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Healthy Life: खुले खाद्य पदार्थों के सेवन से हो सकता है फेफड़े में सिस्ट का खतरा, जानें क्या है इसका उपचार

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अगर आप स्ट्रीट फूड खाने के शौकीन हैं और साफ-सफाई का पूरा ध्यान नहीं रखते हैं, तो फेफड़े में सिस्ट होने का खतरा काफी बढ़ जाता है. अगर फेफड़े की सिस्ट के लक्षणों को पहचान कर उसका सही समय पर उपचार न करवाया जाये, तो मरीज की जान भी जा सकती है.

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डॉ. केके पांडेय

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कार्डियो वैस्कुलर सर्जन इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नयी दिल्ली

एक मरीज डॉक्टर के पास चेकप के लिए गया. जिसको बहुत दिनों से लगातार खांसी हो रही थी. खांसी के साथ उसको छाती में तेज दर्द भी होता था. जब उस मरीज के छाती का एक्सरे करवाया, तो फेफड़े में सिस्ट यानी कीड़े वाला ट्यूमर पाया गया. इस रोग में कई बार सिस्ट में लीक होने की वजह से तरल पदार्थ सांस की नली तक पहुंच जाता है, तो खांसी के साथ खून के छींटे भी आने लगते हैं. आजकल फेफड़ों में सिस्ट के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में इस रोग के प्रति सतर्क रहने और खाने से पहले हाथों की साफ-सफाई का खास ध्यान रखने की आवश्यकता है.

क्या होता है सिस्ट

शरीर के अंदर पायी जाने वाली सिस्ट को चिकित्सकीय भाषा में हाइडेटिड सिस्ट कहते हैं. यह एक विशेष कीड़े (इकाइनोकोकस ग्रैनुलोसस) का अंडा होता है, जिसके ऊपर कवच चढ़ा होता है. अंडा शरीर के जिस भी अंग में पहुंचता है, वहां यह धीरे-धीरे आकार में बड़ा होना शुरू हो जाता है. इस सिस्ट का शरीर के अंदर सबसे प्रिय निवास स्थान या तो फेफड़ा होता है या फिर लिवर. यह हाइडेटिड सिस्ट मानव शरीर के अन्य अंगों में भी पाया जा सकता है जैसे- दिमाग, दिल, हाथ व पैर की मांसपेशियां, कभी-कभी यह सिस्ट शरीर की हड्डी के अंदर भी पायी जा सकती है.

कुत्ते की आंत में कीड़े का निवास

आपको जानकर हैरानी होगी कि यह कीड़ा मनुष्य के शरीर में निवास न करके कुत्ते की आंतों में निवास करता है. कीड़े की छोटी-सी जीवनयात्रा में ही कुत्ते के मल के जरिये इसके अंडे लाखों की संख्या में बाहर मिट्टी में पहुंच चुके होते हैं.

कैसे हो जाते हैं लोग सिस्ट के शिकार

अपने देश में गंदगी, कीचड़ व नाले की भरमार है. खुलेआम मलमूत्र व कचड़ा जमीन पर पड़ा रहता है. कुत्ते ऐसी जगहों में अपना मल निकाल कर पेट हल्का करते हैं, जिससे जमीन व वातावरण भी दूषित होता है. यानी कि मिट्टी, पानी व हवा में इस कीड़े के अंडों की भरमार-ही-भरमार है. ऐसे में स्ट्रीट के अनहाइजेनिक फास्ट फूड के जरिये सिस्ट बनाने वाले अंडे भी लोगों पेट तक पहुंच जाते हैं. ये अंडे इतने बारीक होते हैं कि आंख से दिखते ही नहीं.

कैसे पहुंचती है फेफड़े तक सिस्ट

पेट में अंडे पहुंचने के बाद उसके अंदर का कीड़ा बाहर निकल आता है और आंत की दीवार को छेद कर आंतों में स्थित खून की नलियों के जरिये, लिवर में पहुंच जाता है और वहां से फिर शरीर के अन्य अंगों को प्रस्थान कर जाता है. शरीर में प्रमुख रूप से यह लिवर और फेफड़े में अपना स्थायी पड़ाव डाल लेता है. अपने पड़ाव पर पहुंच कर यह बढ़ना शुरू कर देता है और अपने चारों ओर एक कवच का निर्माण कर हाइडेटिड सिस्ट को जन्म देता है. यह धीरे-धीरे आकार में बढ़ना शुरू कर देती है.

इस बीमारी के लक्षणों को कैसे पहचानें

यदि आप खांसी, बलगम, खांसते समय छाती में दर्द, इस्नोफीलिया आदि से ग्रस्त हैं तथा कभी-कभी खांसी के साथ खून भी आ जाता है, तो यह फेफड़ों की सिस्ट के लक्षण हो सकते हैं. वहीं, अगर पेट के दाहिने हिस्से में दर्द हो और गांठ भी महसूस हो, तो लिवर में सिस्ट हो सकता है. सिस्ट से जुड़े लक्षण दिखने पर किसी थोरेसिक सर्जन से सलाह लें. छाती के एक्सरे से फेफड़े की सिस्ट की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा सिस्ट का आकार, उपस्थित होने का स्थान और इलाज का निर्धारण करने के लिए एमआरआइ जैसे अन्य जांचों की जरूरत पड़ती है.

कैसे करें सिस्ट से अपना बचाव

  • कभी भी हाथ को अच्छी तरह साफ किये बिना खाना न खाएं.

  • सड़कों के किनारे खुली हवा में बिकने वाले खाद्य पदार्थों जैसे- चाट, भेल पुरी, छोले भटूरे, चाऊमीन, बर्गर, गोलगप्पे आदि के सेवन से बचें. हमेशा ऐसी जगहों से खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो खाद्य पदार्थों को ढंके बर्तनों में रखते हों.

  • अगर आपके घर में पालतू कुत्ता है, तो उसकी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें, नियमित टीके लगवाएं और अगर आप कुत्ते के साथ खेल रहे हों या उसे स्वयं खाना खिला रहे हों तो इसके बाद हाथों को डिटरजेंट/हैंड वॉश से अवश्य धो लें.

  • ऐसी जगहों पर भोजन न करें, जहां पर चारों ओर मिट्टी उड़ती हो व फर्श की ठीक से सफाई न हुई हो.

  • अपने बच्चों के नाखूनों को ज्यादा बढ़ने मत दें.

क्या हैं इसके उपचार

सिस्ट के उपचार के निर्धारण में कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है जैसे- सिस्ट का आकार, छाती के अंदर उसका निवास स्थान और मरीज की शारीरिक अवस्था. फेफड़े की सिस्ट का सबसे उत्तम और आदर्श इलाज ऑपरेशन ही है. सिस्ट से ग्रस्त मरीज को चाहिए कि जितनी जल्दी हो सके ऑपरेशनन के जरिये फेफड़े की सिस्ट को निकलवा दें, अन्यथा सिस्ट के फट जाने पर जानलेवा जटिलताएं आ सकती हैं. सिस्ट निकालने के पहले ही विशेष दवाएं डालकर सिस्ट के अंदर पाये जाने वाले जिंदा कीड़ों को निष्क्रिय बनाना पड़ता है, अन्यथा ऑपरेशन के बाद भी और नयी-नयी सिस्ट बनने का खतरा बना रहता है. अगर फेफड़े की सिस्ट का सही समय पर इलाज न करवाया जाये तो मरीज की मौत भी हो सकती है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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