (फिंगर मिलेट) की खूबियां

मधुमेह टाइप-2 से ग्रस्त लोगों के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में यह बहुत सहायक है. यह वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करता है. इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट पाये जाते हैं. फाइबर और प्रोटीन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. रागी गर्भवती महिलाओं के लिए भी लाभप्रद है. स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है.

उपभोग विधि : खीर, हलवा, इडली, उत्तपम और चपाती आदि.

रागी के पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 328 किलो कैलोरी

  • प्रोटीन : 7.3 ग्राम

  • कार्बोहाइड्रेट : 72 ग्राम

  • कैल्शियम : 344 मिलीग्राम

  • आयरन : 3.9 मिलीग्राम

  • फाइबर : 3.6 ग्राम

  • वसा : 1.3 ग्राम

  • पोटैशियम : 408 मिलीग्राम

कंगनी (फॉक्सटेल मिलेट)

इसमें आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन्स आदि पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं. कंगनी में पोटैशियम भी मौजूद है, जो उच्च रक्तचाप व हृदय रोगों की रोकथाम में लाभप्रद है. यह भी मधुमेह टाइप-2 को नियंत्रित करने में सहायक है. यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर फाइट करने में सहायक है. इसमें फोलिक एसिड भी पाया जाता है, जो शरीर में रक्त की कमी को दूर करने में सहायक है.

उपभोग विधि : चपाती, लड्डू और खिचड़ी आदि के रूप में.

कंगनी में पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 351 के कैलोरीज

  • प्रोटीन : 11.2 ग्राम

  • कार्बोहाइड्रेट : 63.2 ग्राम

  • कैल्शियम : 31 मिलीग्राम

  • आयरन : 2.8 ग्राम

  • फाइबर : 3.5 ग्राम

  • वसा : 4 ग्राम

कुट्टू (बकव्हीट) के गुण

इसमें बी कांप्लेक्स और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. कुट्टू में पाये जाने वाले पोषक तत्व ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड (एक प्रकार की वसा जो हृदय की धमनियों में संचित जाती है, जिसके परिणामस्वरूप कालांतर में दिल का दौरा पड़ सकता है) को कम करने में सहायक हैं. इसका सेवन किडनी स्टोन, दमा और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव में सहायक है.

उपभोग विधि : तहरी, हलवा और पूड़ी आदि.

कुट्टू की विशेषता (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 323 के कैलोरी

  • कार्बोहाइड्रेट : 65.1 ग्राम

  • प्रोटीन : 10.3 ग्राम

  • कैल्शियम : 64 मिलीग्राम

  • आयरन : 15.5 मिलीग्राम

  • कुल फाइबर : 8.6 ग्राम

कुटकी लिवर के लिए हेल्दी

कुटकी में कुटुकिन नामक एंजाइम पाया जाता है, जो लिवर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायक है. इसमें कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. डायबिटीज टाइप-2, किडनी और पेशाब से संबंधित समस्याओं से बचाव करने में कुटकी सहायक है. कुटकी उच्च रक्तचाप बालों के लिए भी लाभप्रद है.

उपभोग विधि : खीर, उपमा, खिचड़ी, इडली, दोसा और चीला आदि के रूप में.

कुटकी में

पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 307 किलो कैलोरी

  • कार्बोहाइड्रेट : 65.5 ग्राम

  • प्रोटीन : 6.2 ग्राम

  • कैल्शियम : 20 मिलीग्राम

  • आयरन : 5 मिलीग्राम

  • मिनरल्स : 4.4 ग्राम

  • फाइबर : 9.8 ग्राम

मकई (कॉर्न) की खासियत

मकई में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इस कारण यह वजन को नियंत्रित करने में सहायक है. नाश्ते में मकई को दलिया के रूप में लेने पर यह उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों की रोकथाम में भी सहायक है. पेट के अल्सर से ग्रस्त लोगों के लिए भी यह पथ्य है. मकई को एंटी एलर्जिक माना जाता है. मूत्र से संबंधित समस्याओं में इसका सेवन लाभप्रद है.

उपभोग विधि : इडली, कुकीज, चपाती, मकई का सूप और और मकई युक्त पराठे के रूप में.

मकई के पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 342 के कैलोरी

  • कार्बोहाइड्रेट : 26.2 ग्राम

  • प्रोटीन : 11.1 ग्राम

  • वसा : 3.6 ग्राम

  • कैल्शियम : 27.35 मिलीग्राम

  • आयरन : 2.3 मिलीग्राम

  • फाइबर : 0.8 ग्राम

ज्वार सेहत के लिए फायदेमंद

ज्वार ग्लूटेन रहित है. गेहूं में ग्लूटेन नामक तत्व पाया जाता है. कुछ लोगों को ग्लूटेन से एलर्जी होती है, जिसके कारण उन्हें सीलिएक नामक रोग हो जाता है. ऐसे लोगों के लिए गेहूं के स्थान पर ज्वार का उपभोग करना लाभप्रद होता है. इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं.

उपभोग विधि : चपाती, दलिया, खिचड़ी, रोस्टेड ज्वार.

ज्वार में पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 349 किलो कैलोरी

  • कार्बोहाइड्रेट : 72.6 ग्राम

  • प्रोटीन : 10.4 ग्राम

  • कैल्शियम : 25 मिलीग्राम

  • आयरन : 4.1 मिलीग्राम

  • वसा : 1.9 ग्राम

जौ (बार्ली) का महत्व

उच्च रक्तचाप, हृदयरोग और मधुमेह से ग्रस्त लोगों के लिए खान-पान में जौ से बने विभिन्न व्यंजनों का सेवन लाभप्रद है. जौ ब्लड कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर यानी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक है. यह मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत है. यह वजन नियंत्रण में भी सहायक है, क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इसके सेवन से पाचन क्रिया सही रहती है.

उपभोग विधि : सूप, दलिया, चपाती और बिस्किट आदि के रूप में.

जौ के पोषक तत्व (100 ग्राम)

  • ऊर्जा : 336 के कैलोरी

  • कार्बोहाइड्रेट : 69.6ग्राम

  • प्रोटीन : 11.5 ग्राम

  • कैल्शियम : 26 मिलीग्राम

  • आयरन : 8 मिलीग्राम

  • फास्फोरस : 296 मिलीग्राम

  • टोटल फाइबर : 15.64 ग्राम

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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