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OTT प्लेटफॉर्म के ऐसे कंटेंट पर नियंत्रण की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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supreme court issues notice to centre on pil to regulate ott platforms netflix amazon prime zee5 hotstar latest update bud : सुप्रीम कोर्ट ने नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है. चीफ जस्‍टिस एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने केंद्र सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया.

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OTT Plstforms : सुप्रीम कोर्ट ने नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है. चीफ जस्‍टिस एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने केंद्र सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया.

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शीर्ष अदालत ने शशांक शेखर झा और अपूर्वा अरहतिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “हम नोटिस जारी करेंगे.” देश में सिनेमाघरों के जल्द ही खुलने की संभावना के साथ, ओटीटी / स्ट्रीमिंग और विभिन्न डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों ने निश्चित रूप से फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को सेंसर और उनकी फिल्मों और श्रृंखलाओं के लिए मंजूरी प्रमाणपत्रों की चिंता किए बिना अपनी सामग्री जारी किए हैं.

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान में, कोई भी कानून या स्वायत्त निकाय नहीं है जो किसी भी फ़िल्टर या स्क्रीनिंग के बिना जनता के लिए उपलब्ध डिजिटल सामग्री को नियंत्रित करता हो, जिसकी वजह से कलात्मक स्वतंत्रता का दुरुपयोग हो रहा है. इसमें यह भी कहा गया है कि, “कोई भी सेंसर रचनात्मक स्वतंत्रता के शोषण की अनुमति नहीं देता है. कोई बंदिश न होने की वजह से स्क्रीन पर धूम्रपान, अधिक हिंसा, यौन दृश्य, अश्लील भाषा को बिना किसी रोक-टोक के प्रदर्शित किया जा रहा है. स्‍मोकिंग सींस में कोई वार्निंग भी नहीं दी जा रही है जो अनिवार्य है. ‘

कोर्ट ने कहा कि, मौजूद समय में, इन डिजिटल कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए और नियंत्रित करने वाला कोई कानून नहीं है, और इसे बिना किसी फ़िल्टर या स्क्रीनिंग के बड़े पैमाने पर जनता के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, ज़ी 5 और हॉटस्टार सहित ओटीटी / स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों में से किसी ने भी फरवरी 2020 से सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए स्व-नियमन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

याचिका में कहा गया है कि OTT प्लेटफॉर्म में लगातार ऐसे कंटेट दिखाए जा रहे हैं जो सामाजिक और नैतिक मानदंडों के मुताबिक नहीं हैं. कुछ कार्यक्रमों में सैन्य बलों का गलत चित्रण किया गया है तो कई कार्यक्रमों के कंटेंट पर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल मचा है.

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मंत्रालय ने पहले एक अलग मामले में शीर्ष अदालत को बताया था कि डिजिटल मीडिया को विनियमित करने की आवश्यकता है और अदालत मीडिया में अभद्र भाषा के नियमन के संबंध में दिशानिर्देश देने से पहले सबसे पहले व्यक्तियों की एक समिति नियुक्त कर सकती है.

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