21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Surjit Patar: पंजाबी कविता के प्रयोगात्मक हस्ताक्षर का विदा होना

Advertisement

सुरजीत पातर अब इस दुनिया में नहीं रहे. वे पंजाबी की उस कविता के श्रेष्ठ भजन से एक थे, पंजाबी के आधुनिक साहित्य को विशेष रूप से पिछले 50 वर्षों में कविता कहा गया था कि वो देश की अन्य संस्थाओं के समूह में जानी जाती थी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

प्रो.डा. कृष्ण कुमार रत्तू

- Advertisement -

पंजाबी साहित्य में इस समय बेहद शख्सियत और उदासी का मोहक है क्योंकि पंजाबी के बेहद मशहूर शायर पदम श्री सुरजीत पातर इस दुनिया की बेहद शख्सियत से भरी नींद में ही विदा हो गए हैं. आधुनिक पंजाबी कविता के प्रयोगशील हस्ताक्षर सुरजीत पातर अब इस दुनिया में नहीं रहे. सुरजीत पात्र के जाने से पंजाबी साहित्य कविता के क्षेत्र से एक ऐसा सितारा गायब हो गया है जिसकी चमक ने पंजाबी कविता के साथ-साथ पंजाब और पंजाबियत को अपने रूहानी अंदाज के संजीदगी के साथ शुरू कर दुनिया के सामने पेश किया था.


इस समय जब साहसी हुई दुनिया में साहित्य के लिए जगह नहीं है तो इस समय सुरजीत पात्र उन बर्तनों में से एक थे जो सुना गया था. जिसे पढ़ा गया था. वे पंजाबी की उस कविता के श्रेष्ठ भजन से एक थे, पंजाबी के आधुनिक साहित्य को विशेष रूप से पिछले 50 वर्षों में कविता कहा गया था कि वो देश की अन्य संस्थाओं के समूह में जानी जाती थी. सुरजीत पात्र को पंजाबी और पंजाबी जगत के बाहर भी सोशल मीडिया मिली. सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा और साहित्य अकादमी पुरस्कार के सरस्वती सम्मान से भी सम्मानित किया. भारतीय लहरों के साथ उनकी इस दुनिया से रुखसत होने के साथ पंजाबी कविता का एक युग समाप्त हो गया है.


मुझे फख़्र है कि पिछले 50 वर्षों में मैंने सुरजीत पात्र को उस समय देखा था जब वह पंजाबी की पहली पंक्ति के व्यंजनों में से एक थे और उन्होंने पंजाबी कविता को एक नया मुहावरा दिया था. अपनी कई मुलाकातों में वे हमेशा कहते थे कि वह एक तो गायक बनना चाहते थे या फिर कवि थे और वह एक ऐसे ही रूप में सामने आए जिन जैसा शोहरत बहुत कम लोगों से मिलते हैं.

सुरजीत पातर का जन्म 14 जनवरी 1945 को जालंधर जिले के पातड़ कलां गांव में हुआ. प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से एवं कपूरथला एस्कॉट से होते हुए वह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लोनी में पंजाबी के प्रोफेसर तक का सफर तय करते हुए नए हुए क्षितिजों की और बढ़ते चले गए. उन्होंने अपने एल्बम बार-बार में लिखा कि वह हमेशा पंजाबी बने रहेंगे और यह सच है कि पंजाब का दर्द उनकी शायरी में पूरी तरह से दिखाई देता है. किसान आंदोलन के तहत उन्होंने अपना पदम श्री पुरस्कार वापस लेने की घोषणा की थी. वह पंजाबी के उन कुछ ठेठरे में शामिल होते हैं जिन्हें पंजाबी में पढ़ा जाता है और अपने रूह में उतारा जाता है. उनके डेमोलेक्शंस मुहावरों की तरह पंजाबी पीडीएफ़ को याद किया जाता है.


पातर कहते हैं मैं चला गया, यहां मेरे गीत, यहां सागा हवा में. असल में सुरजीत पत्र की शायरी में वह विश्व और समसामयिक समय की मानवीय दर्द की दास्तां है जो बहुत कम शायरों के पार्ट में आती है. उन्होंने कहा मेरे शब्द हैं पंजाब ने जिया है. उसके बाज़ार का एक भी संग्रह सामने नहीं आया है, मुख्य रूप से ब्रिक अर्ज करें, अंधेरे विच सुलगदी वर्णमाला, जिस पर साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिला. 1979 में छपने वाली उनकी किताब हवा विच राइट हर्फ बेहद मशहूर हुई. उनकी अन्य टिप्पणियों में लफ्जों की दरगाह, पतझड़ के अतिरिक्त वह पंजाबी फिल्मों के लिए संवाद भी लिखें.

वह एक ऐसे कवि और इंसान के रूप में सामने आए, जिन्होंने पंजाबी कविता को पंजाब की सीमाओं से दूसरे समुद्र तट पर खड़ा करने में अपना योगदान दिया. आधुनिक शायरी और आधुनिक शायरी के संवाद के साथ जब भी बात होगी तो उनका नाम सामने आएगा. सुरजीत पातर को यह भी याद आया कि उन्होंने पंजाबी कविता उन्हें एक दौर में भी जिंदा रखी थी जब 1984 के दशक में साहित्य और पंजाब के काले दौर का समय था. जिंदा रखा गया था. उनकी कविता भाषा का ऐसा सौन्दर्यबोध दर्शन देखने को मिलता है जो पहले गिने चुने पंजाबी बर्तन के हिस्से में आया है.


पंजाबी के इस तरह के शायरों ने मुझे उनके साथ के किरदार वाले वो पल याद दिलाए जब कई बार दूरदर्शन की रिकॉर्डिंग के दौरान उन्होंने अपनी यादों को कुराते हुए बार-बार कहा था कि मेरी रूह में पंजाब बसता है और पंजाब पंजाबी और पंजाबियत उनके शब्दों के विवेक को त्यागना ही उनकी एक उपलब्धि है और वे हमेशा अपने सपने को खत्म नहीं करना चाहते. सुरजीत पातर ने लिखा है, अपनी अंखियों में छोटे सा साथी को रखना, हर मुकदमा पूरी होगी.

दिल पर हाथ रखना यही समय का सत्य है और यही भाषा का बोध है. इस नए समाज और नई दुनिया और नई समुद्र के संगम में पंजाबी साहित्य के इस नामवर के हस्ताक्षर को इतनी मछलियाँ के साथ चलना असामान्य उदास करने वाली घटना है क्योंकि कल रात को नींद में ही इस दुनिया से विदा हो गई थी. सुरजीत पातर के पूरे साहित्य जगत और काव्य की दुनिया को अगर मैं अन्य लेखकों के चित्रों का आकलन करता हूं तो मुझे लगता है कि सुरजीत पातर उनमें से सिरमौर कवि हैं और काव्य की दुनिया में उस धरती की पुष्टि का ज़िक्र है जिसमें उन्होंने जन्म लिया और इसमें इन शब्दों के साथ प्रार्थना की जा सकती है कि यहां पर लोग शामिल होंगे, जैसे कि सुरजीत पातर शायर अपने दम पर आगे बढ़ने वाला कोई और नहीं. पंजाबियों की संजीदगी को लेकर और पंजाब के लोगों की रूह में बस जाने वाला सुरजीत पत्रम वापस नहीं आएगा. पंजाबी के आधुनिक साहित्य के लिए यह एक बड़ा घाटा है जो देर तक पूरा नहीं हुआ.
अलविदा सुरजीत पातर !

(लेखक पूर्व उप महानिदेशक दूरदर्शन एवं डीन स्कूल ऑफ़ मीडिया स्टडी से जुड़े हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें