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Corona New Variant symptoms: कोरोना के नए वेरिएंट JN.1 के क्या हैं लक्षण, जानें बचने के उपाय

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JN.1 सब-वेरिएंट की पहचान सबसे पहले लक्ज़मबर्ग में हुई थी और तब से यह कई देशों में फैल रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, यह पिरोला वेरिएंट (BA.2.86) का वंशज है, जो ओमिक्रॉन का एक उप वेरिएंट है. पिरोला और नए वैरिएंट के बीच केवल एक बदलाव है और वह स्पाइक प्रोटीन में है.

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देश में एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामले ने चिंता बढ़ा दी है. सोमवार को भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 260 नए मामले सामने आए और उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 1,828 हो गयी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक मृतकों की संख्या बढ़कर 5,33,317 हो गयी है जबकि देश में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या 4.50 करोड़ है. इस बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4,44,69,931 हो गयी है और स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर 98.81 प्रतिशत है. संक्रमण से जान गंवाने की दर 1.19 फीसदी है. इधर हाल के दिनों में सामने आया कोरोना का नया वेरिएंट भी चिंता का विषय बना हुआ है. एक्सपर्ट का कहना है कि JN.1 स्ट्रेन पहले के वैरिएंट्स से कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता है. बता दें, भारत में केरल से JN.1 वैरिएंट का पहला मामला सामने आया है. वहीं कई जानकारों का मानना है कि भारत में एक बार फिर कोरोना अपने पैर पसार रहा है.

JN.1 सब वेरिएंट क्या है?

JN.1 सब-वेरिएंट की पहचान सबसे पहले लक्ज़मबर्ग में हुई थी और तब से यह कई देशों में फैल रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, यह पिरोला वेरिएंट (BA.2.86) का वंशज है, जो ओमिक्रॉन का एक उप वेरिएंट है. पिरोला और नए वैरिएंट के बीच केवल एक बदलाव है और वह स्पाइक प्रोटीन में है. इसके स्पाइक प्रोटीन में कई अनोखे उत्परिवर्तन हैं, जो इसे और अधिक विषैला बनाते हैं. यह अब अन्य ओमिक्रॉन उप-प्रकारों की तुलना में अधिक मजबूती से हमारी कोशिकाओं से जुड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अतिरिक्त उत्परिवर्तन वायरस को तेजी से फैलने और प्रतिरक्षा से बचने में सक्षम बनाता है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह अधिक प्रतिरक्षा प्रतिरोधी होता है. नवंबर में WHO वैज्ञानिकों द्वारा इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में पहचाना गया. JN.1 संस्करण संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और सिंगापुर में भी रिपोर्ट किया गया है.

JN.1 नए COVID वैरिएंट के लक्षण

जेएन.1 संयुक्त राज्य अमेरिका में अनुमानित 15 प्रतिशत से 29 प्रतिशत मामलों का प्रतिनिधित्व करता है. यद्यपि संक्रामकता और संचरणशीलता में वृद्धि हुई है, जेएन.1 के लक्षण अपेक्षाकृत हल्के हैं और अस्पताल में भर्ती होने की कोई खबर नहीं है. जहां मरीज घर पर ठीक हो रहे हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है कि वायरस तेजी से फैलता है और इसलिए इसे आगे फैलने से रोकने के लिए समय पर पता लगाना महत्वपूर्ण है. साथ ही, निकट भविष्य में वायरस कैसे फैलता है, इससे हमें इसके स्पष्ट लक्षणों का बेहतर अंदाजा हो जाएगा.

Also Read: JN.1 वैरिएंट क्या है? कोरोना के इस नये वैरिएंट ने बढ़ाई टेंशन, मोदी सरकार हुई एक्टिव
ये हैं लक्षण

JN.1 वैरिएंट के कुछ सामान्य लक्षण जो अब तक सामने आए हैं उनमें बुखार, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द और दस्त और पेट में ऐंठन जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं शामिल हैं. कुछ लोगों की सूंघने की शक्ति भी ख़त्म हो सकती है. लोग अत्यधिक थकान की भी शिकायत कर रहे हैं. निवारक उपायों में शामिल हैं – बार-बार हाथ साफ करना, ट्रिपल मास्क का उपयोग और सामाजिक दूरी. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने जेएन.1 के संबंध में एक चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने की क्षमता बढ़ सकती है, जिससे इसकी संक्रामकता के बारे में चिंताएं पैदा हो सकती हैं.


डब्ल्यूएचओ ने डेटा साझा करने का किया आग्रह

मामलों में वृद्धि के जवाब में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सदस्य देशों से मजबूत निगरानी बनाए रखने और अनुक्रम डेटा साझा करने का आग्रह किया है. जबकि केरल में अधिकांश मामले हल्के रहे हैं, स्वास्थ्य अधिकारी कोविड-19 वेरिएंट से संबंधित उभरती स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए निरंतर सतर्कता और तैयारियों की आवश्यकता पर बल देते हैं.

मोदी सरकार हुई एक्टिव

केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सांस संबंधी बीमारी के मामलों में वृद्धि और देश में कोरोना वायरस के नए JN.1 वैरिएंट का पहला मामला आने के बीच निरंतर निगरानी बनाए रखने को कहा है. भारत का JN.1 वैरिएंट का पहला मामला आठ दिसंबर को केरल में सामने आया. इससे पहले, तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के एक यात्री को सिंगापुर में JN.1 वैरिएंट से संक्रमित पाया गया था. बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री कुछ राज्यों में हाल में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और कोविड-19 सहित गंभीर सांस की बीमारी (एसएआरआई) के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं की तैयारियों की समीक्षा करने वाले हैं. ऑक्सीजन, अस्पताल के बिस्तर, वेंटिलेटर, दवाओं, डायग्नोस्टिक्स समेत अन्य इंतजाम और निगरानी के उपायों पर भी बात हो सकती है.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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