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प्रतीक बब्बर बोले- पिछली गलतियों को दोहराना नहीं चाहता हूं, इंडिया लॉकडाउन पर कही ये बात

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बॉलीवुड एक्टर प्रतीक बब्बर ने कहा कि निजी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखा है. मेरा खुद की इच्छाशक्ति और गोल ने मुझे संभाला है. एक अच्छा एक्टर बनने को लेकर मैं बहुत ज्यादा जूनूनी हूं. मेरी मां और उनकी एक महान लेगेसी ने भी मुझे संभाला है. अपने परिवार और दोस्तों का भी शुक्रगुजार हूं, .

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जी 5 पर इन-दिनों फिल्म इंडिया लॉकडाउन स्ट्रीम कर रही है. अभिनेता प्रतीक बब्बर इस फिल्म में माधव की भूमिका निभा रहे है. जो एक बिहारी मजदूर का किरदार है. प्रतीक बताते है कि मेरे से बिल्कुल ही अलग यह किरदार है. मैं अर्बन बांद्रा बॉय हूं. इस कम्युनिटी की जो मुश्किलें हैं, वो हम कितनी भी समझना चाहे, हम समझ नहीं सकते हैं तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी. उम्मीद है कि हम इस जिम्मेदारी पर खरे उतरे है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…

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इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए होम वर्क कितना अलग और खास करना पड़ा?

होमवर्क तो काफी करना पड़ा. सबसे पहले अपनी भाषा पर काम करना पड़ा. सेट पर एक एक्सेन्ट कोच होते थे. उन्होने हर डायलॉग और हर शब्द के लिए हमें मदद की है. वैसे फिल्म में उन्होने भी एक मजदूर की भूमिका को निभाया है. किरदार को समझने के लिए मैंने कई फिल्में भी देखी. अपनी मां स्मिता पाटिल की कई फिल्मों को मैंने देखा इसमें चक्र, आक्रोश देखी इसके अलावा अंकुर और दो बीघा जमीन भी देखी. इन चारों में मजदूर वर्ग का अलग-अलग संघर्ष है. इन फिल्मों ने मुझे किरदार के करीब जाने में मदद की.

मानसिक के साथ-साथ क्या शारीरिक चुनौतियों से भी गुजरे?

मानसिक और शारीरिक दोनों तौर पर यह थका देने वाला अनुभव था. हमने काफी कड़ी धूप में इस फिल्म की शूटिंग की, बिना चप्पल के हम तपे हुए रोड पर चल रहे थे. हम सबके पैर जल रहे थे. एक सीन में मैं जंगल में बिना चप्पल के पत्थर और कांटों के बीच भाग रहा हूं. जिसमें मेरे पैर घायल भी हुए, लेकिन स्थिति की भयावहता को दिखाने के लिए ये जरूरी था. तीन कपड़ों में ही इसकी पूरी शूटिंग मैंने की है. हम जानते थे कि मजदूर कम्युनिटी का संघर्ष लॉकडाउन में और ज्यादा बढ़ गया था. शूटिंग के दौरान हमने वो जिंदगी जी है. इमोशनल अंडरस्टैंडिंग के जरिए हमने वो कहानी कहने की कोशिश की, जिसमे मानसिक और शारीरिक चुनौतियों से गुजरना पड़ता है .

लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के पलायन की कहानियों ने हम सबको विचलित किया था, ऐसे में जब वह किरदार निभाने का मौका मिला तो क्या जेहन में चल रहा था?

जब हम वो कहानियां सुन रहे थे, वो हम सबको परेशान कर रही थी कि लोग इस हद तक मजबूर हो गए कि वे मुम्बई से बिहार पैदल जा रहे है. जब ये किरदार ऑफर हुआ, तो मुझे बहुत गर्व हुआ कि नेशनल अवार्ड विनिंग डायरेक्टर मधुर भंडारकर सर ने मुझे कॉल किया और मुझे उस कम्युनिटी को प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया.

क्या किरदार आप पर असर छोड़ते है?

मेरे साथ तो होता है. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान उनलोगों की जिन्दगी जीकर मैं बहुत विन्रम हो गया था. हम सब इंसान हैं. हमें एक दूसरे की तकलीफ समझनी चाहिए. वे हमारे है. हमारे अपने है. उनकी कहानियां और तकलीफ जानना जरूरी है, बल्कि उसके प्रति सहानुभूति भी रखना हम सबकी ड्यूटी है. इस फिल्म के जरिए हम आम लोगों तक अगर उनका दर्द एक परसेंट भी पहुंचा पाए, तो हम लोग अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे.

ओटीटी ने आपके कैरियर को कितनी मदद की है?

अपने कैरियर की दूसरी इनिंग को मैं ओटीटी को समर्पित करना चाहूंगा, क्यूंकि ओटीटी ने एक एक्टर के तौर पर मुझे रीवाइव किया है. ओटीटी बहुत सुरक्षित भी है. कोविड के बाद दर्शक थिएटर कम ही फिल्मों के लिए जा रहे है. ये अच्छी बात है कि ओटीटी इतनी अच्छी फिल्में दर्शकों को घर बैठे देखने का मौका दे रहे है. यही वजह है कि दर्शकों की पहली पसंद ओटीटी बन गया है. अब तो दर्शक फिल्म के ओटीटी रिलीज का इंतजार करते है.

अपने कैरियर की किन पिछली गलतियों को आप नहीं दोहराएंगे?

कैरियर की इस इनिंग में मैं सफलता, मिलने वाले मौकों और अपने चाहने वालों और फैन्स को हल्के में नहीं लूंगा. उस वक्त मैं 25 साल का था तो चीजों को हल्के में लिया. गलतियां हर कोई करता है. गलतियों से सीख लेकर खुद में सुधार लाना बड़ी बात है और मैं वही कर रहा हूं.

आपका कैरियर और निजी जिन्दगी काफी उतार-चढ़ाव से भरी रही है, आपने इस दौरान खुद को कैसे संभाला?

मेरा खुद की इच्छाशक्ति और गोल ने मुझे संभाला है. एक अच्छा एक्टर बनने को लेकर मैं बहुत ज्यादा जूनूनी हूं. मेरी मां और उनकी एक महान लेगेसी ने भी मुझे संभाला है. अपने परिवार और दोस्तों का भी शुक्रगुजार हूं, उन्होंने मुझे अनकंडीशनल प्यार दिया.

स्मिता पाटिल की महान लीगेसी रही है, क्या वह आपको प्रेशर देती है?

प्रेशर तो निश्चिततौर पर देती है, लेकिन साथ ही वह मुझे और मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है. अच्छा काम करना है ताकि लोगों को गर्व से बता सकूं कि स्मिता पाटिल जी का बेटा मैं ही हूं.

आपकी आनेवाली फिल्में?

प्रतीक गांधी और तापसी पन्नू के साथ मेरी एक फिल्म है, वो लड़की है कहां. यह एक रोमांटिक कॉमेडी, रोमांच से भरी फिल्म है. जिसमें उनका मंगेतर रहता हूं और फिल्म के अंत में उनका पति बनता हूं. इस फिल्म में मैं बहुत स्वीट और शर्मीला लड़का हूं. सायानी गुप्ता क़े साथ एक फिल्म है और वेब सीरीज हिक्कुप्स और हुकअप्स का अगला सीजन भी है.

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