16.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Corona की तरह ही TB के मरीजों को होती है सूखी खांसी, उबरने में मददगार है ये प्राकृतिक चिकित्सा

Advertisement

tuberculosis natural treatment आमतौर पर टीबी या तपेदिक को फेफड़े की बीमारी से जोड़ा जाता है, लेकिन टीबी हड्डियों (रीढ़, घुटने), जोड़ों, गले, आंखों, स्किन- कहीं भी हो सकती है. तपेदिक का मतलब होता है- पुराना संक्रमण यानी किसी को बहुत क्रॉनिक इन्फेक्शन हो जाये, पस पड़ जाये, कीटाणु हो जाये, वह अंग खराब हो जाये. इस रोग के उपचार में प्राकृतिक चिकित्सा भी बहुत सहायक है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

आमतौर पर टीबी या तपेदिक को फेफड़े की बीमारी से जोड़ा जाता है, लेकिन टीबी हड्डियों (रीढ़, घुटने), जोड़ों, गले, आंखों, स्किन- कहीं भी हो सकती है. तपेदिक का मतलब होता है- पुराना संक्रमण यानी किसी को बहुत क्रॉनिक इन्फेक्शन हो जाये, पस पड़ जाये, कीटाणु हो जाये, वह अंग खराब हो जाये. इस रोग के उपचार में प्राकृतिक चिकित्सा भी बहुत सहायक है.

- Advertisement -

फेफड़ों में टीबी-जुकाम होने पर आमतौर पर दवाइयों से इसे दबा दिया जाता है या इग्नोर कर इलाज नहीं किया जाता है. कई बार यह बिगड़कर ब्रोंकल अस्थमा बनता है और फिर अस्थमा बन जाता है.

दमा का उपचार भी ठीक तरह से न होने पर बलगम ब्रोंकल ट्यूब में फैल जाता है और उसमें कीटाणु पड़ जाते हैं. इससे फेफड़े का 40-50 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं करता. इससे फेफड़े का टीबी या तपेदिक हो जाती है.

प्रमुख लक्षण

फेफड़ों के टीबी में मरीज के गले, छाती में जमा बलगम से सांस लेने में दिक्कत होती है, चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है, शरीर में दर्द, कमजोरी रहती है, वजन गिरने लगता है, बार-बार बुखार आता है. स्थिति घातक भी हो जाती है.

कारण

टीबी होने का मुख्य कारण हाइजीन की कमी है. दूसरा जागरुकता की कमी. आमतौर पर सर्दी-जुकाम, बुखार, बदन दर्द की अनदेखी की जाती है. डायग्नोज ठीक से न हो पाने के कारण सही उपचार भी नहीं होता और इन्फेक्शन अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है.

उपचार

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में टीबी के उपचार के लिए सबसे पहले यह देखा जाता है कि टीबी किस स्टेज में है. इस आधार पर उपचार विधि व औषधि अपनायी जाती है.

उपचार में अपनायी जाती हैं ये तकनीक

डॉ सत्य नारायण यादव प्राकृतिक चिकित्सक और निदेशक, अर्चना योगायतन, वसंतकुंज एनक्लेव, नयी दिल्ली

सन बाथ और मड थेरेपी : मरीज को धूप में लिटाकर सन बाथ दिया जाता है.फिर हॉट मड थेरेपी दी जाती है. औषधीय गुणों से भरपूर सूर्य की किरणों से चार्ज की गयी मिट्टी ली जाती है, जिसमें लौंग, सोंठ, कपूर और दालचीनी को मिलाया जाता है. इस मिट्टी को कढाई में हल्का गर्म करके माथे, पेट और छाती पर लगाकर, कंबल ओढ़ा कर कुछ देर लिटाया जाता है. इससे टीबी का बुखार ठीक हो जाता है और आराम मिलता है.

शोधन क्रिया

अगर टीबी प्रारंभिक अवस्था में है, तो इन्फेक्शन को दूर करने के लिए शोधन क्रिया की जाती है. इसे डिटॉक्सीफिकेशन कहते हैं. इसके लिए कुंजल या जलनेति क्रिया करवायी जाती है. इसमें नमकीन गुनगुना पानी एक तरफ की नाक से डाल कर दूसरी तरफ से निकाला जाता है. इससे नाक की गंदगी साफ होती है. इसके अलावा वस्त्र पट्टी क्रिया के नियमित अभ्यास से सारा बलगम, पित्त और फेफड़े के अंदर की गंदगी धीरे-धीरे निकल जाती है. मरीज इसे न कर पाये, तो उसे दिन में कई बार गुनगुना पानी पीने की सलाह दी जाती है.

स्टीम बाथ

मरीज को मुंह और नाक के माध्यम से स्टीम थेरेपी 5-15 मिनट तक दी जाती है. पतीले में पानी लेकर युकलिप्टिस के पत्ते या युकलिप्टिस ऑयल की 4-5 बूंदे डाली नाक में डाली जाती है. उसे चार तरह से गहरी सांस के साथ स्टीम लेने के लिए कहा जाता है. इससे श्वसनतंत्र में मौजूद बलगम पिघलने लगती है और बह कर निकल जाती है. मरीज को सांस लेने में आसानी हो जाती है.

स्टीम थेरेपी

स्टीम थेरेपी बलगम में मौजूद इन्फेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया का सफाया करने में भी मददगार है. इस प्रक्रिया से पुरानी सूखी खांसी, इन्फेक्शन दूर हो जाते हैं और बुखार ठीक हो जाता है. टीबी भी 1-3 महीने में जड़ से ठीक हो जाता है.

हाफ फुट बाथ

मरीज को स्टूल या तख्त पर बिठा कर गुनगुना पानी से भरे बड़े टब में टखने से ऊपर पिंडली तक पानी में पैर डुबोने के लिए कहा जाता है. उसे सिर से पैरों तक एक बड़ी चादर से इस तरह ढका जाता है कि पूरे शरीर की भाप से सिंकाई हो. हाफ फुट बाथ शरीर में ऊष्मा पैदा करता है और सर्दी-जुकाम दूर करता है.

प्राणायाम

रोज प्राणायाम करने से खून की गंदगी, फेफड़े, पेट या शरीर की गंदगी सांस के माध्यम से धीरे-धीरे बाहर निकलती है. प्राणायाम से 5-10 गुना ज्यादा शुद्ध हवा ले पाते हैं और रक्त में भी ऑक्सीजन का ऊर्जा स्तर बढ़ जाता है.

प्रस्तुति : रजनी अरोड़ा

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें