17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Film Review: कई संदेश देने के चक्कर में उलझ गयी Serious Men की कहानी

Advertisement

मनु जोसफ की नावेल सीरियस मैन का फिल्मी रूपांतरण यह फिल्म है. मनु जोसफ की किताब जाति, वर्ग और वर्ण के आधार पर बंटे समाज पर व्यंग करती है। यह फ़िल्म भी इसी बात पर चोट करती है लेकिन कहानी एक साथ कई मुद्दों को छूती है. जिससे थोड़ी उलझ गयी है हां फ़िल्म के किरदार और उनका अभिनय फ़िल्म को खास बनाता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

फ़िल्म – सीरियस मैन

- Advertisement -

निर्देशक – सुधीर मिश्रा

ओटीटी- नेटफ्लिक्स

कलाकार- नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, इंदिरा तिवारी, अक्षत दास, श्वेता बासु प्रसाद, संजय नार्वेकर आदि

रेटिंग- 2.5 स्टार

मनु जोसफ की नावेल सीरियस मैन का फिल्मी रूपांतरण यह फिल्म है. मनु जोसफ की किताब जाति, वर्ग और वर्ण के आधार पर बंटे समाज पर व्यंग करती है। यह फ़िल्म भी इसी बात पर चोट करती है लेकिन कहानी एक साथ कई मुद्दों को छूती है. जिससे थोड़ी उलझ गयी है हां फ़िल्म के किरदार और उनका अभिनय फ़िल्म को खास बनाता है.

फ़िल्म की कहानी दलित मणि अय्यन ( नवाज़ुद्दीन) की है. वह एक रिसर्च इंस्टीट्यूट में काम करता है. उसका जीवन अभावों में गुजरा है. हमेशा उसने सामने वाले कि नज़र में खुद की इज़्ज़त को कमतर ही पाया है।वह तय करता है कि उसने जो इस पक्षपाती समाज से नहीं पाया वह अपने बेटे (अक्षत दास)को दिलवाकर रहेगा. अपनी गहरी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वह एक शार्ट कट रास्ता अख्तियार करता है. मणि अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा कर पाएगा या नहीं. वही आगे की कहानी में है. फ़िल्म में एक साथ कई संदेश जुड़े हैं. जिससे फ़िल्म थोड़ी उलझ गयी है.

शिक्षा व्यवस्था की खामियां, माता पिता की अति महत्वकांक्षाएं किस तरह से बच्चों के बचपन को प्रभावित करती हैं. जातिगत भेदभाव, उच्चे पदों पर बैठे लोगों को ब्लैक होल का सिद्धांत जानना है और एलियंस को ढूंढना है लेकिन उन्हें अपने आसपास की गरीबी भुखमरी नहीं दिखती है. नेता री डेवलोपमेन्ट के बहाने कैसे आमआदमी को विस्थापित कर रहे हैं. फ़िल्म सभी मुद्दों को छू रही है. ट्रीटमेंट की बात करें तो फ़िल्म कहानी के पात्रों को स्थापित करने में थोड़ा ज़्यादा समय चला गया है. जो कहानी के प्रभाव को थोड़ा कमतर कर जाती है

मणि लोअर मिडिल क्लास है और दलित है इसका मतलब ये नहीं कि उसे बेचारा पूरी फिल्म में दिखाया गया है। वह बहुत चालाकी से शुरुआत में चीजों को अपने फायदे के हिसाब से इस्तेमाल भी करता है. फ़िल्म व्यंग्यात्मक है लेकिन जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है. यह मार्मिक होती चली गयी है. इसे मार्मिक होने से बचाने की ज़रूरत महसूस होती है.

अभिनय की बात करें तो नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने एक बार फिर साबित किया है कि मौजूदा दौर का उन्हें उम्दा अभिनेता क्यों कहा जाता है. अक्षर दास और इंदिरा तिवारी ने नवाज़ का बखूबी साथ दिया है।नासेर सहित बाकी के कलाकार भी अपनी अपनी भूमिका में जमें है. फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी अच्छी है. मुंबई भी फ़िल्म का अहम किरदार है. फ़िल्म धारावी में मुम्बई की झुग्गी झोपड़ी दिखाने वाले सुधीर मिश्रा इस बार वर्ली की चॉल ले आए हैं। फ़िल्म के संवाद बोल्ड हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें