International Women Day 2024: महिलाएं कभी अपनी प्राथमिकता में खुद शामिल नहीं होती हैं. उनके लिए उनका परिवार, उनकी खुशियां और जरूरतें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन महिलाओं को यह समझना चाहिए कि जब वे स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगी, तभी वह घर-परिवार की जिम्मेदारी अच्छी तरह पूरी कर पायेंगी. कई ऐसे उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर महिलाएं स्वयं को फिट और स्वस्थ रख सकती हैं. साथ ही रोगों की चपेट में आने से खुद को बचा भी सकती हैं. महिला दिवस के अवसर पर आपको खुद को स्वस्थ रखने का संकल्प लेना चाहिए. इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आइए जानते हैं महिलाओं को किस रोग का सबसे अधिक खतरा होता है, बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ :- डॉ अंजली कुमार, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सीके बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम और डॉ वीणा मिधा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, अवंतिका स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली
ब्रेस्ट कैंसर
भारत में ब्रेस्ट कैंसर के लगातार बढ़ते आंकड़े चौंकाने वाले हैं. दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों की महिलाएं तेजी से इसकी शिकार हो रही हैं. बदलती जीवनशैली के कारण महिलाएं करियर को प्राथमिकता देती हैं और शादी की उम्र बढ़ती जाती है. जो महिलाएं 25 से 30 वर्ष के बीच या 35 वर्ष के बाद मां बनती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि उनके शरीर में एस्ट्रोजन अधिक समय तक रह जाता है.
![International Women Day: महिलाओं में इन बीमारियों का लगातार बढ़ता खतरा 1 Breast Cancer 1](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/03/breast-cancer-1-1024x683.jpg)
इसके अलावा कामकाजी महिलाएं ठीक तरह से अपने बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पाती इससे भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. आंकड़ों की मानें तो जो महिलाएं बच्चों को एक साल तक दूध पिलाती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 11 प्रतिशत तक कम हो जाता है और अगर यह अवधि 24 महीने तक होती है, तो यह खतरा 25 प्रतिशत तक कम हो जाता है. जीवन में बढ़ते तनाव के कारण महिलाओं में मेनोपॉज समय से पहले हो रहा है. इस कारण महिलाएं मां नहीं बन पातीं, इससे भी ब्रेस्ट कैंसर की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा मोटापा और हॉर्मोन असंतुलन भी इसके रिस्क फैक्टर माने जाते हैं.
हृदय रोग
जंक फूड के प्रचलन ने मैदा, चीनी और नमक का सेवन बढ़ा दिया है. गैजेट्स और मशीनों के बढ़ते चलन के कारण शारीरिक सक्रियता कम हो गयी है. कामकाजी महिलाओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. जीवन की आपाधापी ने मानसिक तनाव का स्तर बढ़ा दिया है, इससे उनमें प्रीमेच्योर मेनोपॉज होने लगा है, जिससे एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है, जो महिलाओं में हार्ट अटैक के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है. पुरुषों में हार्ट अटैक के मामले इसलिए अधिक देखे जाते थे कि उनमें एस्ट्रोजन नहीं होता है, लेकिन मेनोपॉज के कारण अंडाशय काम करना बंद कर देता है और एस्ट्रोजन का निर्माण होना बंद हो जाता है. ऐसे में मेनोपॉज के बाद महिलाओं और पुरुषों में हृदय रोगों का खतरा समान होता है.
![International Women Day: महिलाओं में इन बीमारियों का लगातार बढ़ता खतरा 2 Heart Disease 1](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/03/Heart-Disease-1-1024x683.jpg)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हृदय रोग महिलाओं में मृत्यु का तीसरा सबसे प्रमुख कारण है. हाल में हुए एक सर्वे के अनुसार, भारत में 5 में से 3 शहरी महिलाएं हृदय की किसी-न-किसी समस्या से पीड़ित हैं. 35 से 44 की आयु वर्ग की महिलाओं में इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है. आंकड़ों की मानें तो पूरी दुनिया में हृदय रोगों से मरने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा होती है. इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होती हैं. वे अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेती हैं और बीमारियों की चपेट में आने के बाद भी इलाज को लेकर सक्रियता नहीं दिखाती.
कमर दर्द
![International Women Day: महिलाओं में इन बीमारियों का लगातार बढ़ता खतरा 3 Back Ache 1](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/03/Back-Ache-1-1024x683.jpg)
महिलाओं में कमर दर्द की समस्या लगातार बढ़ रही है. पहले मेनोपॉज को पहुंच चुकी और उम्रदराज महिलाओं में यह समस्या देखी जाती थी, लेकिन अब युवा कामकाजी महिलाएं भी अक्सर कमर दर्द की शिकायत करती हैं. ऑफिसों में कई घंटों तक बैठ कर काम करने वाली महिलाओं को कमर दर्द की समस्या अधिक परेशान कर सकती है. ऑस्टियोपोरोसिस, मोटापा, गलत पोस्चर और संतुलित व पोषक भोजन की कमी इसके प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा कई महिलाएं आकर्षक और आधुनिक दिखने के लिए हाइ हील के फुटवियर पहनती है. नियमित रूप से उन्हें पहनने से भी कमर दर्द की समस्या हो जाती है. कुछ महिलाएं कंप्यूटर पर आगे की ओर झुक कर कार्य करती हैं. इससे रीढ़ की हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ जाता है, जिससे कमर के निचले हिस्से और गर्दन में दर्द होता है.
हॉर्मोन असंतुलन
![International Women Day: महिलाओं में इन बीमारियों का लगातार बढ़ता खतरा 4 Hormone Imbalance 1](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/03/Hormone-imbalance-1-1024x683.jpg)
कुछ वर्षों पहले तक हॉर्मोन असंतुलन को अधिकतम मीनोपॉज से जोड़ कर देखा जाता था, लेकिन आज कई युवा महिलाएं भी हॉर्मोन असंतुलन से परेशान हैं. महिलाओं में बढ़ते हॉर्मोन असंतुलन के मामलों के प्रमुख कारणों में गलत जीवन शैली, पोषण और व्यायाम की कमी, तनाव का स्तर बढ़ना और बढ़ती उम्र प्रमुख है. फास्ट फूड के सेवन से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. ऑफिस में कार्य के दौरान कॉफी, चाय, चॉकलेट और सॉफ्ट ड्रिंक आदि का अधिक इस्तेमाल करने के कारण कई महिलाओं की एड्रीनलीन ग्रंथि अत्यधिक सक्रिय हो जाती है, जो दूसरे हार्मोनों के स्त्राव को प्रभावित करती है. गर्भनिरोधक गोलियां का सेवन भी हार्मोनों के स्त्राव को प्रभावित करता है. हॉर्मोन असंतुलन के कारण समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षण नजर आने से लेकर मासिक धर्म संबंधी गड़बड़ियां, सेक्स के प्रति अनिच्छा, गर्भधारण में समस्या होना और बांझपन जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है.
एनीमिया
![International Women Day: महिलाओं में इन बीमारियों का लगातार बढ़ता खतरा 5 Anemia 1](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/03/anemia-1-1024x683.jpg)
आंकड़ों की मानें तो हमारे देश की एक तिहाई महिलाएं एनीमिया की शिकार है. इनमें केवल वही महिलाएं शामिल नहीं हैं, जो कुपोषण की शिकार हैं. बड़ी संख्या उन महिलाओं की भी है, जो कामकाजी हैं और बड़े शहरों में रहती हैं. जीवन की आपाधापी और करियर की दौड़ में आगे रहने की चाहत में ये महिलाएं न तो संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करती हैं, न ही नियमित समय पर खाना खाती हैं. हर महीने होने वाले मासिक चक्र के कारण वैसे ही महिलाओं में आयरन की कमी होती है, पोषक भोजन का सेवन न करने से यह स्थिति और गंभीर हो जाती है और वे एनीमिया की शिकार हो जाती हैं. एनीमिया के कारण उन्हें थकान और कमजोरी का सामना भी करना पड़ता है. महिलाओं को यह ध्यान रखना जरूरी है कि अगर वह प्रतिदिन 18 मिलीग्राम आयरन का सेवन नहीं करेंगी तो उनके शरीर को ठीक प्रकार से काम करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा. हमारा शरीर सीमित मात्रा में ही आयरन का अवशोषण कर पाता है, इसलिए आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का नियमित रूप से सेवन करना बहुत जरूरी है.
(शमीम खान से बातचीत पर आधारित)
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