विधि बिरला
Mediation Benefits: क्या आप जानते हैं? ध्यान केवल बड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि बच्चों के लिए भी बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है? वास्तव में यदि पाँच वर्ष की आयु से ही ध्यान की शुरुआत की जाए, तो यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. हाँ, आपने सही पढ़ा !
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Mediation Benefits: प्रसिद्ध पुस्तक “योगी कथामृत” के लेखक श्री श्री परमहंस योगानन्द ने योगदा सत्संग पाठ में कहा है, “आप के मन के द्वारों के पीछे की शान्ति में कितना आनन्द आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, कोई मानवीय वाणी इसे व्यक्त नहीं कर सकती. परन्तु आपको स्वयं को विश्वास दिलाना होगा, आपको ध्यान करके उस परिवेश का निर्माण करना होगा.
बच्चों के लिए ध्यान के लाभ :
1. एकाग्रता में वृद्धि.
2. अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति से बचाव.
3. तनाव और चिंता से मुक्ति.
4. जागरूकता और विवेकशीलता का विकास.
5. बेहतर नींद और अच्छा स्वास्थ्य.
6. सहानुभूति और समझ का विकास.
7. ग्रहणशीलता और स्वीकार्यता का विकास.
8. आत्मविश्वास और स्वाभिमान में वृद्धि.
9. व्यसनों को परास्त करने में सहायता .
10. शांति और आनंद का अहसास.
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ध्यान के बिना बच्चों के लिए जीवन की चुनौतियों का सामना करना कठिन होता है. यह सच है कि माता-पिता हमेशा हमारे साथ नहीं होते. कठिन समय में, ध्यान हमारा सबसे बड़ा उपहार बन जाता है; ऐसे समय में हम ध्यान में सततता की शक्ति का अनुभव करते हैं; जब गुरु (दिव्य शक्ति) आएँगे, हमारे हाथों को प्यार से पकड़ेंगे और हमें गहरे, अंधकारमय भय और दुख के समुद्र से खुशी के उज्ज्वल तट पर ले जाएँगे. बच्चों के भविष्य के लिए पैसे बचाना महत्त्वपूर्ण है, लेकिन सच्ची खुशी मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की देखभाल से आती है; और इसके लिए ध्यान से बेहतर तरीका क्या हो सकता है? हम अपने बच्चों को कौशल विकास की विभिन्न कक्षाओं में दाखिल करते हैं, लेकिन हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि सबसे महत्त्वपूर्ण कौशल ध्यान है क्योंकि यह समग्र परिणामों के विकास में मदद करता है.
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मैं बचपन से योगोदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के प्रत्येक रविवार को होने वाले बच्चों के सत्संग से जुड़ी हुई हूँ. यहाँ होने वाली विभिन्न गतिविधियाँ जैसे व्यायाम, ध्यान, आध्यात्मिक अध्ययन, ग्रीष्मकालीन शिविर और यात्राओं में मैं हमेशा से भाग लेती रही हूँ और इसकी महत्ता को अच्छे से समझती हूँ, खासकर अब जब मैं अपने शहर राँची को छोड़ अन्य शहर में पढ़ाई के लिए आई हूँ. हर क्षण अपने साथ मैं एक अदृश्य परंतु सत्य दिव्य शक्ति को अनुभव करती हूँ जो मुझे सुन सकती है व मेरा सही मार्गदर्शन के साथ-साथ मेरी रक्षा करती है. मैं सभी माता-पिता को प्रोत्साहित करना चाहती हूँ कि वे भी अपने बच्चों को ऐसे आध्यात्मिक कार्यक्रम से जोड़ें जैसे मेरे माता-पिता ने मुझे जोड़ा – बचपन से ध्यान करने की आदत से. मुझे लगता है यह उनके जीवन में जिज्ञासा और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा दे सकेगा.
मेरी ऊर्जा और शांति का स्रोत – एक अनुभव :
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया ने हाल ही में अपने संतों के मार्गदर्शन में एक सात दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन किया, जिसमें 45 बच्चों ने 15 स्वयंसेवकों की देखरेख में भाग लिया. इसमें योगासन, ध्यान और दूसरी कई गतिविधियाँ शामिल थीं. बच्चों को “योगी कथामृत” की मोहक कहानियों से अवगत कराया गया. शिविर की अन्य गतिविधियों में सत्संग, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, बिजली के सिद्धांतों के बारे में जानना, बागवानी, प्राथमिक चिकित्सा, खाने के नियम आदि के बारे मे जानना, शामिल थे. रामायण के सुंदरकाण्ड का व्याख्यान संकीर्तन के साथ किया गया. सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक बच्चों ने विभिन्न गतिविधियों के साथ विभिन्न खेल-कूद, ताज़ा नाश्ता, भोजन, नृत्य, गायन, अभिनय तथा कला की कक्षाओं का भरपूर आनंद लिया. इन सब से बच्चों का आध्यात्मिक और पूर्ण विकास एक सकारात्मक वातावरण में हो पाया. अंतिम दिन बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम से सबका मन मोह लिया. अंत में, पूरे सप्ताह की गतिविधियाँ सभी को स्लाइड शो के माध्यम से दिखाई गई.
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लेखिका विधि बिरला, सिंबायोसिस, पुणे में मास कम्यूनिकेशन की तीसरी वर्ष की छात्रा हैं. बचपन से ही योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के बच्चों के लिए होने वाले सत्संग से जुड़े होने के कारण, उन्होंने ध्यान के महत्त्व को भली-भाँति जाना है.कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में अपने दृढ़ आधार और आध्यात्मिकता में रुचि के साथ, विधि अपने कार्य द्वारा सार्थक प्रभाव डालने का प्रयास करती हैं.
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