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Hearing Disorders: क्या है सेन्सरी न्यूरल नर्व हिअरिंग डिसऑर्डर? मशहूर गायिका हुईं बहरेपन का शिकार

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Hearing Disorders: सेन्सरी न्यूरल हीयरिंग लॉस आंतरिक कान के हिस्से में खराबी से होता है.सूक्ष्म रोएँ की सेल्स जो ध्वनि को मस्तिष्क तक ले जाती है. वो ठीक से काम नहीं कर पातीं खराबी या वाइरल इन्फेक्शन की वजह से और जब कान स्टेम सेल्स को जल्दी रिकवर नहीं कर पता तब यह समस्या जटिल और खतरनाक रूप ले लेती है.

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Hearing Disorders: 90वीं दशक से लेकर आज तक लोगों के कानों में अपनी आवाज का जादू बिखरने वाली नामचीन गायिका अलका याग्निक ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के द्वारा फैंस को बताया कि वह एक दुर्लभ बीमारी का शिकार हो गई हैं. उन्होंने लिखा कि “मेरे डॉक्टरों द्वारा जांच के अनुसार पता चला है कि अचानक वाइरल अटैक के बाद मुझे एक रेयर सेन्सरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस नाम की बीमारी है. यह अचानक आई विपदा से हम काफी शॉक्ड हैं. जब तक मैं इसे पूरी तरह से स्वीकार करती हूँ , आप सभी से गुजारिश है कि मेरे लिए ईश्वर से प्रार्थना करें.’’ यह देखते ही उनके सभी फैंस ने इंटरनेट पर उन्हें सहानुभूति और मनोबल दिया साथ ही उनके स्वस्थ्य रहने की प्रार्थना भी की. वाकई में यह काफी अविश्वसनीय बात है कि गीत संगीत ही जिसकी दुनिया हो वो शख्स बहरेपन जैसी परेशानी से जूझ रहा है.

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सेन्सरी न्यूरल नर्व हिअरिंग लॉस

सेन्सरी न्यूरल डेफ्नेस (बहरापन) एक तरह की स्थिति है जिसमें इंसान को कान से सुनाई देना बंद हो जाता है, ऐसा होता है कान के आंतरिक अंगों में खराबी, परेशानी की वजह से. दरअसल कानों से दिमाग तक जाने वाली नर्व जिसका नाम होता है ‘ऑडीटरी नर्व’, की जहां से शुरुआत होती है वहां खराबी आ जाने के चलते ऐसा होता है और तो और आजकल आश्चर्यचकित करने वाली बात है की बहुत से लोग जिन्हें वायरल फ्लू है वो इस समस्या का शिकार हो रहे हैं. हर साल फ्लू सीजन में में कोई ना कोई अजीब से लक्षण देखने मिलते हैं, इस साल लोग फ्लू के चलते बहरेपन का शिकार हो रहे है. अगर 48 घंटों के अंदर डॉक्टर को ना दिखाया गया तो ये लक्षण पर्मानेंट भी हो सकते हैं.

सेन्सरी न्यूरल नर्व हियरिंग डिसॉर्डर अलग कैसे है?

हमारे कान के 3 ढांचे होते हैं बाहरी हिस्सा, बीच का हिस्सा और आंतरिक हिस्सा.जब हमको कोई आवाज सुनाई देती है तो हमारे ईयर ड्रम्स वाइब्रैट करते हैं, जिससे मध्य हिस्से में मौजूद 3 छोटी हड्डियाँ हिलती हैं.ये ध्वनि को ‘कोचलिया’ तक ले जाती हैं, यह कान के आंतरिक हिस्से में मौजूद एक द्रव्य से भरा हुआ चैम्बर होता है. कोचलिया के किनारे किनारे सूक्ष्म रोएँ होते हैं, जैसे ही ध्वनि उन्हें छूती है वो वाइब्रैट करते हैं.ये रोएँ ध्वनि को बिजली के सिग्नल में परिवर्तित करके दिमाग तक पहुंचाने का काम करती हैं. जब भी आपके कान के बाहरी या मध्य हिस्से में कोई खराबी या परेशानी आती है, उससे इयर ड्रम और छोटी हड्डियों को को भी असर पड़ता है, इसी स्थिति को हम बाहरी बहरापन कहते हैं.

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सेन्सरी न्यूरल हीयरिंग लॉस आंतरिक कान के हिस्से में खराबी से होता है.सूक्ष्म रोएँ की सेल्स जो ध्वनि को मस्तिष्क तक ले जाती है. वो ठीक से काम नहीं कर पातीं खराबी या वाइरल इन्फेक्शन की वजह से और जब कान स्टेम सेल्स को जल्दी रिकवर नहीं कर पता तब यह समस्या जटिल और खतरनाक रूप ले लेती है. बहरापन जो बाहरी एवं बीच के हिस्से में परेशानी की वजह से होता है उसका इलाज संभव होता है और वो ठीक भी किया जा सकता है किन्तु आंतरिक कान की नर्व की समस्या का इलाज नहीं हो सकता अगर इसे समय पर और सही तरीके से संज्ञान में नहीं लिया गया तो.

यह किस स्थिति में होता है?

अलका याग्निक जी को यह बीमारी वाइरल इन्फेक्शन के चलते हुई. लेकिन इसके और भी कारण होते हैं जैसे की मेनिन्जाइटिस (दिमागी बुखार ),मम्प्स और मीज़ल्ज़ जैसी बीमारियाँ. इसके अलावा कान या सर में गहरी चोट लगना लंबे समय तक तेज़ आवाज या शोर के बीच रहने या सुनने के कारण भी यह होने का खतरा होता है.

लक्षण

  • अचानक सुनने की शक्ति तीव्रता से क्षीण होना या बिल्कुल ही ना सुनाई देना.
  • ऐसा लगना जैसे आस पास के लोग मुहं चला रहे हैं लेकिन उनकी आवाज और शब्द ना सुन पाना.
  • ऐसा लगना जैसे आस पास सब कुछ भुनभुना रहे हैं.
  • कभी कभी घंटी बजने या कानों में झंझनाहट की आवाज़ गूंजना.
  • कान सुन्न पड़ जाना.ऐसी किसी भी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और जांच करवाएं.

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इलाज

वाइरल इन्फेक्शन की वजह से कान के आंतरिक हिस्सों में पस भर जाता है और सूजन भी आ जाती है. 1 हफ्ते के अंदर अगर पीड़ित डॉक्टर के पास जाता है तो उसे इयर ड्रम में स्टेरॉइड इन्जेक्शन दिया जाता है सुनने की क्षमता सही करने एवेम पस से आराम दिलाने के लिए.और अगर यह समस्या पर्मानेन्ट है तो कान की मशीन और कोचलेयर इमप्लान्ट ही इसका संभव इलाज हैं.

इससे बचने के उपाय

आजकल जिस तरह के फ्लू एवं विरल इन्फेक्शन फैल रहे हैं, सबसे पहले तो इसके होने से बचें.भीड़ वाली जगहों पे मास्क पहने, हर साल फ्लू के लिए वैक्सिनेशन कराएँ .और खुद को बहरेपन से बचाने के लिए लंबे समय तक शोर में रहने से बचें और अच्छी कंपनी का इयरप्लग उपयोग करें और कान को हमेशा साफ रखें.

रिपोर्टः श्रेया ओझा

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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