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pushpa 2 movie review:वाकई बवाल है अल्लू अर्जुन के जबरदस्त स्वैग से सजी पुष्पा 2

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इस साल की बहप्रतीक्षित फिल्म पुष्पा 2 ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दिया है.अल्लू अर्जुन के स्टारडम को हिंदी दर्शकों में यह सीक्वल फिल्म और बढ़ाने वाली है.आइये जानते हैं कैसे इस रिव्यु में

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फिल्म :पुष्पा 2 द रूल
निर्माता :मैथ्री फिल्ममेकर्स
निर्देशक :सुकुमार
कलाकार : अल्लू अर्जुन, रश्मिका मंदाना, फहद फासिल, श्रीलीला, तारक पोन्नप्पा और अन्य
प्लेटफार्म :सिनेमाघर
रेटिंग: साढ़े तीन

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pushpa 2 movie review :फिल्म में एक संवाद है कि पुष्पा पहली एंट्री पर इतना बवाल नहीं करता है, जितना दूसरी एंट्री पर करता है. 2021 की ब्लॉकबस्टर फिल्म पुष्पा द राइज का सीक्वल यानी पुष्पा 2 द रूल सिनेमाघरों में एंट्री कर चुकी है. दूसरी एंट्री वाकई बवाल ही साबित हुई है. एक्टिंग, एक्शन, कहानी, डायलॉग, सिनेमेटोग्राफी के मामले में पिछली फिल्म फायर थी तो पुष्पा 2 स्क्रीन पर वाइल्ड फायर साबित हुई है. फिल्म के औसत पहलुओं में इसकी लेंथ और गीत संगीत रह गया है, लेकिन यह पैसा वसूल एंटरटेनर है.जो आपको पूरी तरह से खुद से जोड़े रखती है.जिसे थिएटर में जाकर देखना तो बनता है.

इस बार पुष्पा की बाइको और भतीजी के आत्मसम्मान की है कहानी

पुष्पाराज मतलब अपने आत्मसम्मान के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार. इस सीक्वल में भी वह इसी स्वैग से जिंदगी जी रहा है.अब राजनेताओं से भी उसका मिलना -जुलना हो रहा है.पुष्पा की पत्नी श्रीवल्ली ( रश्मिका मंदाना)को जब मालूम पड़ता है कि उसका पत्नी राज्य के चीफ मिनिस्टर से मिलने जा रहा है तो वह उसके साथ एक फोटो खिंचवाने को कहती है ताकि वह उसे अपने घर में लगाकर सभी को दिखा सके कि उसके पति का उठना -बैठना कितने बड़े लोगों में होता है . अपनी बाइको के लिए पुष्पा चीफ मिनिस्टर से फोटो खिंचवाने को कहता है,लेकिन चीफ मिनिस्टर ये कहता है कि उस जैसे अपराधी से वह पार्टी फंड्स तो ले सकता है ,लेकिन फोटो नहीं खिंचवा सकता है.उसकी इमेज ख़राब हो सकती है. इस बार बात पुष्पा की नहीं बल्कि उसकी बाइको के आत्मसम्मान की है. फिर क्या था. वह चीफ मिनिस्टर को ही बदलने का तय कर लेता है, लेकिन ये फेरबदल इतना आसान नहीं है. आखिरकार दूसरे नेताओं की खरीद फरोख्त करनी होगी ,तो ही सीएम बदल सकता है.इस बड़े फेरबदल के लिए उसको 500 करोड़ की जरुरत है और यह सब लाल चन्दन की तस्करी से आएंगे. जिस वजह से इस बार तस्करी नेशनल नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल तक पहुंच गयी है. लेकिन यह तस्करी आसान रहने वाली नहीं है क्योंकि पहले पार्ट से ही आईपीएस ऑफिसर भैरों सिंह शेखावत(फहद फासिल )पुष्पा से खार खाए बैठा है. जिद्द और सनक में वह पुष्पाराज की तरह ही है तो क्या यह तख्तापलट हो पाता है.भैरों सिंह शेखावत और पुष्पा की दुश्मनी का क्या होगा. सिर्फ प्रोफेशनल ही नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ में भी पुष्पा के बहुत कुछ उठापटक इस सीक्वल में चल रहा है, जो उसे मुलेठी परिवार के करीब पहुंचा देता है.क्या मुलेठी परिवार पुष्पा और उसकी मां को अपनाएगा .यह सब सवालों के जवाब पार्ट 2 देती है.वैसे इस भाग में कहानी खत्म होने के साथ -साथ यह भी बता जाती है कि पुष्पा 3 में पुष्पराज के खिलाफ सिर्फ भैरों सिंह शेखावत ही नहीं बल्कि और भी कोई होगा.

फिल्म की खूबियां और खामियां

3 घंटे 20 मिनट इस फिल्म की लम्बाई है. आमतौर पर इतनी लम्बी फिल्म होने का मतलब मामला बोझिल होना.फिल्म की लम्बाई को 20 मिनट तक कम किया जा सकता था. इससे इंकार नहीं है , लेकिन मामला बोझिल नहीं हुआ है. फिल्म शुरू से आखिर तक आपको बांधे रखती है.आपको एंटरटेन करती है. यह फिल्म एक्शन के साथ -साथ जिद, जुनून,सम्मान को दिखाती ही है. कॉमेडी भी भरपूर है. पूरे पुलिस स्टेशन को रिश्वत देने वाला सीन अच्छा बन पड़ा है. सीएम के साथ फोटो खिंचवाने वाला सीन भी मनोरंजक है.वैसे कहानी और स्क्रीनप्ले में सबकुछ मनोरंजक है. ऐसा भी नहीं है.पहले भाग में भैरोंसिंह शेखावत के किरदार से जिस तरह से खौफ बनाया गया था. वैसा कहानी में नहीं आ पाया है. पुष्पा और शेखावत की दुश्मनी में वह उठा पटक स्क्रीनप्ले में नहीं है, जिसकी उम्मीद थी.साउथ की फिल्मों का एक्शन हम पिछले एक दशक से लगातार देख रहे हैं. इस फिल्म में भी हवा में कलाबाजी करते हुए खूब सारा फाइट सीक्वेंस रखा गया है, लेकिन निर्देशक सुकुमार ने साड़ी पहनाकर जिस तरह से अल्लू अर्जुन से दो बड़े एक्शन सीक्वेंस करवाए हैं. वह फिल्म के एक्शन को एक अलग ही लेवल का टच दे जाता है. आमतौर पर साउथ की फिल्मों से अक्सर ये शिकायत रहती है कि महिलाओं का सम्मान नहीं किया जाता है. पुष्पा के पहले भाग से भी यह शिकायत थी , लेकिन निर्देशक सुकुमारन ने अपनी इस सीक्वल फिल्म में यह शिकायत पूरी तरह से दूर कर दी है. इससे सभी साउथ की मसाला फिल्मों को सबक लेने की जरूरत है. इससे पहले कई पुरुष पात्रों ने स्क्रीन पर साड़ी पहनी है, लेकिन अब तक सिर्फ कॉमेडी के लिए ही इसका इस्तेमाल हुआ है, लेकिन पुष्पा 2 इस मामले में एक अलग ही दिशा तय करती है. निर्देशक सुकुमार के विजन की यहां भी तारीफ करनी होगी. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी इसकी अहम् यूएसपी है. जो परदे पर लाल चंदन की दुनिया को बेहद प्रभावी दिखाती है. फिल्म के संवाद भी जानदार हैं. अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने एक बार फिर अपनी आवाज के साथ पुष्पा के किरदार को प्रभावी बनाया है.खामियों की बात करें तो इस बार फिल्म का गीत संगीत फिल्म का कमजोर पक्ष है. पिछले पार्ट में फिल्म के गाने जितने बेहतरीन बने थे. इस बार मामला कमजोर रह गया है. बैकग्राउंड स्कोर की तारीफ बनती है.

अल्लू अर्जुन फिर छा गए हैं

अभिनय की बात करें तो एक बार फिर अल्लू अर्जुन ने पुष्पराज के किरदार को अपने स्वैग ,स्टाइल से खास बना दिया है. फिल्म में वह एक्शन , कॉमेडी, रोमांस के साथ अपने इमोशनल साइड को भी बखूबी दर्शाते हैं.फहद फासिल को फिल्म में ज्यादा स्पेस नहीं मिला है लेकिन जब -जब वह परदे पर आते हैं. अपनी चमक बिखेर जाते हैं.उन्होंने कॉमेडी के तड़के के साथ इस बार अपने किरदार को जिया है. उनके और अल्लू अर्जुन के बीच के सीन्स और संवाद मज़ेदार हैं. रश्मिका अपनी भूमिका के साथ न्याय करती हैं. इस बार उनके हिस्से प्रभावी सीन्स भी आये हैं. बाकी के किरदार भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं.


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