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chandu champion movie review: kartik aaryan के शानदार अभिनय से सजी चंदू चैंपियन है संघर्ष और सीख की दास्तान

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यह स्पोर्ट्स बायोपिक फिल्म पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट मुरलीकांत पेटकर की जिंदगी पर आधारित है.

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फिल्म – चंदू चैंपियन
निर्माता -साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक – कबीर खान
कलाकार – कार्तिक आर्यन , विजय राज,भुवन अरोरा,अनिरुद्ध दवे ,राजपाल यादव, यशपाल शर्मा और अन्य
प्लेटफार्म – सिनेमाघर
रेटिंग – तीन

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chandu champion फिल्म इतिहास रचने वाले मुरलीकांत पेटकर की कहानी है। जो पैरालिंपिक तैराकी में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय हैं, लेकिन बाद वह में इतिहास में ही कहीं खोकर रह गए थे, ये त्रासदी है कि हम उनके बारे में बिल्कुल नहीं या बहुत कम जानते हैं.मुरलीकांत पेटकर की उसी प्रेरक लेकिन भूली हुई कहानी को कबीर खान ने पर्दे पर फिल्म चंदू चैंपियन से जीवंत किया है. समय की धुंध में खोए हुए नायक को पुनर्जीवित करने के लिए इस फिल्म की पूरी टीम बधाई की पात्र है.यह स्पोर्ट्स ड्रामा बायोपिक फिल्म कार्तिक आर्यन के शानदार अभिनय और कबीर खान के उम्दा निर्देशन के बावजूद स्क्रीनप्ले में कई मौकों पर कमजोर भी पड़ती है ,लेकिन इसके बावजूद यह प्रेरणादायी कहानी दिल को छू जाती है. जिसे हर किसी को देखनी चाहिए.

हार नहीं मानने की है कहानी
फिल्म की शुरुआत में एक बुजुर्ग (कार्तिक आर्यन )पुलिस स्टेशन में आकर भारत के राष्टपति पर एफआईआर दर्ज करवाने की बात करता है और कहानी 50 के दशक में चली जाती है। महाराष्ट्र के एक गांव में एक बच्चा (कार्तिक आर्यन ), एक ओलंपिक विजेता का गांव में धूमधाम और भव्यता के साथ स्वागत करते हुए देख रहा है, जिससे उसके भीतर भी ओलंपिक चैंपियन बनने का सपना घर कर लेता है. यह सपना देखना उसके लिए आसान था,लेकिन हकीकत में उसे पूरा करना लगभग नामुमकिन था. कदम – कदम पर उसकी राहों में रोड़े हैं.वह हार नहीं मानता है,लेकिन एक वक़्त ऐसा भी आता है , जब उसकी भी हिम्मत हार मानने लगती है. सैनिक के तौर पर एक युद्ध में उसे नौ गोलियां लग जाती है। वह बच तो जाता है, लेकिन उसके शरीर का निचला हिस्सा अपाहिज हो जाता है. जिसके बाद ओलंपिक में मेडल लाने का उसका सपना टूट जाता है. वह इस कदर टूट जाता है कि आत्महत्या करने की भी कोशिश करता है. किस तरह से वह इस हालात से निकलकर पैरालंपिक ओलंपिक में भारत के नाम पहला गोल्ड मेडल कर अपना सपना पूरा करता है. यह फिल्म उनकी इसी हौंसले , जज्बे और मेहनत की जर्नी को सामने लेकर आती है.

फिल्म की खूबियां और खामियां
अब तक स्पोर्ट्स बायोपिक जॉनर में कई कहानियां रुपहले परदे पर आ गयी है. आमतौर पर बायोपिक फिल्मों में लुक को बहुत अहमियत दी जाती रही है. कबीर खान की पिछली रिलीज फिल्म 83 भी इस बात का उदाहरण थी,लेकिन चंदू चैंपियन में कार्तिक आर्यन का लुक मुरलीकांत पेटकर से मिलता नहीं है. वह परदे पर कार्तिक ही दिखते हैं लेकिन एक एथलीट की बॉडी, हौसले और जूनून को वह किरदार में बखूबी जोड़ते हैं.यह फिल्म मुरलीकांत के उपलब्धियों का ही जश्न नहीं मनाती है बल्कि समर्पण को भी बखूबी दर्शाती है. फिल्म की कहानी बेहद प्रभावी है,मुरलीकांत पेटकर की जिंदगी की अलग – अलग चुनौतियां कहानी से आपको जोड़ती है लेकिन साथ में कहानी में ह्यूमर को भी जोड़े रखा गया है , जो इस फिल्म को एंगेजिंग बना गया है. फिल्म का स्क्रीनप्ले बीच बीच में कमजोर भी पड़ता है खासकर सेकेंड हाफ में कहानी में दोहराव दिखता है.फिल्म की एडिटिंग पर थोड़ा और काम करने की जरुरत थी.यह एक स्पोर्ट्स बायोपिक है , कई हिस्सों में यह भाग मिल्खा भाग की भी याद दिलाता है. फिल्म में फौजी ट्रेनिंग वाला दृश्य, पडोसी गीत और टीवी प्रेसेंटर से प्रभावित हो खेल से फोकस हट जानेवाला दृश्य उससे मेल खाता है. यह फिल्म 50 और 60 के दशक में ट्रैवेल करती है.फिल्म की टीम ने बहुत बारीकी के साथ उस दशक को परदे पर रचा है, जिसके लिए उनकी तारीफ बनती है .फिल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है,लेकिन चंदू चैंपियन के एंथम सांग को छोड़ कोई गीत याद नहीं रह जाता है.फिल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं.जुंग बहुत कमीनी चीज होती है छोटू , जिसमे लड़ाने वाले का कुछ नहीं जाता है , लड़ने वाले का सबकुछ चला जाता है.जैसे संवाद कहानी और किरदार को प्रभावी बनाते हैं.

कार्तिक आर्यन का बेस्ट परफॉरमेंस
अभिनय की बात करें तो यह कार्तिक आर्यन के करियर की अब तक की बेस्ट परफॉरमेंस है. मुरलीकान्त पेटकर की भूमिका में उनकी मेहनत दिखती है, उन्होंने बॉडी लैंग्वेज से लेकर संवाद तक में उन्होंने खुद हैं. कार्तिक के साथ अभिनेता विजय राज का अभिनय भी बेहद शानदार रहा है. जनरैल की भूमिका में दिखें ,अभिनेता भुवन अरोरा की भी तारीफ बनती है. यशपाल शर्मा ,राजपाल यादव भी अपनी – अपनी भूमिकाओं में जमे हैं. श्रेयस तलपड़े और अनिरुद्ध दवे भी अपनी भूमिका में छाप छोड़ते हैं.

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