![अगर आपको भी लगता है डर तो हो सकते हैं क्लॉस्टेरोफोबिया के शिकार, चेक करें आप में भी तो नहीं हैं ये लक्षण 1 Undefined](https://cdnimg.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/Prabhatkhabar/2024-01/f70b8ecf-bdf4-4699-ab04-26393d4fa1d4/image___2024_01_03T112000_937.jpg)
बिग बॉस 17 के मंगलवार के एपिसोड में एक एंग्जाइटी डिसऑर्डर क्लॉस्टेरोफोबिया चर्चा में रहा. अंकिता लोखंडे को ये कहते हुए पाया गया कि सुशांत सिंह राजपूत को भी क्लॉस्टेरोफोबिया था. वहीं एक अन्य कंटेस्टेंट अभिषेक कुमार ने दावा किया कि उन्हें क्लॉस्टेरोफोबिया है. क्लॉस्टेरोफोबिया क्या होता है और यदि किसी को इस तरह की एंग्जाइटी की सेहत से जुड़ी समस्या है तो उसे कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए, यहां हम जानेंगे.
कई बार यह देखा जाता है कि एमआरआई मशीन, छोटे कमरे या लिफ्ट जैसी जगहों पर जाने में कुछ लोगों को डर महसूस होता है. वहां उन्हें घुटन होने लगती है. इसी मानसिक स्थिति को क्लॉस्टेरोफोबिया कहते हैं. ऐसी स्थिति में पैनिक अटैक तक आ सकता है. इसमें तेज पसीना आना, शरीर में कंपकंपी, घबराहट, गला सूखना, सर दर्द और कई बार बेहोशी की स्थिति का सामना करना पड़ता है.
एयरोप्लेन या लिफ्ट में आपको भी अगर डर लगता है, तो यह क्लॉस्टेरोफोबिया हो सकता है. किसी बंद स्थान, जैसे लिफ्ट या छोटे कमरे में जाने पर घबराहट महसूस हो या उसके बाद पैनिक अटैक आए तो इसे हल्के में ना लें. यह एक तरह का एंग्जाइटी डिसऑर्डर है. इसे क्लॉस्टेरोफोबिया कहते हैं. इसके लिए थेरेपी लेने की आवश्यकता है.
इस तरह के लक्षण आने पर इधर-उधर भागे नहीं, एक जगह पर बिल्कुल खड़े हो जाएं.
गाड़ी चला रहे हों तो गाड़ी को कहीं पार्क करके स्थिर खड़े हो जाएं और लक्षण के सामान्य होने का इंतजार करें.
खुद को वातावरण के अनुसार ढालें. आते-जाते लोगों या आसपास की चीजों को देखें और उन्हें महसूस करें.
अपनी सांसों पर काबू करें. धीरे-धीरे गहरी सांस लें और मन में सकारात्मक विचार रखें.
साइकोथेरेपी और काउंसलिंग से मिल सकता है इस डर से छुटकारा
इस तरह के एंग्जाइटी डिसऑर्डर का लक्षण महसूस होने पर इसे इग्नोर ना करें. ऐसी स्थिति में थेरेपी की जरूरत होती है.
इस तरह के लक्षण क्लॉस्टेरोफोबिया की वजह से ही सामने आ रहे हैं यह आपको विशेषज्ञ ही बता सकते हैं.
क्लॉस्टेरोफोबिया के लक्षण सामने आने पर साइकोलॉजिस्ट या साइकाइट्रिक से मिलें. वे साइकोथेरेपी और काउंसलिंग के माध्यम से इस डर से छुटकारा दिलाते हैं.
इसके इलाज के लिए कुछ दवाइयां और सप्लीमेंट्स भी दिए जाते हैं पर दिमाग में बैठे डर को दूर करने के लिए आपको खुद ही मेंटल रूप से स्ट्रांग होना होगा.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.