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Shekhar Home web series Review:देशी शेरलॉक होम्स की यह कहानी है प्रेडिक्टेबल और किरदार सपाट

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shekhar home वेब सीरीज शेरलॉक होम्स से प्रेरित है. जिसे देसी अंदाज में पेश किया गया है. यह देसी अंदाज खास है या नहीं बनी बात. जानते हैं इस रिव्यु में

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वेब सीरीज – शेखर होम

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निर्देशक -सृजित मुखर्जी और रोहन सिप्पी

निर्माता -बीबीसी स्टूडियो लिमिटेड  

कलाकार – के के मेनन, रणवीर शौरी,रसिका दुग्गल,कीर्ति कुल्हारी,कौशिक सेन,शहनाज पटेल और अन्य

प्लेटफार्म – जिओ सिनेमा 

रेटिंग – दो 

shekhar home वेब सीरीज इन दिनों जिओ सिनेमा पर स्ट्रीम हो रही है.अगर आप जासूसी फिल्मों से शौकीन हैं, तो शीर्षक से ही आपको यह बात समझ आ जाएंगे  कि यह सीरीज विदेश में जासूसी कहानियों के लिए सबसे चर्चित नाम शेरलॉक होम्स से प्रेरित है.वैसे सिर्फ नाम ही नहीं बल्कि इस सीरीज में शेखर से जुड़े किरदारों रणवीर शौरी,रसिका दुग्गल और कीर्ति कुल्हारी  में भी आपको शेरलॉक होम्स के किरदारों की झलक साफ  तौर पर देखने को मिलेगी।बस इसे देसी अंदाज में प्रस्तुत किया गया है और इसका सेटअप बंगाल है. भारत में जासूसी दुनिया का बांग्ला साहित्य में अपना बड़ा कैनवास है. फेलुदा से व्योमकेश तक कई आइकोनिक डिटेक्टिव इसने गढ़े हैं तो इसी के मेल से शेखर होम को गढ़ा गया है.शीर्षक और किरदारों में सीरीज पॉपुलर फिल्म शेरलॉक होम्स की याद दिलाती है लेकिन केसेज के मामले में वह थ्रिल नहीं आ पाया है ,जो एक जासूसी सीरीज की सबसे बड़ी जरुरत थी.कमजोर लेखन ने देशी शेरलॉक होम्स का खेल बिगाड़ दिया है और कुछ भी प्रभावी परदे पर नहीं आ पाया है.कहानी प्रेडिक्टेबल है और किरदार भी सपाट रह गए हैं.


फीकी है जासूसी की यह कहानी  

सर आर्थर कॉनन डॉयल की किताबों से प्रेरित यह सीरीज बीबीसी के शेरलॉक होम्स का ऑफिशियल रीमेक है. लंदन के बजाय कहानी बंगाल में सेट की गयी है और 90 का दशक है.मतलब साफ है कि टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि बुद्धि के इस्तेमाल से केसेज को सॉल्व किया जाएगा. कहानी की शुरुआत में हम देखते हैं कि तीन साइंटिस्ट गायब है.किसी एम नाम से बड़ा खतरा है. पुलिस अफसर लाहा (रूद्रनील घोष ) इसमें प्रोफेसर शेखर (के के मेनन )की मदद मांगता है, जिसके बाद यह सिलसिला ही बन जाता है.शेखर  एक के बाद एक अनसुलझे रहस्य को सुलझाते हैं, जिसमे ब्लैकमेलिंग और मर्डर ही नहीं बल्कि सुपरनैचरल जैसा भी कुछ है. शेखर का साथ इसमें उसका एक सहयोगी जयव्रत (रणवीर शौरी )भी देता है.सीरीज आखिर में जिस तरह से खत्म होता है.यह अंदाजा लगाना आसान है कि इसका नेक्स्ट सीजन का ऑप्शन भी मेकर्स ने ओपन छोड़ा हुआ है.


सीरीज की खूबियां और खामियां 

इस सीरीज को छह एपिसोड के जरिये कहा गया है.मेकर्स की शेरलॉक होम्स का देसी रूपांतरण लाने की सोच नेक है, लेकिन कल्ट क्लासिक शेरलॉक होम्स के साथ यह तुलना में टिक नहीं पाता है,क्योंकि सिर्फ सोच से अच्छे शोज नहीं बनते हैं.शेखर होम देखते हुए आपको यह बात शिद्दत से महसूस होती है कि ऐसा कोई भी केस नहीं है, जो शेखर के लिए चुनौती बनें.शेखर के लिए सब कुछ आसान है, यहां तक कि एम किरदार को सीरीज के शुरुआत में काफी दिलचस्प तरीके से दिखाया है. लगा था कि जबरदस्त टक्कर देखने को मिलेगी, लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले किरदार के साथ न्याय नहीं कर पायी है. मेकर्स को यह बात समझने की जरूरत थी कि खलनायकअगर पावरफुल होगा तो ही नायक यानी शेखर होम का किरदार सही मायनों में परदे पर उभरकर सामने आएगा.कहानियां ही नहीं बल्कि इस डिटेक्टिव सीरीज के किरदार भी सपाट हैं.शो के प्रोडक्शन वैल्यू में भी चूक दिखती है.शुरुआत के कुछ एपिसोडों में प्रोडक्शन डिज़ाइन, लाइटिंग से लेकर सिनेमैटोग्राफी में खामियां दिखती हैं.आखिर के दो एपिसोड में ही इन पहलुओं पर ध्यान दिया गया है.सीरीज का गति भी धीमी है. सेटअप करने में यह ज्यादा समय लेती है.सीरीज की एडिटिंग में थोड़ा काम करने की जरुरत थी.


के के और रणवीर शौरी का साधा हुआ अभिनय

 अभिनय की बात करें तो इसमें अभिनय के कई बड़े नाम शामिल हैं.के के मेनन शीर्षक भूमिका में है और उन्होंने अपनी अदाकारी से किरदार में अपनी छाप छोड़ी है.के के मेनन जैसे मंझे हुए कलाकार की मौजूदगी के बावजूद रणवीर शौरी भी सीरीज में अपनी उपस्थिति दर्शाने में कामयाब रहे हैं,हालांकि जयव्रत और शेखर के बीच परदे पर यादगार वाली  बॉन्डिंग नहीं बन पायी है.रसिका दुग्गल और कौशिक सेन भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं.कीर्ति कुल्हारी अपनी भूमिका में अच्छी कोशिश करती है, लेकिन कमजोर लेखन ने उन्हें ज्यादा कुछ करने का मौक़ा नहीं दिया है.बाकी के किरदार अपनी भूमिका में ठीक ठाक रहे हैं. 

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