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पहली बार वेब सीरीज की थाली में मैथिली की ‘नून रोटी’,निर्देशक विकास झा-रोशनी झा ने बताया क्या खास है इसमें

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मैथिली की पहली वेब सीरीज ‘नून रोटी’ के निर्माण का फैसला विकास झा और रोशनी झा ने किया. ये जोड़ी साफ तौर पर कहती है कि ओटीटी पर अपनी मातृभाषा में कुछ है ही नहीं, तो दोष किसको दें और इंतजार किसका करें कि कौन बनायेगा, इसलिए हमने जिम्मेदारी ले ली.

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बिहार की कहानियां और कलाकार इन दिनों ओटीटी की पहली पसंद बने हुए हैं, लेकिन इन्हीं ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर बिहार की स्थानीय भाषाओं को स्थान नहीं मिला है, जबकि भारत की दूसरी प्रादेशिक भाषाओं की फिल्मों का इन पर बकायदा अलग से एक सेक्शन है. इसी अनदेखी को देखते हुए मैथिली की पहली वेब सीरीज ‘नून रोटी’ के निर्माण का फैसला विकास झा और रोशनी झा ने किया. ये जोड़ी साफ तौर पर कहती है कि ओटीटी पर अपनी मातृभाषा में कुछ है ही नहीं, तो दोष किसको दें और इंतजार किसका करें कि कौन बनायेगा, इसलिए हमने जिम्मेदारी ले ली. हमारा सपना है कि लोग हमारी भाषाओं की फिल्मों को गंभीरता से लें, उसके कंटेंट को सराहें. उनकी इस वेब सीरीज व उससे जुड़े अन्य पहलुओं पर खास बातचीत के प्रमुख अंश.

मैथिली की इस वेब सीरीज की जड़े बिहार से कितनी जुड़ी हुई हैं, आमतौर पर बिहार की कहानी होते हुए उसे दूसरे राज्यों में शूट करने का चलन रहा है?

इस वेब सीरीज की जड़े पूरी तरह से बिहार से ही जुड़ी हैं. कहानी पलायन के एक अलग पहलू को सामने लेकर आयेगी. दरभंगा, भागलपुर, सीतामढ़ी, सहरसा, मधुबनी, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण के बाल्मीकि नगर में इसकी शूटिंग हुई है. हमारी वेब सीरीज चार युवाओं की कहानी है. ये चारों कलाकार भी बिहार से हैं. दिबाकर झा दरभंगा के हैं. ऑल्ट बालाजी व सोनी लाइव की वेब सीरीज के लिए वे काम कर चुके हैं. मुजफ्फरपुर के मणि कौशिक, भागलपुर से ऋषभ कश्यप, सहरसा से आदर्श भरद्वाज- ये चार मुख्य एक्टर्स हैं.

शूटिंग के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा?

हमलोगों की फैमिली दरभंगा में रहती है, लेकिन हमलोग नून रोटी के चक्कर में बाहर ही रह रहे हैं. ऐसे में वहां के युवाओं को जोड़कर एक टीम बनाना और इस पर काम करना एक बड़ा चैलेंज था, कयोंकि वहां फिल्म मेकिंग का माहौल ही नहीं था. इसमें कई चुनौतियां आयीं. जो लोग नहीं समझ पा रहे हैं, टेक्निकली उनको जानकार बनाना था. मेरी जो वेब सीरीज है, वह अपने आप में एक फिल्म स्कूल बन गयी थी. कैसे कॉल टाइम पर बुलाना है, लॉजिस्टिक सुविधा उपलब्ध होना है आदि. कई लोगों को वहां लग रहा था कि कोई आयोजन होगा कीर्तन-भजन टाइप में. वो लोग फिल्म की शूटिंग के लिए तैयार नहीं थे. ये सब टेक्निकल फॉल्ट तो थे. यही दिक्कतें आयीं, जो अच्छी बातचीत से हम आसानी से मैनेज कर लेते थे.

बिहार सरकार की फिल्म नीति का कितना सपोर्ट मिला?

बिहार में ऐसा प्रॉसेस अभी एक्टिव हुआ ही नहीं है. अभी लोग बात ही कर रहे हैं कि ऐसा होगा कुछ. हमें ऐसा कोई सरकारी अनुदान कभी भी नहीं मिला है. मिलेगा भी कैसे, अभी कोई प्रॉसेस भी नहीं है. प्रॉसेस होगा, फिर उसके नोटिफिकेशन आयेंगे. आगे-आगे होते हुए भी मुझे लगता है कि अभी तीन से चार साल लग जायेंगे इसमें. पॉलिटिकल विल की भारी कमी है.

इस वेब सीरीज के प्रोमोशन को लेकर क्या प्लानिंग है?

अभी फिलहाल एडिटिंग चल रही है. बहुत ज्यादा फंड्स ही है. यही अपील करना चाहूंगा कि दर्शक सामने से आएं और हमारी कोशिश को सपोर्ट करें, जैसे प्रभात खबर ने किया. अलग से पैसे खर्च करके प्रोमोशन नहीं कर पायेंगे. अच्छा कंटेंट देने पर हमारा फोकस है. हां, दरभंगा, भागलपुर, सीतामढ़ी, सहरसा, मधुबनी, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण के बाल्मीकि नगर में रोड शो और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की कोशिश रहेगी, चूंकि इस वेब सीरीज की शूटिंग इन्हीं जगहों पर हुई है.

फिल्मकार के तौर पर आपका सफर कैसे शुरू हुआ था. अब तक कहां है?

हर बिहारी की तरह मैंने भी शुरुआत में सरकारी नौकरी में ही कोशिश की थी. डिफेंस सर्विस के रिटेन एग्जाम छह-सात बार क्लियर किया, पर इंटरव्यू में रह जाते थे. मुझे डिफेंस में जाना था. जब उसमें हुआ नहीं, तो क्रिएटिव झुकाव फिल्मों की तरफ हो गया. रंगमंच से जुड़ा था और क्रिएटिव राइटिंग भी करता था. अंदर से आया कि फिल्म मेकिंग में जाना चाहिए. निर्देशन मेरे लिए सही रहेगा. मैंने एफटीआइआइ और एनएसडी में कोशिश की, मगर नहीं हुआ. नोएडा फिल्म स्कूल से दो साल का कोर्स किया, उसके बाद मास कम्युनिकेशन में एमए भी किया. फिर मैं इस फील्ड में आया. प्रकाश झा के प्रोडक्शन हाउस में बतौर अस्सिस्टेंट काम किया. टर्निंग थर्टी में मैं था. उस वक्त सोनी चैनल पर मिनी सीरीज आ रही थी अनुराग कश्यप के मेंटरशिप में. उसमें एक ‘राजू बेन’ सीरीज थी. मैंने उसको भी असिस्ट किया. उसके बाद मैं अपने लैंग्वेज के कंटेंट की ओर मुड़ गया. 2011 में ही मैंने मैथिली भाषा में फिल्म ‘मुखिया जी’ बना डाली थी, जो युवाओं के बीच बहुत चर्चित हुई. ये मेरे लिए बहुत बड़ा लर्निंग एक्सपीरियंस है. ये फिल्म थिएट्रिकल रिलीज थी. दूरदर्शन बिहार पर यह फिल्म अक्सर टेलीकास्ट भी होती है. बहुत सारे एड कैंपेन पर मैंने काम किया है. पटना में जी पुरवैया चैनल जब आया, तो उसका भी हिस्सा रहा, लेकिन उस काम से संतुष्ट नहीं हो पा रहा था, तो मैंने टेलीविजन इंडस्ट्री से भी इस्तीफा दे दिया. उसके बाद मैथिली की लघु फिल्मों पर मेरा पूरा फोकस हो गया. यही मेरा टर्निंग पॉइंट था. एक फिल्म मेकर के तौर पर मैथिली भाषा में उत्कृष्ट फिल्म बनाने के लिए लोग जानने लगे. कोविड के पहले तक पैसों के लिए दूसरे प्रोजेक्ट में क्रिएटिव जॉब करता था, कोविड के बाद तय किया कि अब जो भी करना है, खुद से करना है. हम में जब हुनर है तो हम खुद ही करेंगे. हमने उसके बाद अपने यूट्यूब चैनल ‘मधुर मैथिली’ को पुश करना शुरू किया और ये क्लिक कर गया. थोड़े-बहुत विज्ञापन भी मिलने लगे, जिसके बाद चीजें थोड़ी आसान हुईं.

विकास और रोशनी एक्टिंग करते भी दिखेंगे

इस वेब सीरीज में निर्देशक विकास झा और रोशनी झा एक्टिंग करते भी दिखेंगे. यूट्यूब चैनल ‘मधुर मैथिली’ के कई वीडियोज का अहम हिस्सा रही रोशनी बताती हैं कि वे इस सीरीज के एक दृश्य में पति-पत्नी की भूमिका में दिखेंगे. पति शादी के बाद अपनी पत्नी को मिथिला घुमाने के लिए लाया है और आज के युवा की तरह मेरा किरदार भी दुबई, अमेरिका घूमना चाहता है. उसे अपनी जगह और भाषा दोनों से दिक्कत है. यह वेब सीरीज 2023 के जनवरी अंत या फरवरी की शुरुआत में स्ट्रीम होने की संभावना है.

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