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Exclusive: अपने किरदार पर काफी मेहनत करना पड़ा क्योंकि मैं उसके जैसा बिल्कुल नहीं हूं – व्योम यादव

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सोनी लिव पर स्ट्रीम होने वाली इस सीरीज का अहम चेहरा युवा अभिनेता व्योम यादव हैं. वह बताते हैं कि यह सीरीज पॉलिटिक्स और क्राइम का कॉकटेल होगी और तिग्मांशु धुलिया सर की यह सीरीज हासिल से काफी अलग होगी.

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दो दशक पहले छात्र राजनीति पर आधारित फिल्म हासिल से इंडस्ट्री में अपनी शुरूआत करने वाले निर्देशक तिग्मांशु धुलिया दो दशक बाद छात्र राजनीति पर आधारित वेब सीरीज गर्मी लेकर आए हैं. सोनी लिव पर स्ट्रीम होने वाली इस सीरीज का अहम चेहरा युवा अभिनेता व्योम यादव हैं. वह बताते हैं कि यह सीरीज पॉलिटिक्स और क्राइम का कॉकटेल होगी और तिग्मांशु धुलिया सर की यह सीरीज हासिल से काफी अलग होगी, क्योंकि वो कभी अपने काम को दोहराते नहीं है. इसमें नया ड्रामा और ट्विस्ट कहानी से जुड़ा है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

किस तरह से गर्मी सीरीज से जुड़ना हुआ?

बधाई दो और दिल्ली क्राइम जैसे शोज मैं कर चुका हूं, लेकिन उनका चेहरा मैं नहीं कोई और था. इस बार मैं चेहरा हूं. दिल्ली क्राइम मुझे मुकेश छाबड़ा जी की कास्टिंग एजेंसी के जरिए मिला था. इस सीरीज में भी उन्होने ही मेरी कास्टिंग की है.

गर्मी सीरीज का आप चेहरा है, ऐसे में जिम्मेदारी कितनी बढ़ गयी है?

इस सीरीज से पहले मैंने छोटा रोल ही किया है, लेकिन उस वक़्त भी मैं बहुत जिम्मेदारी का अनुभव करता था. मुझे लगता है कि हर किसी छोटे -बड़े एक्टर को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए. किसी एक्टर का फिल्म में अगर डायलॉग नहीं है,लेकिन वह सीन में है तो उस प्रोजेक्ट के लीड एक्टर से कम उसकी भी जिम्मेदारी नहीं होगी.

जब आप किसी शो का चेहरा होते हैं, तो आपको कई प्रोसेस से गुजरना पड़ता है, इसका क्या प्रोसेस था ?

हां ये पूरा प्रोसेस तीन से चार महीने चला. 2021 की दिसंबर की एक रात जिम में था. मुझे मुकेश छाबड़ा के ऑफिस से कॉल आया कि अभी कुछ साइन मत करना. डेट्स को खाली रखना. ये बोला नहीं कि हो गया तुम्हारा. चार दिन बाद मैंने कॉल किया कि भाई क्या हुआ, तो मालूम पड़ा कि मेरा नाम लगभग फाइनल है, तो कभी खुशी एक साथ नहीं हमेशा इन्सटॉलमेंट में ही आयी.

किरदार के लिए तैयारियां क्या थी?

मैंने यूट्यूब पर वीडियोज देखें कि यूपी में लोग किस तरह का डायलेक्ट रखते हैं. मेरी पैदाइश बनारस की है, लेकिन मैं दिल्ली में ही पला -बढ़ा हूं. परिवार वहां से है, तो उस एक्सेन्ट से मैं परिचित था. यूट्यूब से और मदद मिली. भाषा के साथ -साथ बॉडी लैंग्वेज भी पकड़ी. निर्देशक तिग्मांशु धुलिया सर ने भी बहुत मदद की उन्होने बताया कि कौन सी फिल्म देखूं. जिसमे हासिल भी थी. छात्र नेताओं के इंटरव्यू वीडियो को भी देखा.

आप अपने किरदार से कितना जुड़ाव महसूस करते हैं?

सच कहूं तो जब यह सीरीज मुझ तक पहुंची थी, उस वक़्त मुझे लगा भी नहीं था कि मैं ये कर पाऊंगा, क्योंकि मैं इतना गरम खून का नहीं हूं. मैं दिल्ली से हूं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वह जल्दी खफा हो जाते हैं, लेकिन मैं शांत स्वभाव का हूं. जब आप किरदार से जुड़ते हैं, तो उसके स्वभाव को भी आप खुद में ढूंढने लगते हैं. मुझे नहीं लगा कि मैं कर पाऊंगा, लेकिन मुकेश छाबड़ा जी को मुझ पर भरोसा था, जब एक बन्दे को आप पर इतना भरोसा होता है, तो आप भी खुद पर भरोसा हो जाता है.

क्या कभी रैगिंग से भी गुज़रे हैं?

असल जिंदगी में मैं छह फुट दो इंच का हूं. मेरी कद काठी ऐसी है कि आप मुझे दबाकर नहीं रख सकते हैं. रैगिंग हुई भी है, तो बहुत हल्की फुल्की वाली. मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के सुभाष इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से हूं, तो वहां पर पॉलिटिक्स नहीं थी. सबके सब किताबी कीड़े ही थे. चार लोगों के ग्रुप में सब खुश पांचवे से उन्हें कोई मतलब नहीं होता था. मतलब तब होगा, जब पांचवें की अच्छी नौकरी लगेगी, तो भी गाली देंगे बस. यही वजह है कि अपने किरदार पर मुझे काफी होमवर्क करना पड़ा, क्योंकि उसकी दुनिया से मैं परिचित नहीं हूं.

इंजीनियर से एक्टिंग का सफऱ कैसे तय हुआ?

स्कूल से मैं एक्टिंग करता आया हूं. कॉलेज में आने के बाद मैं थिएटर को जाना. मजे मजे में करता था और फिर एन्जॉय करने लगा. कॉलेज के सेकेंड ईयर में जाना कि मुंबई में ऑडिशन के जरिए काम मिलता है और फिर जर्नी शुरू हुई. जैसे हर स्ट्रगलर की होती है शुरुआत में आठ लोगों के साथ कमरे में रहता था. बुरे अनुभव भी हुए लेकिन एक्टिंग से प्यार था, तो सबकुछ भूलकर इसी में लगा रहा. धीरे -धीरे ही सही मौके भी मिलने लगे.

आनेवाला प्रोजेक्ट?

एक फिल्म साइन की है, लेकिन उसके बारे में फिलहाल बात नहीं कर पाऊंगा.

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