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yeh kaali kaali ankhein season 2 review:इस टाइमपास पल्प फिक्शन का प्लस पॉइंट हैं ताहिर राज भसीन

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नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही ये काली काली आंखें सीजन 2 को देखने का मन बना रहे हैं, तो इससे पहले पढ़ लें यह रिव्यु

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वेब सीरीज:ये काली काली आंखें 2

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निर्देशक : सिद्धार्थ सेनगुप्ता

कलाकार :ताहिर राज भसीन,आंचल सिंह,गुरमीत चौधरी,श्वेता त्रिपाठी शर्मा, अरुणोदय,वरुण बडोला,राजेश्वरी सचदेवा, सूर्या,सौरभ शुक्ला और अन्य

प्लेटफार्म:नेटफ्लिक्स

रेटिंग : ढाई


yeh kaali kaali ankhein season 2 review :प्यार, धोखा और जूनून की कहानी ये काली काली आंखें दूसरे सीजन के साथ ओटीटी पर लौट आयी है.यह पल्प फिक्शन इस सीजन कहानी और किरदारों को ग्रे से डार्क बना गया है. कहानी में ट्विस्ट एंड टर्न है,लेकिन चौंकाने जैसा कुछ भी नहीं है.जिससे यह सीरीज शुरुआत से आखिर तक बांधे रखती है. कलाकारों का अभिनय इस सीरीज का प्लस पॉइंट है.

धोखे पर धोखे की है कहानी

सीजन 2 की शुरुआत पूर्वा (आंचल सिंह )के अपहरण से होती है,विक्रांत (ताहिर राज भसीन )ने जालान (अरुणोदय )को पूर्वा को मारने का काम दिया था, लेकिन जालान विक्रांत को धोखा देते हुए पूर्वा को मारने के बजाय उसका अपहरण कर लेता है. वह अधिराज (सौरभ शुक्ला ) से फिरौती की मांग कर रहा है.इधर शिखा (श्वेता त्रिपाठी )की शादी किसी और से हो रही है.विक्रांत किसी भी कीमत पर अब पूर्वा को मरवाना चाहता है ताकि उसकी सच्चाई सामने ना पाए और वह शिखा के साथ अपनी मनचाही जिंदगी जी सके. वैसे मामला सिर्फ यही नहीं है. अधिराज का एक पुराना दुश्मन शेरपा (वरुण बडोला ) भी वापस आ गया है. जिसे अतीत में अधिराज से धोखा मिला है. अब वह अधिराज की मौत चाहता है और पूर्वा के जालान द्वारा अपहरण का वही मास्टरमाइंड भी है. इस बीच, पूर्वा का एक वन साइडेड प्रेमी भी कहानी में आ गया है, गुरु (गुरमीत चौधरी),जो पूर्वा को बचाने के लिए दुनिया के किसी भी कोने में जा सकता है. क्या विक्रांत पूर्वा से निकल पायेगा. क्या इस सीजन विक्रांत अपने प्यार शिखा के साथ अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत कर पायेगा या उसकी जिंदगी में यह सीजन और एक तूफान लेकर आएगा. इन सभी सवालों के जवाब यह नया सीजन देता है.

सीरीज की खूबियां और खामियां

प्यार,धोखा और जूनून की यह कहानी इस सीजन और ज्यादा गहरी हो गयी है. सीरीज में एक बाद एक ट्विस्ट आते रहते हैं. क्या विक्रांत का सारा खेल अधिराज को मालूम पड़ जाएगा और  उसके परिवार को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा.सीरीज के दूसरे एपिसोड से छठवें एपिसोड तक कहानी में यही खेल चलता रहता है. विक्रांत जब भी कोई झूठ बोल रहा है. वो और बड़ी मुसीबत को साथ ला रहा है. जिससे विक्रांत को निकलना है. इस बार उसके आसपास पूर्वा भले ना हो लेकिन अधिराज और उसके जेम्स बांड जैसे तेज साथी गुरु और उसकी टीम है. इस बार प्यार से ज्यादा मामला सर्वाइवल पर आ गया है. जिस वजह से शुरू से आखिर तक यह सीरीज आपको एंगेज करके रखती है.इस सीरीज की कहानी को विक्रांत के किरदार के वॉइस ओवर के जरिये कहा गया है.जिसमे संवाद की भूमिका अहम् हो जाती है और मेकर्स ने इस पहलू के साथ बखूबी न्याय किया है. दो वक़्त का मौन मेरी किस्मत के लिए जैसे संवाद शो को और ज्यादा एंगेजिंग बनाते हैं. सीरीज की सिनेमेटोग्राफी विषय के साथ न्याय करती है. खामियों की बात करें तो ओटीटी कंटेंट के साथ दिक्कत यह है कि लेखक और निर्देशक इस बात को मानकर चलते हैं कि कहानी को आगे सीजन में भी पहुंचाना है. इस सीजन भी यही हुआ है. जिससे आखिर में कहानी को बहुत जल्दीबाजी में समेट दिया गया है ताकि उसके जवाब के लिए आपको अगले सीजन का इन्तजार करना पड़ा. सीरीज की खामियों में  इस सीजन अनन्त जोशी के किरदार के जरिये हास्य जोड़ने के लिए जिन दृश्यों का इस्तेमाल हुआ है. वह कॉमेडी से ज्यादा इरिटेट करते हैं. वैसे पिछले सीजन से सीख लेते हुए इस सीजन कहानी को 8 के बजाय  6 एपिसोड में ही समेट दिया गया है. यह अच्छा पहलू है. सीरीज से जुड़े दूसरे पहलू भी ठीक ठाक हैं.

  एक्टर्स ने अपने अभिनय से शो को बनाया एंगेजिंग 

काली काली आंखें सीरीज की कहानी को ताहिर भसीन के किरदार के जरिये कहा गया है. इस सीजन के साथ उनका किरदार रोचक के साथ -साथ डार्क हो गया है.उनके किरदार में अलग अलग शेड्स जुड़ गए है और वह हर सीन में उसे बखूबी सामने लेकर आते हैं. पूर्वा के किरदार में एक बार फिर आंचल सिंह का काम बढ़िया हैं. वैसे इस बार वह जुनूनी प्रेमिका नहीं बल्कि सर्वाइवल के तौर पर सीरीज में हैं. श्वेता त्रिपाठी भी अच्छी रही हैं,लेकिन उनके किरदार को थोड़ा और सीरीज में विस्तार देने की जरुरत थी. अरुणोदय सिंह पिछले सीजन के मुकाबले इस बार ज्यादा स्क्रीन पर दमदार तरीके से दिखें हैं. सौरभ शुक्ला ने एक बार फिर अपने किरदार को बढ़िया ढंग से निभाया है. गुरमीत के किरदार में लेयर नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने हिस्से की भूमिका को बखूबी जिया है. सीरीज में वह शानदार एक्शन करते दिखें हैं. वरुण बडोला की भी इस सीजन एंट्री हुई है, लेकिन उनके करने को कुछ खास नहीं था. राजेश्वरी सचदेवा भी शुरुआत और आखिरी के एपिसोड में नजर आयी हैं. बाकी के किरदार अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं.

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